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2 साल में गाजा तबाह: 90% घर मलबे में, हर घंटे एक बच्चे की मौत, हर नौवां शख्स मरा या घायल
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Tuesday, October 14, 2025
Last Updated On: Tuesday, October 14, 2025
गाजा पट्टी, जो कभी बच्चों की हंसी और खुशियों से गूंजती थी, अब मलबे और मौत का प्रतीक बन चुकी है. दो साल के इजराइल-हमास संघर्ष ने 90% घर तबाह कर दिए, हर घंटे एक बच्चे की जान गई और हर नौवां शख्स घायल या मारा गया. स्कूल, अस्पताल, बाजार सब खंडहर में बदल चुके हैं. भूख, बीमारी और डर के बीच गाजा की आबादी अब इंसानी सहनशीलता की सबसे बड़ी परीक्षा दे रही है.
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Last Updated On: Tuesday, October 14, 2025
Gaza Children Casualties: गाजा पट्टी कभी बच्चों की किलकारियों और खुशियों से गूंजता था. लेकिन अब यह क्षेत्र भारी तबाही और दर्द का पर्याय बन चुका है. पिछले दो साल के इजराइल-हमास संघर्ष ने गाजा को मलबे, भूख, और मौत के दरवाजे तक ला खड़ा किया है. आज गाजा के 90% घर या तो पूरी तरह ध्वस्त हैं या रहने लायक नहीं रहे. स्कूल, अस्पताल, मस्जिद और बाजार सभी का स्वरूप खंडहर बन चुका है. हर घंटे एक बच्चे की मौत हुई, हर नौवां व्यक्ति या तो घायल हुआ या मारा गया. ये आंकड़े केवल संख्या नहीं, बल्कि मानवता की शर्मनाक हकीकत हैं.
युद्ध की शुरुआत: कैसे भड़की जंग?
इस पूरी तबाही की शुरुआत 7 अक्टूबर 2023 को हुई, जब हमास ने इजराइल पर हमले किए. इसके तुरंत बाद इजराइल ने गाजा में बड़े पैमाने पर सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी. बमबारी, हवाई हमले, और ग्राउंड मिशनों ने गाजा की जमीन को आग और धुएं में बदल दिया. दो साल के संघर्ष में सत्तर हज़ार से अधिक लोग मारे गए, जिनमें हर नौवां व्यक्ति या तो घायल या मारा गया. महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा एक मिथक बन गई.
तबाही का असर: आंकड़ों की दर्दनाक हकीकत
गाजा पट्टी के विनाश को केवल शब्दों में बयान करना मुश्किल है. संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि:
| श्रेणी | आंकड़े/स्थिति |
|---|---|
| कुल मौतें | 67,869 से अधिक |
| बच्चे (मृत्यु) | 20,179+ |
| महिलाएं (मृत्यु) | 10,427+ |
| रोजाना बच्चे मरे | लगभग 28 प्रति दिन |
| कुल घायल | 1,50,000+ |
| बेघर आबादी | करीब 95% |
| क्षतिग्रस्त इमारतें | 105,800+ |
| स्कूल/संस्थान | 90% तबाह |
| खेत/कृषि भूमि | 98.5% खत्म |
| मलबे की मात्रा | 6 करोड़ टन+ |
| पुनर्निर्माण लागत | 24 अरब डॉलर+ |
ये आंकड़े केवल नंबर नहीं हैं, बल्कि हर नंबर के पीछे इंसानी जीवन का गहरा दर्द छिपा है.
मलबे का ढेर, उजड़े सपने
गाजा के लगभग हर कोने में मलबे का ढेर है. विश्व बैंक और UNDP के अनुसार 105,800 से अधिक इमारतें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं. 90% घर अब रहने लायक नहीं हैं, और 95% बहुमंजिला इमारतें ध्वस्त हो चुकी हैं. स्कूल, अस्पताल, बाजार और मस्जिदें बची ही नहीं. 6 करोड़ टन से अधिक मलबा फैल चुका है. केवल मलबा हटाने में 12–15 साल लग सकते हैं, अगर भविष्य में कोई और संघर्ष न हो.
