आम (Mango) खाने को जी ललचाए तो क्या करें

आम (Mango) खाने को जी ललचाए तो क्या करें

Authored By: ओम दत्त

Published On: Saturday, May 25, 2024

Updated On: Wednesday, February 5, 2025

ripe mangoes
ripe mangoes

इन दिनों फलों के राजा आम की बहार हर तरफ दिखने लगा है। तरह-तरह के आम लुभा रहे हैं। ऐसे में आम खाने से खुद को रोक पाना संभव नहीं लगता। पर ध्यान रखें कि जो आम आप खाने जा रहे हैं, उसे कहीं कार्बाइड से तो नहीं पकाया गया है। ऐसे आम को खाने से पहले विशेष सावधानी रखने की जरूरत है, अन्यथा सेहत संबंधी गंभीर परेशानियां हो सकती हैं। स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा होने के कारण कार्बाइड से पकाये फलों को बेचने पर सरकार ने तो प्रतिबंध लगा दिया है, इसके बावजूद इस तरह से पकाये गये आम बाजार में धडल्ले से बिक रहे हैं...

Authored By: ओम दत्त

Updated On: Wednesday, February 5, 2025

  • आप जो आम खाने जा रहे हैं, वह कहीं कार्बाइड से तो नहीं पकाया गया है। इसकी जांच परख अच्छी तरह कर लें।
  • बेहतर होगा कि आम खाने से पहले उसे अच्छी तरह उपचारित कर लें यानी धोकर साफ कर लें, ताकि उसका कम से कम दुष्प्रभाव हो।
  • प्राकृतिक रूप से और डाल का पका आम स्वाद और सेहत के लिए होता है सबसे उपयुक्त।
  • कार्बाइड से पका आम खाने पर पेट दर्द, पेचिश-दस्त, पेट में मरोड, बदहजमी, अपच, त्वचा में खुजली के अलावा कैंसर जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

आपको बता दें कि बाजार में पीले और चमकदार, सुंदर दीखने वाले आम कैल्शियम कार्बाइड से क‌त्रिम ढंग से पकाये गये हो सकते हैं। अगर आप ऐसा आम खाते हैं तो इसके दुष्प्रभावों के बारे में जानकर आपको हैरत होगी। इससे पेट दर्द, अपच, बदहजमी, खुजली, चकत्ते और एलर्जी तो हो सकती ही है लेकिन इससे बड़ी बात कि कार्बाइड से पके आम कैंसर के कारक होने के साथ, लिवर और किडनी को भी खराब सकते हैं।

इन्हीं खतरों के कारण, देश के खाद्य नियामक एफएसएसएआई (Food Safety and Standards Authority of India -FSSAI) ने खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम, 2011 (बिक्री पर निषेध और प्रतिबंध) के विनियमन 2.3.5 के तहत फलों जिसमें आम भी है,को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

एफएसएसएआई अधिनियम, 2006 के प्रावधानों और उसके तहत बनाए गए नियमों/विनियमों के अंतर्गत एसिटिलीन गैस, जिसे आमतौर पर कार्बाइड गैस के रूप में जाना जाता है, के द्वारा कृत्रिम रूप से पकाये गये फलों विशेषकर आम की बिक्री करने पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिये गये हैं।

कैल्शियम कार्बाइड क्या है और कैसे ये फलों को पकाने का काम करता है

समय से पहले पके आम बेचकर अधिक मुनाफे की लालच मे़ आम के व्यापारी अक्सर कच्चे आमों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड नाम के पाउडर का इस्तेमाल करते हैं। एफएसएसएआई के अनुसार इसे ‘मसाला’ के नाम से भी जाना जाता है।

कैल्शियम कार्बाइड रासायनिक पदार्थ है, जो फलों की नमी व पानी से क्रिया करके इथाइल गैस बनाता है। यह एसिटिलीन गैस(C2H2) छोड़ता है, जिसमें आर्सेनिक और फास्फोरस के हानिकारक अंश होते हैं।

