हर तीसरा व्यक्ति कर रहा नशा, नशे की गिरफ्त में पीढ़ी को जागरूक करने के लिए नशा मुक्त भारत अभियान का हुआ शुभारम्भ

हर तीसरा व्यक्ति कर रहा नशा, नशे की गिरफ्त में पीढ़ी को जागरूक करने के लिए नशा मुक्त भारत अभियान का हुआ शुभारम्भ

Authored By: अंशु सिंह

Published On: Friday, August 30, 2024

Last Updated On: Sunday, April 27, 2025

Drug free india campaign
Drug free india campaign

देश में हर तीसरा व्यक्ति नशा कर रहा है। इसमें 15 से 25 वर्ष के युवाओं की बड़ी संख्या है। करीब साढ़े पांच हजार लोग किसी न किसी प्रकार का नशा कर रहे हैं। ये दर्शाता है कि यह समस्या कितनी गंभीर होती जा रही है। बच्चों एवं युवाओं को तमाम प्रकार के नशे से छुटकारा दिलाने, समाज में इसके प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से ही प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय एवं भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संयुक्त रूप से देशव्यापी नशा मुक्त अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में गुरुवार को नोएडा सेक्टर 26 स्थित सेवा केंद्र से इस अभियान का शुभारम्भ हुआ। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता (आर्थिक मामले) एवं वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने नशा मुक्ति अभियान से जुड़े प्रचार वाहन (बस) को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

Authored By: अंशु सिंह

Last Updated On: Sunday, April 27, 2025

आध्यात्मिक ब्रह्माकुमारी के नोएडा सेक्टर-26 स्थित सेवाकेंद्र से नशा मुक्त भारत अभियान (Drug free India Campaign) की शुरुआत करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता (आर्थिक मामले) गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि देश में नशे की समस्या का अंदाजा हाल ही में आई नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है। इस रिपोर्ट की मानें, तो भारत में पहले जहां एक आम आदमी अपनी कुल आय का करीब 2 फीसद नशीले पदार्थों की खरीदारी में खर्च करता था, वह आज बढ़कर 5 फीसद हो गया है। वहीं, आवश्यक खाद्य पदार्थों पर होने वाला खर्च 14 फीसद से घटकर 10 फीसद रह गया है। युवाओं में तंबाकू, शराब, ड्रग्स की लत बढ़ती जा रही है। वे तमाम प्रकार के मानसिक रोगों से ग्रस्त हो रहे हैं। यह एक चिंताजनक स्थिति है, जबकि देश में 25 वर्ष से कम आयु के युवाओं की आबादी करीब 65 फीसदी है। ऐसे में केंद्र सरकार एवं ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा संयुक्त रूप से चलाए जा रहे इस नशा मुक्ति भारत अभियान से काफी अपेक्षाएं हैं। सामाजिक एवं आध्यात्मिक संस्थाओं की पहल से ही समाज में बदलाव लाए जा सकते हैं। निसंदेह नशा मुक्ति केंद्रों (De-Addiction Centers) के जरिये युवाओं को मुख्यधारा में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन उससे पूर्णत: छुटकारा तब भी नहीं मिल पाता। दरअसल, नशे के शिकार व्यक्ति को भावनात्मक सहयोग की जरूरत होती है। इसके लिए परिवार एवं समाज दोनों को जागरूक करना होगा।

नशे के कारण दूसरी बुराइयों का प्रवेश

कार्यक्रम में उपस्थित चाणक्यपुरी स्थित ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र (Brahma Kumari Service Center) की सब जोन इंचार्ज एवं नशा मुक्ति अभियान की नेशनल को-ऑर्डिनेटर बीके लक्ष्मी दीदी (BK Lakshmi Didi) ने कहा, ‘नशे की लत देश के बच्चों एवं युवाओं को अंदर से खोखला कर रही है। वे गलत राहों पर निकल पड़ते हैं। उनके सोचने-समझने की शक्ति धीरे-धीरे कुंध पड़ने लगती है। वे सही-गलत के बीच अंतर नहीं कर पाते हैं। हिंसक प्रवृत्ति बढ़ने लगती है। ऐसे में उनका भविष्य कैसा होगा, किस प्रकार के समाज का निर्माण होगा, इसका अनुमान लगाया जा सकता है। आंकड़े बताते हैं कि करीब 15 फीसद लोगों को शराब की लत है, 3 फीसद गांजा, अफीम आदि का नशा करते हैं और 2 फीसद दूसरे प्रकार के नशे (ड्रग्स) की गिरफ्त में हैं। विडंबना यह है कि गांव, कस्बे एवं शहर में नशे के ये सामान आसानी से उपलब्ध हैं। नियम है कि स्कूल की बाउंड्री से 200 मीटर के आसपास गुटखे आदि की दुकान या शराब के ठेके नहीं होने चाहिए। लेकिन इसका कितना पालन हो रहा है, यह बड़ा प्रश्न है। वैसे, नशे की लत कितनी भी पुरानी क्यों न हो। उचित मार्गदर्शन, परामर्श, दवा, पौष्टिक आहार एवं ध्यान के विवेकपूर्ण उपयोग से व्यक्ति किसी भी लत को छोड़ सकता है। राजयोग मेडिटेशन से व्यक्ति एक अनुशासित जीवन जीने की कला सीखता है। इससे आध्यात्मिक समझ बढ़ती है। व्यक्ति संतुलित दिनचर्या का पालन करता है।

