वायरल इंसेफेलाइटिस से अब तक गुजरात में 73 लोगों की हो चुकी है मौत, क्या हो सकते हैं बचाव के उपाय

वायरल इंसेफेलाइटिस से अब तक गुजरात में 73 लोगों की हो चुकी है मौत, क्या हो सकते हैं बचाव के उपाय

Authored By: स्मिता

Published On: Saturday, August 10, 2024

Last Updated On: Sunday, April 27, 2025

Viral Encephalitis
Viral Encephalitis

गुजरात में अब तक वायरल इंसेफेलाइटिस से 73 लोगों की जान जा चुकी है। जल्दी इलाज शुरू नहीं होने पर यह सीधे मनुष्य के ब्रेन को डैमेज कर देता है। चांदीपुरा वायरस के कारण होने वाले इंसेफेलाइटिस से कितना अलग है वायरल इंसेफेलाइटिस। जानते हैं क्या इससे बचाव भी किया जा सकता है।

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Sunday, April 27, 2025

गुजरात वायरल इंसेफेलाइटिस (viral encephalitis) से बुरी तरह प्रभावित है। इसके कारण अब तक 73 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले महीने प्रकोप शुरू होने के बाद से राज्य में वायरल इंसेफेलाइटिस के 162 मामले सामने आए, जिनमें चांदीपुरा वायरस के भी 60 मामले शामिल हैं। वायरल इंसेफेलाइटिस दो दर्जन से ज़्यादा जिलों और अहमदाबाद, राजकोट, जामनगर और वडोदरा जैसे शहरों में फैल चुकी है। यह बीमारी स्थायी रूप से लोगों को विकलांग भी कर सकती है। वायरल इंसेफेलाइटिस का शुरुआत में पता चलने पर इलाज किया जा सकता है। इससे बचाव के भी उपाय किये जा सकते हैं।

क्या अलग है वायरल इंसेफेलाइटिस चांदीपुरा वायरस से

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस टाइप 1 और 2, वैरिसेला ज़ोस्टर वायरस और एंटरोवायरस के कारण वायरल इंसेफेलाइटिस हो सकता है। वायरस के कारण मस्तिष्क में सूजन हो जाती है। सबसे गंभीर जटिलता स्थायी ब्रेन डैमेज हो सकता है। एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों और 55 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों में जीवन को प्रभावित करने वाली जटिलता का जोखिम सबसे अधिक होता है। चांदीपुरा वेसिकुलोवायरस (CHPV) रैबडोविरिडे परिवार का एक सदस्य है। इसके कारण भी मनुष्यों में मस्तिष्क संबंधी बीमारी, चांदीपुरा इंसेफेलाइटिस या चांदीपुरा वायरल इंसेफेलाइटिस होता है। महाराष्ट्र के चांदीपुरा स्थान पर पहली बार देखे जाने के कारण इसका नाम चांदीपुरा वायरस पड़ा। 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे प्राकृतिक संक्रमण के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं।

वायरल इंसेफेलाइटिस का क्या है इलाज (viral encephalitis)?

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन (WHO) के अनुसार, वायरल एन्सेफलाइटिस की गंभीरता विशेष वायरस और कितनी जल्दी उपचार किया जाता है, इस पर भी निर्भर करती है। आम तौर पर बीमारी का तीव्र चरण लगभग एक या 2 सप्ताह तक रहता है। लक्षण या तो जल्दी से गायब हो जाते हैं या समय के साथ धीरे-धीरे कम हो जाते हैं। कई मामलों में व्यक्ति पूरी तरह से ठीक हो जाता है।

कैसे किया जा सकता है वायरल एन्सेफलाइटिस को नियंत्रित(viral encephalitis)?

एंसेफलाइटिस के इलाज के लिए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली एंटीवायरल दवाओं में शामिल हैं: एसाइक्लोविर (ज़ोविरैक्स, सिटाविग), गैन्सीक्लोविर और फ़ॉस्कारनेट (फ़ॉस्काविर) दवाएं भी शामिल हैं।

क्या वायरल इंसेफेलाइटिस से बचाव किया जा सकता है (viral encephalitis)?

वायरल इम्म्यूनोलॉजी जर्नल की स्टडी के अनुसार, खुद को टीकाकरण से अपडेट करते रहना सबसे अधिक जरूरी है। खासकर जब आप ऐसे क्षेत्रों में यात्रा कर रहे हों, जहां एन्सेफलाइटिस पैदा करने वाले वायरस पाए जाते हैं। सबसे पहले वायरस और बैक्टीरिया के प्रसार को रोकने में मदद करने के लिए जरूरी हाइजीन का ख्याल रखें। हाथ धोने के बाद ही अपने नाक, कान, मुंह को छूएं। भोजन करने से पहले हाथ को साबुन से साफ़ करें। मच्छर और टिक के संपर्क में आने से बचना चाहिए

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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