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सीमांचल की इन 24 सीटों पर सियासी दांव-पेंच, किसका खेल बिगाड़ेंगे ओवैसी?
सीमांचल की इन 24 सीटों पर सियासी दांव-पेंच, किसका खेल बिगाड़ेंगे ओवैसी?
Authored By: सतीश झा
Published On: Sunday, July 6, 2025
Last Updated On: Sunday, July 6, 2025
बिहार की राजनीति में सीमांचल क्षेत्र एक बार फिर से चर्चा में है. राज्य के इस मुस्लिम बहुल इलाके की 24 विधानसभा सीटों पर सियासी हलचल तेज हो गई है. इन सीटों पर सभी प्रमुख दलों की नजरें टिकी हैं, लेकिन इस बार सबसे बड़ी चर्चा का केंद्र बने हैं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi).
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Sunday, July 6, 2025
सीमांचल के चार जिले पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज में 24 विधानसभा क्षेत्रों में करीब 60 लाख मतदाता इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) ने एक नया सियासी दांव चला है—महागठबंधन में शामिल होने की पेशकश. यह पेशकश ऐसे वक्त में आई है जब राजद (RJD) और कांग्रेस (Congress) सीमांचल की सीटों को अपने पारंपरिक आधार के रूप में देखते हैं और चुनावी रणनीति उसी अनुसार तैयार कर रहे हैं. इन दलों की चिंता यह है कि AIMIM की सक्रियता से मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो सकता है, जिससे विपक्षी एकता कमजोर हो सकती है. भाजपा को अप्रत्यक्ष लाभ मिल सकता है. सीमांचल की कई सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. AIMIM, राजद, कांग्रेस और माले—चारों दल इन्हीं वोटों के इर्द-गिर्द अपनी रणनीति बना रहे हैं. लेकिन AIMIM की यह नई चाल अन्य दलों की गणनाओं को गड़बड़ा सकती है.
ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पहले भी सीमांचल की जमीन पर असर दिखा चुकी है। 2020 के विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में पार्टी ने यहां 5 सीटों पर जीत दर्ज कर सभी को चौंका दिया था. हालांकि बाद में चार विधायक टूटकर राजद (RJD) में शामिल हो गए, लेकिन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने यह साबित कर दिया कि सीमांचल में उनकी पार्टी एक अहम फैक्टर बन सकती है.
किसका खेल बिगाड़ सकते हैं ओवैसी?
सीमांचल की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि अगर ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने इस बार भी यहां पूरी ताकत झोंकी, तो राजद (RJD) और कांग्रेस (Congress) को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है. सीमांचल पारंपरिक रूप से राजद और कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहा है, लेकिन एआईएमआईएम के आने से मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो सकता है, जिससे भाजपा को अप्रत्यक्ष फायदा हो सकता है.
AIMIM की पेशकश और मंशा
ओवैसी की पार्टी की ओर से महागठबंधन में शामिल होने की पेशकश को विश्लेषक एक रणनीतिक पैंतरा मान रहे हैं. यह एक ऐसी चाल हो सकती है जिससे या तो पार्टी को महागठबंधन में जगह मिले, या फिर उसे इनकार कर दिया जाए. वह मुस्लिम वोटों में सहानुभूति बटोर सके. AIMIM की मंशा सीमांचल में अपनी पकड़ मजबूत करने और राजनीतिक मुख्यधारा में जगह बनाने की है.
ओवैसी की रणनीति
बताया जा रहा है कि ओवैसी (Asaduddin Owaisi) सीमांचल की सभी 24 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी में हैं. पार्टी स्थानीय नेताओं को सक्रिय कर रही है और मुस्लिम युवाओं के बीच सोशल मीडिया के जरिये अपनी पकड़ मजबूत बना रही है. सीमांचल के कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया और अररिया जिलों में AIMIM का फोकस सबसे ज्यादा है.
विपक्षी दलों की चिंता
राजद और कांग्रेस की चिंता यह है कि अगर मुस्लिम वोट AIMIM की तरफ झुकते हैं, तो उन्हें कई सीटों पर सीधी हार का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए अब इन दलों के नेता भी सीमांचल में डेरा डालने की तैयारी कर रहे हैं और ओवैसी के प्रभाव को कम करने की रणनीति बना रहे हैं।
सीमांचल की 24 विधानसभा सीटें इस बार सियासी उलटफेर का कारण बन सकती हैं. अगर ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने यहां दोबारा असर दिखाया, तो यह बिहार की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे सकता है. अब देखना दिलचस्प होगा कि सीमांचल में किसका जनाधार मजबूत होता है और किसका खेल बिगड़ता है.