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भारतीय रक्षा सेवा में शीर्ष पर पहुंचीं महिलाएं बनीं साहस की मिसाल, अपनी नेतृत्व क्षमता से लिख रहीं नई इबारत
भारतीय रक्षा सेवा में शीर्ष पर पहुंचीं महिलाएं बनीं साहस की मिसाल, अपनी नेतृत्व क्षमता से लिख रहीं नई इबारत
Authored By: अंशु सिंह
Published On: Tuesday, August 6, 2024
Updated On: Friday, March 7, 2025
केरल के वायनाड में मची तबाही से उबरने के लिए हर प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में भारतीय सेना के मद्रास इंजीनियरिंग समूह (एमईजी) ने लगातार 31 घंटे काम करके चूरलमाला स्थित 190 फीट लंबे बेली ब्रिज का निर्माण कर दिखाया है। गौर करने वाली बात ये है कि एमईजी की 70 सदस्यी इस टीम का नेतृत्व कोई और नहीं, बल्कि एक महिला, मेजर सीता शेल्के कर रही थीं। उन्होंने बड़ी ही दिलेरी एवं धैर्यता के साथ रिकॉर्ड समय में इस काम को पूरा किया, जिससे भूस्खलन से अलग-थलग पड़ा मुंडक्कई इलाका वापस से शहर से जुड़ सका। भारतीय रक्षा सेवा की महिला अधिकारी निरंतर पुरानी मान्यताओं को तोड़, इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करा रही हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता एवं कौशल का लोहा पूरी दुनिया मान रही है।
Authored By: अंशु सिंह
Updated On: Friday, March 7, 2025
सेना चिकित्सा सेवा के महानिदेशक का पदभार संभालने वाली लेफ्टिनेंट जनरल साधना सक्सेना नायर, इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला अधिकारी हैं। वे एयर मार्शल के पद से प्रोन्नत होकर आर्मी मेडिकल सर्विस के महानिदेशक का पदभार संभालने वाली पहली महिला हैं। दिसंबर1985 में सेना चिकित्सा कोर में नियुक्त होने वाली जनरल साधना ने पारिवारिक चिकित्सा में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है। इसके अलावा, उन्होंने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य तथा स्वास्थ्य देखभाल प्रबंधन में डिप्लोमा प्राप्त किया है। बताते हैं कि जनरल साधना ने इजरायली रक्षा बलों के साथ रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल एवं परमाणु युद्ध में तथा स्पीज में स्विस सशस्त्र बलों के साथ सैन्य चिकित्सा एथिक्स में भी प्रशिक्षण हासिल किया है। वे वायु सेना की पश्चिमी वायु कमान एवं प्रशिक्षण कमान की पहली महिला प्रधान चिकित्सा अधिकारी भी रही हैं। उन्हें एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ एवं विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है।
अरुणाचल प्रदेश की पहली महिला कर्नल
भारतीय सेना में अपना लोहा मनवाने वाली कर्नल पोनुंग डोमिंग को कैसे भूल सकते हैं। वे अरुणाचल प्रदेश की पहली महिला अधिकारी हैं, जिन्हें भारतीय सेना में कर्नल पद पर प्रोन्नत किया गया। पूर्वी सियांग जिले के पासीघाट की मूल निवासी कर्नल पोनुंग इस समय केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के तहत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लेह सेक्टर में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की कमान संभाल रही हैं। वर्ष 2008 में इनकी नियुक्ति भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर हुई थी। साढ़े चार साल में ही वे मेजर के पद पर पहुंच गईं। 2014 में उन्हें डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना मिशन में भेजा गया था। महाराष्ट्र के वालचंद कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग करने वाली कर्नल डोमिंग को 2019 में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर पदोन्नत किया गया था। वहीं, 2023 में उन्हें लद्दाख के हानले में टास्क फोर्स का नेतृत्व करने के लिए चुना गया। वे सिर्फ अरुणाचल ही नहीं, बल्कि पूरे देश की लड़कियों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं।
