योग वैकेशन (Yoga Vacation) : लुभा रहा है हर किसी को

Authored By: अंशु सिंह

Published On: Friday, June 21, 2024

Last Updated On: Friday, July 25, 2025

21 June international yoga day
21 June international yoga day

घुमक्कड़ी का अंदाज बदल गया है। अब सिर्फ साइटसीइंग ही नहीं, बल्कि वेलनेस के लिए ट्रैवल करना पसंद कर रहे हैं लोग। चाहे वह जंगलों में रिट्रीट करना हो या योगाभ्यास के लिए देश-विदेश के योग आश्रमों में जाना हो। आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) पर जानते हैं कि क्यों घुमक्कड़ी में शामिल हो गया है योग और वे कौन से डेस्टिनेशन हैं जहां जाना पसंद कर रहे हैं लोग...

Authored By: अंशु सिंह

Last Updated On: Friday, July 25, 2025

तेज गति से भागती आज की जिन्दगी में इंसान सुकून के लिए पहाड़ों या समंदर के करीब स्थलों का रुख कर रहा है, ताकि शारीरिक और मानसिक प्रदूषण से दूषित हुई श्वास तंत्रिकाओं और नाड़ियों में शुद्ध हवा का संचार हो सके। रगों में नई ताजगी आ सके। इसलिए हाल के दिनों में योग और ध्यान के प्रति रुझान कुछ यूं बढ़ा है कि लोग इसे अपनी छुट्टियों का हिस्सा बनाने लगे हैं। भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से लेकर पश्चिम तक के राज्यों में बढ़ते योगाश्रमों की संख्या इसके जीवंत उदाहरण कहे जा सकते हैं। योग (Yoga), आयुर्वेद (Ayurveda) एवं प्राकृतिक चिकित्सा (Naturopathy) से तन-मन को निरोग और स्‍वस्‍थ रखने के लिए देश ही नहीं, मैक्सिको, कोलोराडो, न्यूयॉर्क जमैका, बाली, बाहामास, अमेरिका तक जाने से पीछे नहीं रह रहे लोग।

पश्चिमी देशों से हुई शुरुआत (Started from Western Countries)

वर्षों पूर्व स्वामी शिवानंद (Swami Sivananda) के परम शिष्य स्वामी विष्णुदेवानंद (Swami Vishnudevananda) ने पश्चिमी देशों में योग वैकेशन की शुरुआत की थी। वीकेंड्स पर योग की कक्षाएं लगती थीं, जिनका मकसद था फुल रिलैक्सेशन। इसका इतना पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला कि आज भारत के अलावा कनाडा, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, बाहामास औऱ अमेरिका में करीब 9 शिवानंद आश्रम हैं, जहां पांच बिन्दुओं पर आधारित योग वैकेशन प्रोग्राम चलाए जाते हैं। दक्षिण भारत में यह कार्यक्रम मदुरै, तिरुवनंतपुरम में संचालित होते हैं। हफ्ते, दस दिन से लेकर पूरे साल चलने वाले इस प्रोग्राम को कुछ इस तरह विकसित किया गया है कि लोग मानसिक एवं शारीरिक रूप से पूरी तरह रिचार्ज होकर वापस लौटें। उनकी आत्मिक ऊर्जा इतनी बढ़ जाए कि वे नए काम करने के लिए प्रेरित हो सकें। योग के अलावा यहां सत्संग, साइलेंट मेडिटेशन, मंत्रोच्चार और आध्यात्मिक लेक्चर होते हैं। आप स्ट्रेस मैनेजमेंट, आसन, शाकाहारी भोजन के फायदों के बारे में जानकर, जीवन को नई दिशा दे पाते हैं। सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित होते हैं।

योग से संवर रही जीवनशैली

हम सब देख रहे हैं कि आज तनाव की वजह से कैसे कम उम्र में ही लोग ब्लड प्रेशर (Blood Pressure), डायबिटीज (Diabetes) आदि के शिकार होने लगे हैं। टेक्नोलॉजी प्रदत्त सुविधाओं ने शारीरिक श्रम की अवधारणा को ही मानो खत्म कर दिया है। नींद उड़ गई है। यही कारण है कि लोग अब अपने स्वास्थ्य को लेकर पहले से कहीं अधिक सचेत हो गए हैं। योग वैकेशन का विकल्प उन्हें लुभा रहा है। पावर और कपल योग के बहाने रिश्तों में आई दूरियां मिटाने की कोशिशें हो रही हैं। ‘मेरा पेशा हमेशा मुझे मरीजों से घेरे रखता है। सबकी अलग-अलग परेशानियां सुनते-देखते और दूर करते हुए वक्त कैसे निकल जाता है, भनक भी नहीं लगती है। लेकिन अंदर तूफान मचा होता है। ऐसे में जब कभी अवसर मिलता है, मैं हरिद्वार, ऋषिकेश या केरल के किसी योगाश्रम में हफ्ते दिन के लिए चली जाती हूं। इसके बाद जिस ऊर्जा का प्रवाह होता है, वह बयां करना मुश्किल है,’ कहती हैं डॉ. ऋचा पांडे। डॉ. ऋचा जैसे अनेक प्रोफेशनल्स अपने काम की चिंता छोड़, किसी योगाश्रम में छुट्टियां बिताने को प्राथमिकता देने लगे हैं। क्योंकि कहीं न कहीं उन्हें अहसास हो चला है कि क्वालिटी लाइफ के लिए बॉडी, माइंड और सोल तीनों में तारतम्य होना जरूरी है और जिसे योग संभव बनाता है। एडवर्टिजमेंट इंडस्ट्री से ताल्लुक रखने वाले निखिल कहते हैं, ‘आज की पीढ़ी जितनी उपभोक्तावादी हो गई है, उनकी महत्वाकांक्षाएं जितनी बढ़ती जा रही हैं, उससे तमाम तरह की परेशानियों का जन्म हो रहा है। लेकिन योग और ध्यान से एक सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जो हमें संतुलित ढंग से जीना सिखाती है। इसलिए इसके इर्द-गिर्द वैकेशन प्लान करना समय का तकाजा कहा जा सकता है।’ ध्यान, प्राणायाम और आसनों से इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है।

योग की शक्ति: दिव्यांगता से परे, सबके लिए स्वास्थ्य और आत्मबल

इस अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर, स्पाइन वेलनेस केयर फाउंडेशन हर व्यक्ति की शक्ति और आत्मा का जश्न मना रहा है। यदि दिव्यांग व्यक्ति उच्चतम स्तर के योग में संलग्न हो सकते हैं, तो यह दर्शाता है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे उसकी क्षमता कुछ भी हो, योग के माध्यम से स्वास्थ्य प्राप्त कर सकता है। स्वास्थ्य और सद्भाव की ओर इस समावेशी यात्रा का सम्मान करने में हमारे साथ जुड़ें।

About the Author: अंशु सिंह
अंशु सिंह पिछले बीस वर्षों से हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनका कार्यकाल देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण और अन्य राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में प्रेरणादायक लेखन और संपादकीय योगदान के लिए उल्लेखनीय है। उन्होंने शिक्षा एवं करियर, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, यात्रा एवं पर्यटन, जीवनशैली और मनोरंजन जैसे विषयों पर कई प्रभावशाली लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी में गहरी सामाजिक समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो पाठकों को न केवल जानकारी बल्कि प्रेरणा भी प्रदान करती है। उनके द्वारा लिखे गए सैकड़ों आलेख पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ चुके हैं।
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