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SEBI ने नॉमिनेशन नियमों में किए अहम बदलाव, जानें आप पर क्या होगा असर
SEBI ने नॉमिनेशन नियमों में किए अहम बदलाव, जानें आप पर क्या होगा असर
Authored By: Suman
Published On: Saturday, January 11, 2025
Last Updated On: Saturday, January 11, 2025
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्युचुअल फंडों और डीमैट खातों में नॉमिनेशन से जुड़े नियमों में अहम बदलाव किए हैं। सेबी ने कहा कि इन नियमों के द्वारा एक स्टैंडर्ड और यूनिफॉर्म प्रक्रिया बनाने की कोशिश की गई ताकि सिक्योरिटीज का आसानी से हस्तांतरण हो सके। ये नए नियम 1 मार्च 2025 से लागू होंगे।
Authored By: Suman
Last Updated On: Saturday, January 11, 2025
Mutual fund and Demat nominations: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्युचुअल फंडों और डीमैट खातों में नॉमिनेशन से जुड़े नियमों में अहम बदलाव किए हैं। इन बदलावों का सभी म्यूचुअल फंड और डीमैट खाताधारकों पर असर होगा, इसलिए आपको इनके बारे में पूरी जानकारी रखनी चाहिए।
नए नियमों के मुताबिक अब निवेशक अपने डीमैट खाते या म्यूचुअल फंड फोलियो (Mutual fund folio) में 10 लोगों को नॉमिनी बना सकेंगे। यही नहीं, सेबी ने अब नॉमिनीज के लिए नियम भी कठोर बना दिए हैं। अब निवेशकों को किसी को नॉमिनी बनाने के लिए उसका पैन (PAN) , आधार (Aadhar) या ड्राइविंग लाइसेंस (DL) जैसा डिटेल जमा करना होगा यानी एक तरह से नॉमिनी की केवाईसी (KYC) भी होगी। उन्हें नॉमिनी के संपूर्ण डिटेल मुहैया कराने होंगे, जिनमें आवासीय पता, ईमेल और फोन नंबर शामिल हैं। यानी एक तरह से नॉमिनी को भी केवाईसी भी प्रक्रिया से गुजरना होगा।
एक बढ़िया चीज यह हुई है कि अब कोई भी निवेशक अब अधिकतम 10 नॉमिनी बना सकता है और अपने एसेट की इन लोगों में हिस्सेदारी अपने हिसाब से तय कर सकता है। अगर कोई व्यक्ति कोई भी नॉमिनी नहीं रखना चाहता है तो उसे या तो फिजिकल रूप से जाकर इसके लिए एकनॉलेजमेंट देना होगा वीडियो रिकॉर्डेड मैसेज भेजना होगा। हर सिंगल होल्डिंग फोलियो या अकाउंट में नॉमिनी बनाना अनिवार्य होगा।
नियामक ने उन मामलों पर भी ध्यान दिया है जहां खाताधारक अक्षम होने के कारण अपने खातों को संचालित करने में असमर्थ हैं। सेबी ने म्यूचुअल फंड कंपनियों, डिपॉजिटरीज और अन्य इकाइयों से कहा है कि वे एक स्टैंडर्ड प्रॉसिजर बनाए ताकि ऐसे अक्षम खाताधारकों की तरफ से किसी और को अकाउंट संचालन का अधिकार दिया जा सके। इसके लिए दस्तावेजों का वेरिफिकेशन जरूरी होगा ताकि किसी तरह के दुरुपयोग को रोकना सुनिश्चित हो सके।
अगर कोई इनवेस्टर शारीरिक रूप से अक्षम हो गया तो म्यूचुअल फंड या शेयर ब्रोकर किसी एक नॉमिनी को निवेशक का अकाउंट चलाने का अधिकार देंगे। निवेशक यह तय कर सकेगा कि नॉमिनी किसी फोलियो या अकाउंट से कितनी राशि तक भुना सकता है। शेयर बाजार और म्यूचुअल फंडों में पड़ी करोड़ों रुपये की अनक्लेम्ड राशि को कम करने के लिहाज से रेगुलेटर ने यह कदम उठाए हैं।
नए नियमों के मुताबिक अगर डीमैट या म्यूचुअल फंड के मामले में कोई जॉइंट अकाउंट है तो एक खाताधारक की मौत पर स्वाभाविक रूप से इस खाते की रकम दूसरे खाताधारक के खाते में ट्रांसफर हो जाएगी। अगर सभी जॉइंट खाताधारकों की मौत हो जाती है तो खाते की रकम नॉमिनीज को मिलेगी। इससे किसी अकाउंट होल्डर की मौत होने पर उसके एसेट ट्रांसफर की प्रक्रिया सरल होगी और ज्यादा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
अगर अकाउंट में कोई नॉमिनी नहीं है तो कुछ कानूनी प्रक्रियाओं के बाद एसेट खाताधारकोें के कानूनी वारिसों या प्रतिनिधियों को मिल जाएगा। लेकिन नॉमिनीज को एसेट हासिल करने के लिए फिर से केवाईसी प्रक्रिया से गुजरना होगा।
सेबी ने कहा कि इन नियमों के द्वारा एक स्टैंडर्ड और यूनिफॉर्म प्रक्रिया बनाने की कोशिश की गई ताकि सिक्योरिटीज का आसानी से हस्तांतरण हो सके। ये नए नियम 1 मार्च 2025 से लागू होंगे।