Air Pollution causes Dementia : डिमेंशिया का जोखिम बढ़ा सकता है वायु प्रदूषण

Air Pollution causes Dementia : डिमेंशिया का जोखिम बढ़ा सकता है वायु प्रदूषण

Authored By: स्मिता

Published On: Friday, January 17, 2025

Updated On: Friday, January 17, 2025

Air pollution causes dementia, increased risk explained
Air pollution causes dementia, increased risk explained

इन दिनों वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट के बीच दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप 4 प्रतिबंध लागू कर गया है। ग्रैप 4 प्रतिबंध के अनुसार, दिल्ली में सभी निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध, गैर-ज़रूरी प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों का प्रवेश और स्कूल की कक्षाओं को हाइब्रिड मोड में अनिवार्य रूप से स्थानांतरित कर दिया गया है। हाल के कुछ शोध बताते हैं कि वायु प्रदूषण डिमेंशिया का कारण (Air Pollution causes Dementia) भी बन सकता है।

Authored By: स्मिता

Updated On: Friday, January 17, 2025

Air Pollution causes Dementia : यदि गूगल में सर्च किया जाए, तो वायु प्रदूषण और डिमेंशिया दोनों के बारे में सबसे अधिक चर्चा की जाती है। हाल के कुछ शोध बताते हैं कि वायु प्रदूषण डिमेंशिया का एक जोखिम कारक होता है। अगर गौर करें, तो निम्न और मध्यम आय वाले देशों में विकास कार्य अधिक होते हैं। इसके कारण वायु प्रदूषण भी अधिक होता है। यह ओल्ड एज व्यक्ति में कॉग्निटिव डिक्लाइन (cognitive decline) का कारण बन सकता है। यही बाद में डिमेंशिया का कारण (Air Pollution causes Dementia) बन सकता है। इसलिए वायु प्रदूषण पर नियंत्रण आवश्यक है।

 डिमेंशिया का संभावित जोखिम कारक (Dementia Risks)

न्यूरोलॉजी इंडिया जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, जब पोलूशन रेट 2.5 से अधिक हो जाता है और ओ 3 (O3) के संपर्क में आता है, तो यह डिमेंशिया का संभावित जोखिम कारक बन सकता है। हालांकि शोधकर्ताओं ने इस पर और अधिक शोध की जरूरत पर बल दिया है।जर्नल ऑफ़ अल्जाइमर डिजीज के शोध निष्कर्ष भी बताते हैं कि वायु प्रदूषकों के उच्च स्तर के संपर्क में आने से बुजुर्गों में कॉग्निटिव डिक्लाइन (Cognitive Decline) हो सकता है। दक्षिण कोरिया में प्रदूषकों पर किये गये शोध से भी यह बात सामने आई। अल्जाइमर सोसाइटी ऑफ़ यूके के अनुसार, संज्ञानात्मक हानि और मनोभ्रंश पर वायु प्रदूषण के प्रभाव पर कई अध्ययन किए गए। इन अध्ययनों से इस बात के सबूत मिलते हैं कि वायु प्रदूषण के सूक्ष्म कण मस्तिष्क में प्रवेश कर सकते हैं। वे डिमेंशिया के विकास में भूमिका निभा सकते हैं।

मैग्नेटाइट के कारण हानिकारक है पार्टिकुलेट मैटर   (particulate matter)

वायु प्रदूषण कई अलग-अलग घटकों से बना होता है। इनमें गैस, केमिकल कंपाउंड, मेटल और छोटे कण होते हैं, जिन्हें पार्टिकुलेट मैटर कहा जाता है। लंबे समय तक वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के संपर्क में रहना खतरनाक हो सकता है। यह फेफड़ों और हृदय को प्रभावित करती है। अधिकांश शोधों के अनुसार वायु प्रदूषण के एक घटक महीन कण या पीएम (particulate matter) 2.5 के रूप में जाना जाता है। ये छोटे कण मानव बाल की चौड़ाई से 40 गुना छोटे होते हैं। इसमें मैग्नेटाइट नामक लोहे का एक रूप पाया जाता है। चुंबकीय गुणों के कारण यह शरीर के लिए हानिकारक होता हैहै।

बढ़ जाती है अल्जाइमर होने की संभावना (Alzheimer’s disease)

ईंधन जलाने से मैग्नेटाइट के कण हवा में छोड़े जाते हैं। ये स्वाभाविक रूप से मस्तिष्क में भी उत्पन्न होते हैं। वर्ष 2016 में मेक्सिको सिटी और मैनचेस्टर में लोगों के मस्तिष्क के ऊतकों पर किए गए अध्ययन में इस बात की पुष्टि हुई कि वायु प्रदूषण से मैग्नेटाइट मस्तिष्क में जा सकता है। ये सूक्ष्म कण ब्लड फ्लो के माध्यम से या सीधे नाक की पतली परत के माध्यम से मस्तिष्क में प्रवेश कर सकते हैं। अल्जाइमर सोसाइटी के अनुसार, ये कण अल्जाइमर के मरीज के मस्तिष्क में भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि मैग्नेटाइट अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s disease) के विकास में शामिल हो सकता है। हालांकि अध्ययन यह सबूत नहीं दे पाया है कि मैग्नेटाइट मस्तिष्क कोशिकाओं की मृत्यु का कारण बन सकता है।

हो सकता है मेमोरी लॉस 

प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले चूहों और कुत्तों के अध्ययन से पता चलता है कि वायु प्रदूषण संज्ञानात्मक हानि से जुड़ा हो सकता है। प्रयोगशाला में देखा गया कि चूहे जब प्रदूषण के संपर्क में आये, तो उनके सीखने की क्षमता, स्मृति (memory loss) और मोटर कौशल (motor skill) जैसे गुण नकारात्मक रूप से प्रभावित हो गए। इंसानों पर किये गये कुछ अध्ययन दिखाते हैं कि जो लोग उच्च स्तर के प्रदूषकों के संपर्क में हैं, वे समय के साथ संज्ञानात्मक परीक्षणों पर खराब प्रदर्शन करते हैं। यह भी डिमेंशिया का कारण बन सकता है।

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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