बच्चों पर सबसे बड़ा कहर
गाजा में बच्चों का जीवन सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. हर घंटे एक बच्चे की मौत हुई, और रोजाना लगभग 28 बच्चों की जान चली गई. 20 हज़ार से अधिक बच्चे मारे जा चुके हैं. भूख, इलाज की कमी और बमबारी ने उन्हें सबसे अधिक प्रभावित किया. करीब 12,000 बच्चे गंभीर कुपोषण से जूझ रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अगर मदद नहीं पहुंची, तो अगले 48 घंटों में 14,000 बच्चों की जान जोखिम में होगी.
महिलाओं और बुजुर्गों की दुर्दशा
मरने वालों में महिलाओं की संख्या लगभग 16% रही. 4,800 से अधिक बुजुर्ग मौत के शिकार हुए. 90% लोग कम-से-कम एक बार अपने घरों से उजड़ चुके हैं और अब भी टेंट या अस्थायी कैंपों में रहने को मजबूर हैं. यह आंकड़ा गाजा में जीवन की कठिनाइयों और अनिश्चितता को स्पष्ट करता है.
जीवन-जीविका: रोजमर्रा की कठिनाइयां
गाजा में रोजमर्रा का जीवन लगभग असंभव हो गया है. पानी, बिजली, भोजन और दवा सभी की भारी कमी है. स्कूल, कॉलेज, और दफ्तर सब तबाह हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई ठप हो गई है. हज़ारों जख्मी इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं. नई पीढ़ी बर्बादी, डर और मानसिक तनाव में जी रही है. मानवता की इन आंखों के सामने गाजा की वास्तविकता बेहद दर्दनाक है.
संघर्षविराम के बाद की उम्मीद
अक्टूबर 2025 में इजराइल और हमास के बीच संघर्षविराम हुआ. अमेरिकी राष्ट्रपति की मध्यस्थता से बंधकों की रिहाई, सेना की हटन और मानवता राहत बढ़ाने के वादे हुए. लेकिन संघर्षविराम के बाद भी इजराइली हमले बंद नहीं हुए, और 30 नागरिकों की जान चली गई.
बार-बार उजड़ती जिंदगियां
दो साल में 90% लोग कई बार बेघर हुए. टेंटों और अस्थायी आश्रयों में रहने की मजबूरी ने पूरे समुदाय को मानसिक और भौतिक रूप से कमजोर कर दिया. पुनर्निर्माण की संभावना अभी धूमिल है और विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि कम से कम 12-15 साल तक कुछ भी खड़ा करना असंभव होगा.
खर्चा और पुनर्निर्माण: क्या फिर बसेगा गाजा?
गाजा के पुनर्निर्माण की लागत लगभग 24 अरब डॉलर है, जो फिलिस्तीन की सालाना GDP का चार गुना है. केवल मलबा हटाना ही इतना महंगा है कि इसमें 10-15 साल लग सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि गाजा का जीवन फिर से पटरी पर आना अभी तक कोई गारंटी नहीं है.
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और सहायता
संयुक्त राष्ट्र, यूनीसेफ, WHO और अन्य मानवाधिकार संगठनों ने इसे “मानवता की सबसे बड़ी आपदा” करार दिया है. 150 से अधिक संगठन युद्ध बंद करने और राहत पहुंचाने की अपील कर चुके हैं. हालात को देखते हुए यह स्पष्ट हो गया है कि गाजा में मानवाधिकार संकट बेहद गंभीर है और राहत सामग्री की गति बेहद धीमी है.
कौन जीता, कौन हारा?
गाजा विश्व को यह चेतावनी दे रहा है कि युद्ध का असली दाव इंसान, बच्चे, समाज और भविष्य पर पड़ता है. संघर्षविराम की हल्की आशा भले बनी हो, लेकिन गाजा के मलबे में दबे हर चीख ने मानवता को स्थायी सबक दिया है. आशा की जाती है कि एक दिन गाजा फिर से जीवित होगा, लेकिन यह दिन अभी दूर है. दुनिया की आंखें अब भी उन आंसुओं से भीगी हैं, जिनसे गाजा की राख नम है.















