Father’s Day 2025: फादर्स डे कब और क्यों सेलिब्रेट किया जाता है? जानिए इतिहास, महत्व और जश्न के खास तरीके
Father’s Day 2025: फादर्स डे कब और क्यों सेलिब्रेट किया जाता है? जानिए इतिहास, महत्व और जश्न के खास तरीके
Authored By: Nishant Singh
Published On: Saturday, June 14, 2025
Updated On: Saturday, June 14, 2025
Father’s Day 2025 इस साल 15 जून रविवार को मनाया जा रहा है, और यह मौका होता है उन खास पलों को याद करने का जब हमारे पापा ने बिना कहे हमारे लिए सब कुछ किया. लेकिन क्या आप जानते हैं फादर्स डे कब, क्यों और कैसे सेलिब्रेट किया जाता है? आइए जानें इसके पीछे की कहानी, इसका महत्व और इस साल पापा को स्पेशल फील कराने के शानदार तरीके.
Authored By: Nishant Singh
Updated On: Saturday, June 14, 2025
हर इंसान की ज़िंदगी में एक ऐसा शख़्स होता है जो बिना कुछ कहे सारी ज़िम्मेदारियां निभाता है, जो छांव बनकर हर तूफ़ान से बचाता है , वो है “पिता”. फादर्स डे उसी निःस्वार्थ प्रेम, त्याग और समर्पण को सम्मान देने का एक खास दिन है. जब हम मां के स्नेह की बात करते हैं, तो पिता की चुपचाप दी गई सीखें और संघर्ष कहीं पीछे छूट जाती हैं. फादर्स डे का उद्देश्य है उन अनकहे जज़्बातों को शब्द देना, उन पलों को महसूस करना जो अक्सर नजरअंदाज हो जाते हैं. इस साल फादर्स डे (Father’s Day 2025) 15 जून को मनाया जा रहा है, जो पिताओं के सम्मान का एक सुनहरा अवसर है. यह लेख न केवल फादर्स डे के इतिहास और महत्व को उजागर करेगा, बल्कि यह भी बताएगा कि इस दिन को खास कैसे बनाया जा सकता है. आइए, इस खूबसूरत रिश्ते को और गहराई से समझते हैं.
फादर्स डे कब मनाया जाता है? (When is Father’s Day Celebrated?
Father’s Day एक ऐसा खास दिन है जो हमारे जीवन के सबसे मजबूत लेकिन सबसे शांत रिश्ते , “पिता” , को समर्पित होता है. यह हर साल जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है. इस साल फादर्स डे 15 जून 2025 को मनाया जा रहा है यह दिन हमें मौका देता है कि हम अपने पापा के प्रति प्यार, सम्मान और आभार जाहिर कर सकें. पिता वो इंसान होते हैं जो हमारे सपनों को पूरा करने के लिए अपने सपनों की कुर्बानी देते हैं. फादर्स डे पर हम उन्हें यह महसूस कराते हैं कि हम उनके त्याग और परिश्रम को समझते हैं और उनसे कितना प्यार करते हैं. यह दिन सिर्फ उपहार देने या सेलिब्रेशन करने का नहीं, बल्कि भावनाओं को ज़ाहिर करने का एक जरिया है , जो शब्दों में कम और दिल में ज़्यादा महसूस होता है.
फादर्स डे का इतिहास (History of Father’s Day)

फादर्स डे की शुरुआत 20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिका से हुई थी. इसकी प्रेरणा सोनोरा स्मार्ट डॉड नाम की महिला से मिली, जिन्होंने अपने पिता के संघर्ष और सिंगल पेरेंट होने की भूमिका को सम्मान देने के लिए इस दिन की कल्पना की.
सोनोरा के पिता ने अकेले ही छह बच्चों की परवरिश की थी, जिससे वे बेहद प्रभावित थीं.
- पहली बार फादर्स डे 19 जून 1910 को वॉशिंगटन में मनाया गया.
- 1966 में अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने इसे आधिकारिक रूप से जून के तीसरे रविवार को मनाने की घोषणा की.
- 1972 में इसे राष्ट्रीय मान्यता मिली.
आज फादर्स डे एक वैश्विक पर्व बन चुका है, जो पितृत्व के महत्व को सम्मान देता है.
दुनिया भर में फादर्स डे कैसे मनाया जाता है? (How is Father’s Day Celebrated Around the World?)
