ये तीन आदतें आपके ब्रेन को कर सकती हैं डैमेज, न्यूरोलॉजिस्ट ने दी चेतावनी, कहा- ‘शौचालय में ज़्यादा देर…’
Authored By: Galgotias Times Bureau
Published On: Tuesday, November 11, 2025
Updated On: Tuesday, November 11, 2025
मस्तिष्क हमारे शरीर और मानसिक कार्यों का नियंत्रण केंद्र है, इसलिए इसका स्वस्थ रहना बेहद ज़रूरी है. सही खानपान, व्यायाम और नींद के साथ-साथ रोज़मर्रा की छोटी आदतें भी इसके स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं. अनजाने में अपनाई गई गलत आदतें धीरे-धीरे याददाश्त और सोचने की क्षमता को कमजोर कर सकती हैं.
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Updated On: Tuesday, November 11, 2025
Habits That Damage Brain: आपका मस्तिष्क आपके पूरे शरीर और मानसिक प्रक्रियाओं का नियंत्रण करता है, जैसे सोच, भावनाएँ, याददाश्त और हर तरह की गतिविधियाँ. इसलिए इसका स्वास्थ्य बनाए रखना बहुत जरूरी है. सही खानपान, नियमित व्यायाम और पर्याप्त आराम इसके लिए मददगार हैं. लेकिन इसके अलावा हमारी रोज़मर्रा की छोटी-छोटी आदतें भी मस्तिष्क की सेहत पर असर डालती हैं. कई बार हमें लगता है कि ये आदतें नुकसान नहीं पहुँचातीं, लेकिन ये धीरे-धीरे संज्ञानात्मक क्षमता को कम कर सकती हैं और भविष्य में मस्तिष्क संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ा सकती हैं. ध्यान रखना जरूरी है.
3 आदतें जो आपके मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकती हैं
न्यूरोलॉजिस्ट और बायोस्टैटिस्टिशियन डॉ. बिंग ने 4 नवंबर को इंस्टाग्राम पर बताया कि कुछ ऐसी आदतें हैं जिनसे वे खुद बचते हैं और दूसरों को भी बचने की सलाह देते हैं. पहली आदत है सोते समय या लंबे समय तक हेडफ़ोन पहनना. यह मस्तिष्क पर तनाव डाल सकता है और सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है.
दूसरी आदत है मसूड़ों की सेहत की अनदेखी करना. मसूड़ों की बीमारियाँ धीरे-धीरे मस्तिष्क की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती हैं. तीसरी आदत है लंबे समय तक टॉयलेट में बैठे रहना. यह रक्त संचार को प्रभावित कर मस्तिष्क के लिए नुकसानदेह हो सकता है.
सोते समय हेडफ़ोन पहनना क्यों है नुकसानदायक
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. बिंग का कहना है कि सोते समय हेडफ़ोन पहनना आपके कानों और मस्तिष्क दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है. अगर आप सोते वक्त तेज आवाज में म्यूज़िक या ऑडियो सुनते हैं, तो इससे कान की अंदरूनी कोशिकाएं कमजोर हो सकती हैं, जिससे धीरे-धीरे सुनने की क्षमता घटने और मनोभ्रंश (डिमेंशिया) का खतरा बढ़ने लगता है.
इसके अलावा, लंबे समय तक हेडफ़ोन या ईयरबड्स पहनने से कान में नमी और बैक्टीरिया जमा हो सकते हैं, जिससे संक्रमण हो सकता है. डॉ. बिंग का कहना है कि सोते समय तेज़ आवाज सुनने से आपकी गहरी नींद भी प्रभावित होती है. इससे मस्तिष्क का ‘रात का सफाई तंत्र’ यानी वो प्रक्रिया जिसमें मस्तिष्क खुद से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालता है, बाधित हो सकता है.
मसूड़ों की सेहत को नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. बिंग का कहना है कि मसूड़ों की सेहत को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इसका सीधा असर हमारे मस्तिष्क पर पड़ सकता है. उन्होंने बताया कि वे हर रात फ्लॉस करते हैं, पानी से कुल्ला करते हैं और फिर ब्रश करते हैं, ताकि मसूड़े और दांत स्वस्थ रहें.
हाल के शोधों में पाया गया है कि जिन लोगों को मसूड़ों की बीमारी या दांतों में कैविटी की समस्या ज़्यादा होती है, उनमें स्ट्रोक का खतरा लगभग दोगुना बढ़ जाता है. इसके अलावा, कई अध्ययनों ने यह भी साबित किया है कि खराब मौखिक स्वास्थ्य (oral health) का संबंध मनोभ्रंश (डिमेंशिया) और याददाश्त कमजोर होने जैसी दिक्कतों से हो सकता है.
इसलिए, डॉ. बिंग सलाह देते हैं कि दांतों और मसूड़ों की नियमित सफाई केवल मुस्कान के लिए नहीं, बल्कि दिमाग की सेहत के लिए भी जरूरी है.
शौचालय में ज़्यादा देर तक बैठना हो सकता है ख़तरनाक
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. बिंग का कहना है कि शौचालय पर 5 मिनट से ज़्यादा समय तक बैठना शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है. उन्होंने बताया कि ज़्यादा देर तक बैठने या ज़ोर लगाने से पैरों में खून जमा हो सकता है और रक्तचाप गिर सकता है. अगर दिमाग तक पर्याप्त खून नहीं पहुँचता, तो बेहोशी आने की संभावना भी रहती है.
डॉ. बिंग ने कहा कि वे ऐसे कई मामले लगभग हर हफ़्ते देखते हैं, जहाँ लोग लंबे समय तक टॉयलेट में बैठने के बाद चक्कर या बेहोशी महसूस करते हैं. हालाँकि, उन्होंने यह भी माना कि अगर किसी को पुरानी आंत की समस्या (chronic bowel condition) है, तो उनके पास ज़्यादा विकल्प नहीं होता, लेकिन बाक़ी लोगों को उन्होंने साफ चेतावनी दी, ‘शौचालय में ज़्यादा देर तक मत बैठिए.
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