कबूतर के मल बन सकते हैं 62 तरह के रोगों की वजह, गर्भवती स्त्रियों और बच्चों को है अधिक सावधान रहने की जरूरत

कबूतर के मल बन सकते हैं 62 तरह के रोगों की वजह, गर्भवती स्त्रियों और बच्चों को है अधिक सावधान रहने की जरूरत

Authored By: स्मिता

Published On: Saturday, July 27, 2024

Last Updated On: Saturday, April 26, 2025

pigeon feces is dangerous for health pregnant womens
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जर्नल ऑफ़ इंफेक्शन में प्रकाशित शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि बालकनी, घर की छत के अलावा, हर स्थान पर मौजूद कबूतर के मल मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं। हवा के माध्यम से मल में मौजूद पैथोजेंस महिलाओं के भ्रूण और बच्चों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकते हैं।

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Saturday, April 26, 2025

कबूतर घरेलू पक्षी है, जो हर किसी के घर की बालकनी, छत, वेंटिलेशन स्पेस में पाया जा सकता है। दिल्ली और एनसीआर में कबूतर रिहायशी इलाके में सबसे अधिक देखे जाते हैं। हम उनके खाने के लिए बालकनी की दीवारों, छतों और सड़क किनारे भी दाना डाल देते हैं। कबूतर दाना खाकर वहीं बीत भी कर देते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कबूतर के मल मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं। कबूतर के मल (Pigeon poop ) कई तरह के पैथोजन्स के वाहक होते हैं। हाल में हेल्थ संबंधी जर्नल में प्रकाशित शोध के निष्कर्ष के अनुसार, कबूतर के मल बड़ों के साथ-साथ बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी खतरनाक बीमारी के कारण बनते हैं। इनके मल और पंख के संपर्क में आने पर कई घातक बीमारियां हो सकती हैं।

क्या कहते हैं शोध

बच्चों और गर्भवती महिलाओं (Pregnant women) के स्वास्थ्य पर कबूतर के मल का प्रभाव (Pigeon poop affect health) व इससे पैदा होने वाले संक्रमण पर लगातार 62 साल तक रिसर्च किया गया। इसके निष्कर्ष को जर्नल ऑफ़ इन्फेक्शन में प्रकाशित किया गया। इसके अनुसार, 99. 4 प्रतिशत संक्रमण हवा से व्यक्ति तक पहुंचते हैं। कबूतर के बहुत अधिक संख्या में रहने पर उनके स्टूल और यूरीन से माइकोटिक रोग (Mycotic Disease) होने का जोखिम बढ़ जाता है। माइकोटिक किसी भी प्रकार के ट्यूमर (Tumor) को तेज़ी से बढ़ाते हैं। जिन लोगों का इम्यून सिस्टम (Immune System) कमजोर होता है, उनके लिए रोग का जोखिम एक हज़ार गुना अधिक हो जाता है।

क्या कहते हैं अन्य शोध

कर्नाटक पशु चिकित्सा, पशु एवं मत्स्य पालन विश्वविद्यालय के वेटरनरी माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने कबूतरों के मल में मौजूद पैथोजेन्स के ट्रांसमिशन पर अध्ययन किया। इस अध्ययन के निष्कर्ष के अनुसार, मानव स्वास्थ्य पर कबूतरों के मल के हानिकारक प्रभावों के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाना जरूरी है।

कबूतरों के मल में पैरासाइट, टिक और पिस्सू होते हैं, जो संभावित रूप से बीमारियां फैलाते हैं। जो लोग कबूतरों के मल के संपर्क (pigeon droppings) में आते हैं या सूखे मल से धूल में सांस लेते हैं, वे कई तरह की बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।

कबूतर के पूप में कौन से हानिकारक रसायन होते हैं (Harmful chemical of pigeon poop)

कबूतर का मल छोटे-छोटे मार्बल जैसा दिखता है। यह सफेद-भूरे रंग का होता है। कबूतर जैसे पक्षी यूरिया और अमोनिया की बजाय यूरिक एसिड के रूप में नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्ट उत्सर्जित करते हैं। इसकी वजह कबूतर का यूरिकोटेलिक होना है। दरअसल, पक्षियों में यूरिनरी ब्लैडर नहीं होता है। इसलिए यूरिक एसिड उनके मल के साथ उत्सर्जित होता है। कबूतर का मल फंगस (Fungal Disease) के विकास को भी बढ़ावा देता है। अमोनिया की उपस्थिति श्वसन संबंधी समस्याओं और जलन का कारण बन सकती है।

कितने तरह के रोग हो सकते हैं

इंडियन जर्नल ऑफ़ एलर्जी, अस्थमा और इम्म्यूनोलॉजी के शोध निष्कर्ष से पता चला है कि कबूतर के मल से 60 से अधिक विभिन्न रोग फैल सकते हैं। यह हिस्टोप्लास्मोसिस, क्रिप्टोकॉकोसिस और कैंडिडिआसिस जैसी फंगल बीमारियों, साइटाकोसिस, एवियन ट्यूबरकुलोसिस जैसी बैक्टीरियल डिजीज के अलावा बर्ड फ्लू का भी कारण बन सकता है। जब यह सांस द्वारा अंदर लिया जाता है, तो लिवर और स्प्लीन को प्रभावित कर देते हैं। अस्थमा का कारण बन सकते हैं। तेज बुखार, निमोनिया, ब्लड एब्नॉर्मेलिटी और इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। ये गर्भवती महिलाओं के भ्रूण में विसंगति पैदा कर सकते हैं। मल से संक्रमित पानी पीने से टाइफाइड (Typhoid) और ईकोलाई (E.Coli) जैसे संक्रमण हो सकते हैं।

कबूतरों की बीट से कैसे करें बचाव (Preventive care Tips)

नोएडा के न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स में चीफ ऑफ़ लैब डॉ. विज्ञान मिश्र बताते हैं, ‘कबूतरों का मल या बीत साफ करते समय डिस्पोजेबल दस्ताने, जूते के कवर और फिल्टर वाले मास्क का उपयोग करना चाहिए। यह 0.3 माइक्रोन तक के छोटे कणों को फंसा सकते हैं। स्पोर्स को हवा में फैलने से रोकने के लिए पानी से बीट को थोड़ा गीला कर देना चाहिए। बीट साफ हो जाने के बाद उन्हें सीलबंद बैग में जमा कर कूड़े डाले जाने वाले क्षेत्र में डिस्पोज करना चाहिए। डिस्पोज करने से पहले बैग के बाहरी हिस्से को धोना नहीं भूलें।’

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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