फादर्स डे पूरी दुनिया में अलग-अलग अंदाज़ में मनाया जाता है. हर देश की संस्कृति और परंपरा इसे एक अनोखा रंग देती है. कहीं यह दिन पारिवारिक मेल-जोल और खाने-पीने के साथ मनाया जाता है, तो कहीं इसे पिताओं के लिए छुट्टी या सम्मान समारोह के रूप में देखा जाता है. इस दिन बच्चे अपने पिताओं को गिफ्ट देते हैं, उनके लिए कुछ खास तैयार करते हैं या बस कुछ समय साथ बिताते हैं. अलग-अलग तारीखों और तरीकों से मनाए जाने के बावजूद इस दिन की भावना एक ही है , “पिता के प्रति प्रेम और सम्मान”. यह विविधता दिखाती है कि पितृत्व का सम्मान एक वैश्विक भावना है, जो हर दिल को छू जाती है.
- अमेरिका, भारत, ब्रिटेन में इसे जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है.
- थाईलैंड में यह 5 दिसंबर को राजा के जन्मदिन पर मनाया जाता है.
- जर्मनी में इसे “Men’s Day” के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है.
- ऑस्ट्रेलिया में यह सितंबर के पहले रविवार को मनाया जाता है.
हर देश की संस्कृति में यह दिन पिता को सम्मान और प्यार देने का अनोखा जरिया है.
भारत में फादर्स डे (Father’s Day in India)
भारत में फादर्स डे एक आधुनिक परंपरा के रूप में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, खासकर युवाओं और शहरी परिवारों के बीच. भले ही यह पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित हो, लेकिन भारतीय भावनाओं और पारिवारिक मूल्यों से इसका गहरा जुड़ाव है. इस दिन बच्चे अपने पिता के लिए छोटे उपहार लाते हैं, उनके साथ समय बिताते हैं और सोशल मीडिया पर प्यार भरे मैसेज पोस्ट करते हैं. स्कूलों में बच्चों को कार्ड बनाना, कविता लिखना या भाषण देना सिखाया जाता है. आधुनिक दौर में यह दिन रिश्तों को और मजबूत बनाने का अवसर बन चुका है, जहां पिता की भूमिका को खुलकर सराहा जाता है.
- तारीख: जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है.
- गृह-उत्सव: बच्चे घर पर ग्रीटिंग कार्ड, गिफ्ट्स और सरप्राइज़ प्लान करते हैं.
- स्कूलों में आयोजन: निबंध, ड्राइंग, भाषण प्रतियोगिताएं होती हैं.
- सोशल मीडिया: पिता को टैग कर प्यार भरे मैसेज और तस्वीरें शेयर की जाती हैं.
- भावनात्मक जुड़ाव: यह दिन भारतीय मूल्यों से मेल खाता है , जहां पितृ-सम्मान बहुत महत्वपूर्ण है.
पिताओं की समाज में भूमिका (Role of Fathers in Society)

पिता एक ऐसा व्यक्तित्व होते हैं जो परिवार की रीढ़ की हड्डी की तरह होते हैं , मजबूत, स्थिर और सहारा देने वाले. वे केवल घर चलाने वाले नहीं, बल्कि बच्चों के पहले शिक्षक, मार्गदर्शक और जीवन के प्रेरक भी होते हैं. समाज में पिता की भूमिका वर्षों से बदलती रही है , पहले वे केवल कमाने तक सीमित माने जाते थे, लेकिन अब वे घर और बच्चों की परवरिश में बराबरी से भागीदारी निभा रहे हैं. वे भावनात्मक सुरक्षा, नैतिक शिक्षा और आत्मविश्वास की नींव रखते हैं. आज के युग में पिताओं की भूमिका और अधिक व्यापक और संवेदनशील बन गई है.
- पारिवारिक भूमिका (Family Role)- पिता परिवार के प्रमुख सहारा होते हैं. वे निर्णय लेने, अनुशासन बनाए रखने और सभी को जोड़कर रखने का कार्य करते हैं. उनका धैर्य और स्थिरता पूरे परिवार को सुरक्षा का अहसास कराते हैं.
- शैक्षिक व नैतिक मार्गदर्शन (Educational & Moral Guidance)- बच्चे सबसे पहले अपने पिता से ही जीवन के मूल्य और व्यवहार सीखते हैं. वे प्रेरणा देते हैं, कठिनाइयों में संबल बनते हैं और आत्मनिर्भरता सिखाते हैं. पिता की सीखें बच्चों की सोच और जीवन की दिशा तय करती हैं.