एथिलीन तो दरअसल एक तरह का प्लांट हार्मोन है जो आम के गूदे में परिपक्वता लाने में मदद करता है जबकि एसिटिलीन गूदे को पकाने से पहले आम के छिलकों को पका देता है। जब कैल्शियम कार्बाइड से एसिटिलीन का निर्माण होता है तो एसिटिलीन गैस फलों को पकाने का काम करती है। इसकी गतिविधि एथिलीन के समान है, जो एक प्राकृतिक हार्मोन है जो फल स्वयं उत्पन्न करता है। पके फल इस गैस को खुद ही बनाते हैं। यही कारण है कि जब आप उन्हें अन्य फलों के साथ रखते हैं तो कुछ फल जल्दी पक जाते हैं, इससे आम की त्वचा हरी से पीली हो जाती है।

कई जगह आमों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के बजाए एथिलीन का प्रयोग किया जाता है लेकिन महंगा होने की वजह से अक्सर विक्रेता कैल्शियम कार्बाइड का ही इस्तेमाल कर रहे हैं।

एसिटिलीन क्यों है खतरनाक

आपको बताते चलें कि एसिटिलीन का उपयोग वेल्डिंग और काटने के लिए किया जाता है। एसिटिलीन गैस को उच्च स्तर की ज्वलनशीलता, साथ ही अस्थिरता के रूप में पहचाना जाता है। एक अस्थिर, ज्वलनशील गैस होने के कारण, एसिटिलीन विघटित हो सकता है और गंभीर खतरे पैदा कर सकता है और ये मानव शरीर के तंत्रिका तंत्र पर खासा प्रभाव डाल सकती हैं।

किसानों के लिये भी खतरा

कैल्शियम कार्बाइड के खतरनाक दुष्प्रभाव माने जाते हैं, लेकिन यह उन कृषि श्रमिकों के लिए भी बड़ी चिंता का विषय है जो इसके सीधे संपर्क में आते हैं। इसके अतिरिक्त, एसिटिलीन गैस पर्यावरण और इसका रखरखाव करने वालों के लिए भी उतनी ही खतरनाक है।

कृत्रिम रूप से फलों को पकाने के लिए- एथिलीन के इस्तेमाल की दी है अनुमति

प्रतिबंधित कैल्शियम कार्बाइड के बड़े पैमाने पर उपयोग के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए, एफएसएसएआई ने भारत में फलों को पकाने के लिए एक सुरक्षित विकल्प के रूप में एथिलीन गैस का उपयोग करने अनुमति दी है। केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (सीआईबी और आरसी) ने आम और अन्य फलों को पकाने के लिए एथेफॉन 39% एसएल को मंजूरी दी है।

एथिलीन,फलों में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक हार्मोन है। एथिलीन गैस से उपचारित करने पर कच्चे फलों में प्राकृतिक रूप से पकने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जब तक कि फल स्वयं पर्याप्त मात्रा में एथिलीन का उत्पादन शुरू नहीं कर देता।

कार्बाइड से पके फलों की शिकायत आप कर सकते हैं

यदि उपभोक्ताओं द्वारा कैल्शियम कार्बाइड का कोई उपयोग या फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए पकाने वाले केमिकलों का उपयोग करने का कोई गलत तरीका देखा जाता है, तो ऐसे फल विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए इस मामले को संबंधित राज्य खाद्य सुरक्षा आयुक्तों को सूचना दी जा सकती है।

About the Author: ओम दत्त
ओम दत्त उत्तर प्रदेश के प्रमुख मीडिया आउटलेट गलगोटियाज टाइम्स के राज्य प्रमुख हैं। उत्तर प्रदेश के सभी जिलों से समाचारों और घटनाक्रमों को कवर करने के लिए एक बड़े संवाददाता नेटवर्क का नेतृत्व करते हैं। राज्य के विभिन्न हिस्सों से मिलने वाली खबरों पर नजर रखते हुए उचित प्राथमिकता देने और समयबद्ध रिपोर्टिंग सुनिश्चित करते हैं। उनकी विशेषता सही और निष्पक्ष पत्रकारिता को बढ़ावा देना और टीम को प्रेरित कर उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करना है।
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