भारत के लिए आई एक अच्छी खबर, वायु प्रदूषण में हो रही कमी

भारत के लिए आई एक अच्छी खबर, वायु प्रदूषण में हो रही कमी

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Published On: Thursday, August 29, 2024

air pollution
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शिकागो विश्वविद्यालय की एक स्टडी में कहा गया है कि भारत के वायु प्रदूषण में 2021-22 के बीच कमी आई है। यह कमी भविष्य की उम्मीद को जगाता है। इससे भारतवासियों की औसत उम्र में भी बढ़ोतरी होने वाली है।

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Updated On: Friday, January 17, 2025

भारत ही नहीं पूरी दुनिया में प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या बन गई है। यह वर्तमान के साथ-साथ भावी पीढ़ी के लिए भी खतरा है। लेकिन शिकागो विश्वविद्यालय की एक स्टडी ने भारत को थोड़ी राहत दी है। विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) के वायु गुणवत्ता कोष की इस स्टडी में कहा गया है कि भारत के वायु प्रदूषण में 2021-22 के बीच कमी आई है। स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक 2021 के दौरान भारत 51.3 µg/m³ वायु प्रदूषण था। यह 2022 में 41.4 µg/m³ रह गया। स्टडी में यह भी कहा गया है कि यह वायु प्रदूषण में यह कमी काफी महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme) का असर तो नहीं?

भारत सरकार ने 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme-NCAP) शुरू किया था। इस कार्यक्रम में सरकार ने एक टारगेट तय किया था कि वर्ष 2026 तक प्रदूषण को 2017 के प्रदूषण स्तर से 40 प्रतिशत तक कम करना है। भारत सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 तक नामित ‘Non-Attainment’ शहरों में प्रदूषण 18.8 प्रतिशत कम हुआ है।

इससे देशवासियों की औसत उम्र में 10.8 महीने की बढ़ोतरी हुई है। ‘Non-Attainment’ उस क्षेत्र को कहते हैं, जहां एक या ज्यादा मानदंड प्रदूषकों के लिए राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) से अधिक है। सरकार ने यह भी उम्मीद जताई है कि तय टारगेट को भविष्य पूरा कर लेते हैं तो देशवासियों का औसतन उम्र 7.9 महीने बढ़ जाएगा।

औसत उम्र में एक वर्ष की बढ़ोतरी

शिकागो विश्वविद्यालय की स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वायु प्रदूषण (Air Pollution) की इस कमी से यहां पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव के भी उल्लेख किया है। बताया गया है कि प्रदूषण की इस कमी से भारत में लोगों की उम्र एक साल बढ़ जाएगी। वहीं यदि प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक स्तर पर आ जाता है तो दिल्ली वालों की औसत उम्र में 7.8 साल और उत्तर 24 परगना के लोगों की औसत उम्र में 3.6 वर्ष की बढ़ोतरी हो सकती है।

मैदानी क्षेत्र का उत्तरी हिस्सा ज्यादा प्रभावित

प्रदूषण के मामले में उत्तरी मैदानी क्षेत्र की स्थिति ज्यादा भयावह बताया जाता है। जबकि इस क्षेत्र में आबादी का घनत्व सबसे ज्यादा है। भारत की आधी आबादी से थोड़े कम यहां की आबादी है। 42.6 प्रतिशत भारतीय नागरिक ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं, जहां 40 µg/m³ के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक से ज्यादा प्रदूषण है। इस क्षेत्र के निवासियों की औसतन उम्र WHO के मानकों की तुलना में 5.4 वर्ष कम है।

स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र में भी प्रदूषण में बेहतर सुधार देखा गया है। उसके मुताबिक पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, बांकुरा और झारखंड के धनबाद जैसे जिलों में प्रदूषण में 20 µg/m³ से ज्यादा की कमी देखी गई है।

तंबाकू से भी ज्यादा खतरनाक वायु प्रदूषण

एक रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण का असर लोगों पर तंबाकू सेवन, गंदे पानी से होने वाले नुकसान से कहीं ज्यादा है। वायु प्रदूषण के कारण लोगों की औसत उम्र में ज्यादा कमी हो रही है। वर्तमान समय में वायु प्रदूषण औसत भारतीय के जीवन को 3.6 साल कम कर रहा है। जबकि तंबाकू 1.5 साल और गंदे पानी 8.4 महीने लोगों का उम्र घट जाता है।

प्रदूषण नियंत्रण पर लगातार कार्य जरूरी

शिकागो विश्वविद्यालय (University of Chicago) की इस रिपोर्ट में कई सकारात्मक पहलुओं की ओर इशारा किया गया है। साथ ही भारत को चेताया भी है कि प्रदूषण नियंत्रण में लगातार कोशिश और दिशा-निर्देशों का पालन भारत की जनता के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए जरूरी है। यह सुधार अनुकूल मौसमी परिस्थितियों के कारण एक उम्मीद जगाता है लेकिन इस उम्मीद को बरकरार रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निरंतर कार्य करने की जरूरत है।

गुंजन शांडिल्य समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। पत्रकारिता की पारंपरिक और आधुनिक शैलियों के साथ कदम मिलाकर चलने में निपुण, गुंजन ने पाठकों और दर्शकों को जोड़ने और विषयों को सहजता से समझाने में उत्कृष्टता हासिल की है। वह समसामयिक मुद्दों पर न केवल स्पष्ट और गहराई से लिखते हैं, बल्कि पटकथा लेखन में भी उनकी दक्षता ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। उनकी लेखनी में विषय की गंभीरता और प्रस्तुति की रोचकता का अनूठा संगम दिखाई देता है।
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