- सामाजिक भूमिका (Social Role)- पिता समाज में एक ज़िम्मेदार नागरिक का आदर्श प्रस्तुत करते हैं. वे बच्चों को समाज की जिम्मेदारियां, सहयोग और संवेदनशीलता सिखाते हैं. उनके व्यवहार से बच्चे सामाजिक मूल्यों को अपनाते हैं.
- भावनात्मक सहारा (Emotional Support)- भले ही वे कम बोलें, लेकिन उनका साथ बच्चों को भावनात्मक मजबूती देता है. वे बच्चों की भावनाओं को समझते हैं और सही समय पर सही सलाह देते हैं. आज के समय में पिता खुलकर अपने बच्चों के साथ भावनाएं साझा कर रहे हैं.
- आधुनिक युग में बदलती भूमिका (Changing Role in Modern Times)- अब पिता सिर्फ कमाने वाले नहीं, बल्कि बच्चों की परवरिश में सक्रिय भागीदार हैं. वे घर के कामों में हाथ बंटाते हैं, बच्चों को स्कूल छोड़ने, पढ़ाने तक में मदद करते हैं. इससे बच्चों में समानता और सहयोग की भावना विकसित होती है.
फादर्स डे कैसे मनाएं? (Celebration Ideas)
फादर्स डे मनाना सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि अपने पिता को यह महसूस कराने का मौका है कि वे हमारे लिए कितने खास हैं. यह दिन उनके चेहरे पर मुस्कान लाने और उनका दिल छूने का अवसर है. आप उन्हें कोई ऐसा तोहफ़ा दे सकते हैं जो उनके शौक से जुड़ा हो या उनके लिए कोई प्यारा-सा सरप्राइज़ प्लान कर सकते हैं. ज़रूरी नहीं कि celebration महंगा हो , एक सच्चा “धन्यवाद” और थोड़ा साथ बिताया वक्त भी उन्हें बेहद खुश कर सकता है. घर पर छोटा-सा आयोजन या सिर्फ एक शांत दोपहर की चाय भी उनके लिए अनमोल हो सकती है.
फादर्स डे सेलिब्रेशन के आसान और खास आइडियाज:
- उनके लिए हाथ से बना कार्ड या प्यारा सा खत लिखें.
- मनपसंद खाना घर पर बनाकर उन्हें सरप्राइज़ दें.
- उनके बचपन या जवानी की यादों की फोटो एलबम तैयार करें.
- पूरा दिन साथ बिताएंफ , कोई मूवी देखें, गाना सुनें या टहलें.
- अगर दूर हैं तो वीडियो कॉल पर भावनाएं साझा करें.
- उनका मनपसंद गिफ्ट दें, जैसे किताब, घड़ी, या कोई DIY आइटम.
बच्चों के जीवन में पिता का महत्व (Importance of Fathers in Children’s Lives)

पिता बच्चों के जीवन की वो मजबूत नींव होते हैं, जिन पर उनका पूरा भविष्य खड़ा होता है. वे सिर्फ पालन-पोषण करने वाले नहीं, बल्कि बच्चों के पहले हीरो, मार्गदर्शक और संरक्षक भी होते हैं. पिता का व्यवहार, उनकी सोच और निर्णय बच्चों के सोचने और जीने के तरीके को गहराई से प्रभावित करता है. जब बच्चे किसी मुश्किल में होते हैं, तो पिता का मार्गदर्शन उन्हें रास्ता दिखाता है. उनका अनुशासन बच्चों को सही-गलत की पहचान सिखाता है और उनकी प्रेरणा आत्मविश्वास का आधार बनती है. पिता का साथ बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत और सामाजिक रूप से जिम्मेदार बनाता है.
- मार्गदर्शक: जीवन के हर मोड़ पर सही दिशा दिखाते हैं.
- अनुशासनकर्ता: समय, आदतों और व्यवहार में संतुलन सिखाते हैं.
- प्रेरणा स्रोत: अपने संघर्षों और मेहनत से बच्चों को प्रेरित करते हैं.
- संरक्षक: हर मुश्किल में ढाल बनकर खड़े रहते हैं.
- भावनात्मक सहारा: चुपचाप बच्चों की चिंता करते हैं और उन्हें मजबूत बनाते हैं.
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