Karnataka Farmers: लोग क्यों ‘बैल’ बनने के लिए हुए मजबूर, कर्नाटक में हुआ सच से ‘सामना’

Karnataka Farmers: लोग क्यों ‘बैल’ बनने के लिए हुए मजबूर, कर्नाटक में हुआ सच से ‘सामना’

Authored By: JP Yadav

Published On: Monday, March 10, 2025

Updated On: Monday, March 10, 2025

Karnataka Farmers: लोग क्यों 'बैल' बनने के लिए हुए मजबूर, कर्नाटक में हुआ सच से 'सामना'
Karnataka Farmers: लोग क्यों 'बैल' बनने के लिए हुए मजबूर, कर्नाटक में हुआ सच से 'सामना'

Karnataka Farmers: कर्नाटक के मांड्या में खेतिहर मजदूरों और बैलों की कमी की वजह से किसानों को खुद खेत में जुतने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

Authored By: JP Yadav

Updated On: Monday, March 10, 2025

Karnataka Farmers: भारत कृषि प्रधान देश है. यहां पर ज्यादातर आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है. भारत के सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) में कृषि का योगदान साल 2022-23 में 16.91 प्रतिशत था, जबकि साल 2023-24 में यह 18.2 प्रतिशत रहा. रोजगार से लेकर देश के लोगों के लिए खाने की व्यवस्था करने वाले कृषि सेक्टर की बदहाली किसी से छिपी नहीं है. राज्य सरकारों के साथ केंद्र सरकार भी किसानों को तमाम सब्सिडी देती है, लेकिन हालात में वह सुधार नहीं है, जिसकी बात कई दशकों से चल रही है. इस बीच आलम यह है कि देश में कई जगहों पर बैल की जगह मानव हल खींचकर खेत की जुताई करने को विवश हैं, जब कि बड़े-बड़े वैज्ञानिक कृषि क्षेत्र में फसल दोगुना करने की नई-नई तकनीक विकसित करने का दावा करते हैं.

कर्नाटक मांड्या में मदर इंडिया का सीन

सुनील दत्त, नरगिस और राजकुमार अभिनीत फ़िल्म मदर इंडिया की पृष्ठभूमि गरीबी, शोषण, और त्याग की भावना थी. यह फ़िल्म एक गरीब किसान परिवार और ज़ालिम लाला के इर्द-गिर्द घूमती है. इस फ़िल्म में नरगिस दत्त ने राधा का किरदार निभाया था. राधा एक गरीब महिला है जो अपने दो बच्चों को बड़ा करने के लिए विपरीत परिस्थितियों से जूझती है. एक समय वह इतनी दीन-हीन हो जाती है कि खुद को और अपने बच्चों को बैल की रूप में जोतने को मजबूरत हो जाती है.

मांड्या में बैलों की कमी

कर्नाटक मांड्या में खेतिहर मजदूरों और बैलों की कमी की वजह से किसान खुद खेत में बैलों की तरह काम करने के लिए मजबूर हैं. दरअसल, कर्नाटक के मांड्या जिले में खेतिहर मजदूरों और बैलों की कमी ने किसानों की आजीविका को संकट में डाल दिया है. किसी तरह की मदद न मिलने के कारण कुछ किसान अपने परिवार के साथ खुद ही खेतों में काम करने को मजबूर हैं.

ट्रैक्टर से खेती करना महंगा

राम गौड़ा नाम के एक किसान का साफ-साफ कहना है कि अपने बेटे और पोते के साथ खेत में हल चला रहे हैं. उनका परिवार एक एकड़ जमीन पर फूलों की खेती करता है, जो उनके परिवार की आजीविका का इकलौता साधन है. ऐसे में किसान सरकार से मदद के साथ-साथ पारंपरिक खेती के तरीकों को बनाए रखने की मांग कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि खेतों को वो ट्रैक्टर से भी जुतवा सकते थे, लेकिन यह बहुत महंगा पड़ता है. यही वजह है कि बैल उपलब्ध नहीं होने पर किसान खुद ही खेतों में खुद को जोत रहे हैं.

About the Author: JP Yadav
जेपी यादव डेढ़ दशक से भी अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। वह प्रिंट और डिजिटल मीडिया, दोनों में समान रूप से पकड़ रखते हैं। अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान, लाइव टाइम्स, ज़ी न्यूज और भारत 24 जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी सेवाएं दी हैं। कई बाल कहानियां भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं. मनोरंजन, साहित्य और राजनीति से संबंधित मुद्दों पर कलम अधिक चलती है। टीवी और थिएटर के प्रति गहरी रुचि रखते हुए जेपी यादव ने दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक 'गागर में सागर' और 'जज्बा' में सहायक लेखक के तौर पर योगदान दिया है. इसके अलावा, उन्होंने शॉर्ट फिल्म 'चिराग' में अभिनय भी किया है।
Leave A Comment

अन्य खबरें

अन्य खबरें