ये 12 डेली हैबिट्स मेटाबॉलिज़्म को कर देती है स्लो, न्यूट्रिशनिस्ट ने दी बदलाव की चेतावनी
Authored By: Galgotias Times Bureau
Published On: Friday, November 28, 2025
Updated On: Friday, November 28, 2025
लोग वर्कआउट करते समय खुद को लगातार धकेलते हैं, लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा एक्सरसाइज़ मेटाबॉलिज़्म को नुकसान पहुँचा सकता है. धीमे मेटाबॉलिज़्म के लिए अक्सर उम्र या हार्मोन को दोषी ठहराया जाता है, जबकि असली वजह हमारी रोजमर्रा की आदतें होती हैं, जो शरीर की ऊर्जा और भूख को प्रभावित करती हैं.
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Updated On: Friday, November 28, 2025
Daily Habits Slow Metabolism: लोग वर्कआउट करते समय खूब मेहनत करते हैं, फिट दिखने, चर्बी कम करने और अच्छा महसूस करने के लिए, लेकिन सच यह है कि जरूरत से ज़्यादा वर्कआउट करना आपके मेटाबॉलिज़्म को नुकसान पहुँचा सकता है. अक्सर हम धीमे मेटाबॉलिज़्म का कारण उम्र, जेनेटिक्स या हार्मोन को मानते हैं, जबकि असली वजह हमारी रोज़ की आदतें होती हैं.
पोषण विशेषज्ञ माधवी शिल्पी के अनुसार, मेटाबॉलिज़्म कोई बटन नहीं है जिसे आप चाहें तो चालू या बंद कर दें. यह आपकी खाने, व्यायाम, नींद और आराम की आदतों पर चलता है. अगर ये गड़बड़ हो जाएँ, तो आपके ऊर्जा स्तर और भूख दोनों प्रभावित होते हैं.
नाश्ते में प्रोटीन न लेना
बहुत लोग सुबह हल्का नाश्ता कर लेते हैं, जैसे सिर्फ टोस्ट या मीठे सीरियल. ऐसे खाने से ब्लड शुगर जल्दी बढ़ता है और बाद में भूख भी जल्दी लग जाती है. अगर आप सुबह प्रोटीन नहीं लेते, तो थकान और चिड़चिड़ापन भी हो सकता है. पोषण विशेषज्ञ कहती हैं कि प्रोटीन ब्लड शुगर को संतुलित रखता है और आपको देर तक भरा हुआ महसूस कराता है. इसलिए मीठे विकल्पों की जगह अंडे वाला टोस्ट, अंडे का रैप या टोफू भुर्जी लें. इससे सुबह भर आपकी ऊर्जा बनी रहेगी और सुस्ती भी नहीं आएगी.
रात में बहुत देर से खाना
कई लोग समय की कमी या आदत की वजह से रात को बहुत देर से खाना खा लेते हैं. सोने से ठीक पहले भारी भोजन करने से शरीर को आराम करने के बजाय खाना पचाने में ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे नींद भी खराब हो सकती है. मेटाबॉलिक हेल्थ कोच सलाह देते हैं कि रात का खाना सोने से कम से कम 2–3 घंटे पहले खा लेना चाहिए. रात में हल्का खाना खाएँ, जैसे सब्ज़ियों के साथ ग्रिल्ड पनीर, टोफू या एक कटोरी सूप. इससे शरीर को रात भर आराम, रिकवरी और बेहतर मेटाबॉलिज़्म पर ध्यान देने में मदद मिलती है.
पूरे दिन स्नैक्स खाते रहना
दिन में थोड़े-थोड़े स्नैक्स खाना आम बात है, लेकिन अगर आप बार-बार कुछ न कुछ खाते रहते हैं, अगर वह हेल्दी ही क्यों न हो, तो आपका इंसुलिन लेवल बढ़ सकता है. इससे शरीर के लिए फैट बर्न करना मुश्किल हो जाता है. बार-बार फल या स्नैक्स खाने के बजाय इस बात पर ध्यान दें कि आपके मुख्य भोजन में प्रोटीन, फाइबर और हेल्दी फैट अच्छी मात्रा में हों. माधवी कहती हैं, ‘अगर आपका खाना पोषक तत्वों से भरपूर है, तो आप 4–5 घंटे तक बिना स्नैक्स के आराम से रह सकते हैं. ‘
पैकेज्ड ‘हेल्दी’ खाद्य पदार्थों पर भरोसा करना
कई पैकेज्ड स्नैक्स दिखने में हेल्दी लगते हैं, लेकिन उनमें अक्सर छिपी हुई चीनी और प्रिज़र्वेटिव होते हैं, जो मेटाबॉलिज़्म के लिए ठीक नहीं होते. प्रोटीन बार, फ्लेवर्ड योगर्ट या मार्केट के हेल्दी स्नैक्स की बजाय असली और ताज़ा खाना चुनें. जैसे–दाल-चावल, सलाद, या सब्ज़ियों का स्टर-फ्राई.
एक आसान तरीका याद रखें: अगर आपकी परदादी इसे ‘खाना’ नहीं मानतीं, तो शायद आपका शरीर भी इसे अच्छे से नहीं पहचान पाएगा. ताज़ा और सरल खाना हमेशा बेहतर होता है.