नौसेना के आईएनएस ट्रिंकट की पहली महिला कमांडिंग ऑफिसर
थलसेना हो, वायुसेना या नौसेना, महिलाएं हर जगह अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रही हैं। भारतीय नौसेना में उस समय एक इतिहास रचा गया, जब लेफ्टिनेंट कमांडर प्रेरणा देवस्थली को भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े में वॉटरजेट एफएसी आईएनएस ट्रिंकट के कमांडिंग ऑफिसर के रूप में चुना गया। ये पदभार संभालने वाली वह पहली महिला अधिकारी हैं। मूल रूप से मुंबई की रहने वाली एवं कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी से पढ़ाई करने वाली लेफ्टिनेंट कमांडर प्रेरणा ने सेंट जेवियर्स कॉलेज से मनोविज्ञान में एमए किया है 2009 में भारतीय नौसेना में शामिल हुईं प्रेरणा के पति भी नौसेना के अधिकारी हैं। प्रेरणा के पिता मुंबई यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे एवं मां मुंबई पोर्ट में चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर। लेकिन वे खुद कुछ अलग करना चाहती थीं, जिसमें रोमांच भी हो। इस वजह से उन्होंने नौसेना को चुना।
वायुसेना के मिसाइल स्क्वाड्रन की कमान संभालने वाली पहली महिला
लड़ाकू विमान उड़ाना आसान नहीं है। काफी खतरे होते हैं उसमें। लड़कियों से ऐसा ही कहा जाता है। लेकिन आज वही महिलाएं फाइटर विमान उड़ाने से लेकर बड़ी जिम्मेदारियां भी संभाल रही हैं। भारतीय वायु सेना में ग्रुप कैप्टन शालिजा धामी को पश्चिमी क्षेत्र में मिसाइल स्क्वाड्रन की कमान सौंपी गई है। इस जगह पर पहुंचने वाली वह पहली भारतीय महिला अधिकारी हैं। वर्ष 2003 में धामी को हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में वायुसेना में नियुक्त किया गया था। वे कई तलाश, बचाव एवं बाढ़ राहत से जुड़े अभियानों में शामिल रही हैं। इतना ही नहीं, वे पश्चिमी सेक्टर में हेलीकॉप्टर यूनिट की फ्लाइट कमांडर भी रह चुकी हैं। वर्तमान में वे एक अग्रिम कमान मुख्यालय की ऑपरेशंस ब्रांच में पदस्थ हैं।
सियाचिन में तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी
दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में सक्रिय रूप से तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी हैं कैप्टन शिवा चौहान। सियाचिन बैटल स्कूल में कठोर प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली कैप्टन शिवा बंगाल सैपर ऑफिसर हैं, जिन्होंने उदयपुर से एनजेआर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सिविल इंजीनियरिंग की है। वे बचपन से ही भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होना चाहती थीं और उन्होंने अपने इस सपने को पूरा कर दिखाया। वर्ष 2021 में उनकी इंजीनियर रेजिमेंट में नियुक्ति हुई। जुलाई 2022 में कारगिल विजय दिवस के अवसर पर आयोजित सियाचिन युद्ध स्मारक से कारगिल युद्ध स्मारक तक सुरा सोई साइकिल अभियान का इन्होंने सफलतापूर्वक नेतृत्व किया था। इसमें कोई शक नहीं कि रक्षा सेवा में महिलाओं की भागदारी दिनों दिन बढ़ रही है। लोकसभा में सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इस समय कुल 11 हजार 414 महिलाएं तीनों सेवाओं में कार्यरत हैं। इनमें सबसे ज्यादा मौजूदगी भारतीय सेना में हैं। ये महिलाएं ऑफिसर रैंक से लेकर विशेषज्ञ के तौर पर मेडिकल, डेंटल एवं नर्सिंग में सेवाएं दे रही हैं।