डिजिटल मीडिया (Digital Media) की लत भी बनी चुनौती

तंबाकू, सिगरेट, शराब, ड्रग्स के अलावा इन दिनों डिजिटल नशे (Digital Addiction) की भी खूब चर्चा होती है। आज के युवा को सोशल मीडिया की इस कदर लत लगी हुई है कि वह हर वो चीज देख व सुन रहा है, जो उसे नहीं देखना चाहिए। सोशल मीडिया का सकारात्मक प्रयोग करने में हर्ज नहीं। लेकिन क्या ऐसा हो रहा है, इसका जवाब हम सभी जानते हैं। ऐसे में सोशल मीडिया से व्रत रखना फायदेमंद हो सकता है। नशे के कारणों पर प्रकाश डालते हुए अखिल भारतीय गुर्जर महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष हरीश भाटी (Harish Bhati) ने कहा कि पहले संयुक्त परिवार का चलन था। घर के बड़े-बुजुर्ग बच्चों की हर गतिविधि पर ध्यान देते थे। आज एकल परिवार के दौर में माता-पिता के पास समय की भारी कमी है। इससे बच्चों में अकेलापन, अवसाद जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं और उनका नशे की ओर झुकाव हो रहा है। ऐसे में ब्रह्माकुमारी जैसे संस्थान बच्चों के संस्कार परिवर्तन में अहम भूमिका निभा सकते हैं। ये ऐसा गुरुकुल है, जहां राजयोग साधना के माध्यम से श्रेष्ठ संस्कारों का निर्माण करना सिखाया जाता है।

देश भर में चलाया जा रहा ‘नशा मुक्त भारत’ अभियान

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विश्व विद्यालय (Brahma Kumari International School) पिछले 25 वर्षों से नशे के खिलाफ अभियान चला रहा है। लेकिन 4 मार्च 2023 को भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (Ministry of Social Justice and Empowerment) के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करने के पश्चात् अब संयुक्त रूप से देश भर में नशा मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत, आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस कुल 15 प्रचार सेवा बसें अलग-अलग राज्यों में जनजागरूकता अभियान में लगी हैं। वे स्कूलों, कॉलेजों, फैक्ट्रियों, निजी एवं सरकारी कार्यालयों में जाती हैं। वहां संगोष्ठियां होती हैं। ब्रह्माकुमारी नोएडा सेक्टर-26 सेंटर की वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका बीके राधा ने बताया कि इसी कड़ी में एक प्रचार सेवा बस नोएडा पहुंची है। अगले चार दिनों तक ये बस नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा के विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों एवं सार्वजनिक स्थानों पर नशे को लेकर जनजागरूकता लाने का प्रयास करेगी। इस अवसर पर नशा मुक्ति अभियान से जुड़ीं डॉ. मीनू, पहाड़गंज स्थित ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र की बीके वर्षा समेत 250 से अधिक लोग उपस्थित थे।

About the Author: अंशु सिंह
अंशु सिंह पिछले बीस वर्षों से हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनका कार्यकाल देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण और अन्य राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में प्रेरणादायक लेखन और संपादकीय योगदान के लिए उल्लेखनीय है। उन्होंने शिक्षा एवं करियर, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, यात्रा एवं पर्यटन, जीवनशैली और मनोरंजन जैसे विषयों पर कई प्रभावशाली लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी में गहरी सामाजिक समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो पाठकों को न केवल जानकारी बल्कि प्रेरणा भी प्रदान करती है। उनके द्वारा लिखे गए सैकड़ों आलेख पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ चुके हैं।
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