लंबे समय तक बैठे रहना
हममें से कई लोग घंटों तक डेस्क पर बैठे रहते हैं, जो सेहत के लिए अच्छा नहीं है. ज़्यादा देर बैठने से ब्लड शुगर बढ़ सकता है और मेटाबॉलिज़्म भी धीमा हो जाता है. शिल्पी की सलाह है कि हर घंटे 1–2 मिनट का छोटा ब्रेक लें, स्ट्रेच करें, खड़े हों या थोड़ी देर टहलें. फोन पर बात करते समय खड़े रहना, सीढ़ियाँ चढ़ना या हल्की-फुल्की मूवमेंट करना भी आपके दिन को सक्रिय बना सकता है और मेटाबॉलिज़्म को बेहतर बनाने में मदद करता है.
जरूरत से ज़्यादा वर्कआउट करना
वर्कआउट करना अच्छी बात है, लेकिन अपने शरीर पर बहुत ज़्यादा दबाव डालना या आराम के दिन न लेना नुकसान पहुँचा सकता है. बहुत ज़्यादा एक्सरसाइज़ करने से स्ट्रेस हार्मोन बढ़ जाते हैं, जिससे थकान, सूजन और ज्यादा भूख लग सकती है. माधवी कहती हैं, ‘शरीर तब बदलता है जब उसे सुरक्षा का एहसास होता है, सज़ा का नहीं. ‘
इसलिए अपने वर्कआउट में संतुलन रखें. हाई-इंटेंसिटी एक्सरसाइज़ के साथ योग, वॉक या आराम के दिन भी शामिल करें. इससे मांसपेशियाँ मजबूत होंगी और फैट लॉस भी बेहतर होगा.
बहुत कम या बहुत देर से सोना
कई लोग सोचते हैं कि देर रात तक जागने से काम ज्यादा होता है, लेकिन ऐसा नहीं है. कम नींद या देर से सोने से शरीर की प्राकृतिक लय बिगड़ जाती है. इससे इंसुलिन पर असर पड़ता है, भूख बढ़ती है और जंक फूड की craving भी हो सकती है.
पोषण विशेषज्ञ कहती हैं कि नियमित और पूरी नींद लेना बहुत ज़रूरी है. अच्छी नींद की आदतें अपनाएँ, जैसे समय पर सोना और समय पर उठना. अच्छी नींद लेने वाला शरीर वजन और भूख को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर पाता है.
कैफीन और तनाव पर ज्यादा निर्भर रहना
बहुत लोग सुबह की शुरुआत चाय या कॉफी से करते हैं, लेकिन अगर दिनभर बहुत ज्यादा कैफीन लिया जाए तो तनाव हार्मोन कोर्टिसोल बढ़ सकता है. इससे पेट के आसपास चर्बी जमा होने का खतरा बढ़ जाता है. मेटाबॉलिक हेल्थ कोच सलाह देते हैं कि कैफीन थोड़ा कम करें और उसकी जगह हर्बल टी या फ्लेवर्ड (इन्फ्यूज्ड) पानी पिएँ. यह आदत आपके शरीर को हाइड्रेट रखेगी, तनाव कम करेगी और आपको ज़्यादा प्राकृतिक ऊर्जा देगी.
आंत के स्वास्थ्य की अनदेखी करना
हमारी आंत का स्वास्थ्य पूरे शरीर और मेटाबॉलिज़्म के लिए बहुत ज़रूरी होता है. अगर पाचन ठीक नहीं है, तो थकान, मूड स्विंग और त्वचा की दिक्कतें हो सकती हैं. माधवी कहती हैं कि आंत को स्वस्थ रखने के लिए ज्यादा फाइबर वाले खाने, दही जैसे फ़र्मेंटेड फूड और रंग-बिरंगी सब्ज़ियाँ खानी चाहिए. जब आपकी आंत स्वस्थ रहती है, तो मेटाबॉलिज़्म बेहतर काम करता है और शरीर ज़्यादा ऊर्जावान और स्वस्थ महसूस करता है.
जल्दी-जल्दी खाना
बहुत जल्दी या भागते-भागते खाना पाचन के लिए अच्छा नहीं होता. इससे खाना ठीक से नहीं पचता और आप ज़रूरत से ज़्यादा खा सकते हैं. बेहतर है कि खाने के समय आराम से बैठें, धीरे-धीरे खाएँ और हर कौर का स्वाद लें. यह आदत आपके पाचन को सुधारती है और भूख को सही तरह से नियंत्रित करने में मदद करती है.
बहुत कम पानी पीना
अगर आप कम पानी पीते हैं, तो प्यास भी भूख जैसी लग सकती है और आप बेवजह स्नैक्स खाने लगते हैं. हाइड्रेटेड रहना बहुत जरूरी है, क्योंकि पानी मेटाबॉलिज़्म, पाचन, खून के बहाव और शरीर की सफाई में मदद करता है. दिन की शुरुआत एक गिलास पानी से करें और दिनभर थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें. चाहें तो पानी में नींबू या खीरे के स्लाइस डालकर उसका स्वाद भी बढ़ा सकते हैं.
रात में बहुत ज़्यादा स्क्रीन टाइम
आजकल हम रात में फोन, टीवी या लैपटॉप पर काफी समय बिताते हैं. इन स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी नींद के लिए जरूरी मेलाटोनिन हार्मोन को कम कर देती है. इससे नींद जल्दी नहीं आती और नींद की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है. बेहतर नींद के लिए सोने से 30–45 मिनट पहले सभी स्क्रीन बंद कर दें. इसकी जगह किताब पढ़ें या हल्का, सुकून देने वाला संगीत सुनें. इससे आपका दिमाग शांत होगा और नींद बेहतर आएगी.
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