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Shubhanshu Shukla: भारत के अंतरिक्ष में नए सितारे की प्रेरणादायक उड़ान, 41 साल बाद नया इतिहास
Shubhanshu Shukla: भारत के अंतरिक्ष में नए सितारे की प्रेरणादायक उड़ान, 41 साल बाद नया इतिहास
Authored By: Sharim Ansari
Published On: Monday, June 9, 2025
Last Updated On: Tuesday, June 10, 2025
लखनऊ के 39 वर्षीय ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अब 11 जून 2025 को Axiom Mission 4 के पायलट के रूप में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ऐतिहासिक यात्रा पर रवाना होंगे. खराब मौसम के चलते मिशन को तीसरी बार टालना पड़ा—पहले 29 मई, फिर 10 जून और अब 11 जून को. अब पूरे देश की निगाहें 11 जून की शाम 5:30 बजे पर टिकी हैं. जानिए शुभांशु की प्रेरणादायक यात्रा, कड़ी ट्रेनिंग और उनके इस खास मिशन की पूरी कहानी इस लेख में.
Authored By: Sharim Ansari
Last Updated On: Tuesday, June 10, 2025
भारत के लिए इतिहास रचने का पल एक बार फिर थोड़ा और इंतज़ार मांग रहा है. उत्तर प्रदेश के लखनऊ से ताल्लुक रखने वाले 39 वर्षीय ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा एक बार फिर टल गई है. Axiom Mission 4 (Ax-4) के तहत उन्हें अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना होना था, लेकिन खराब मौसम के कारण लॉन्च को तीसरी बार टालना पड़ा है. अब यह ऐतिहासिक उड़ान 11 जून, 2025 को शाम 5:30 बजे (IST) निर्धारित की गई है.
इससे पहले यह मिशन 29 मई और फिर 10 जून को लॉन्च होने वाला था, लेकिन हर बार प्रकृति की अनिश्चितता ने तकनीक को मात दे दी. इसके बावजूद, शुभांशु शुक्ला के जज़्बे और पूरे देश की उम्मीदों में कोई कमी नहीं आई है. वह राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय बनने जा रहे हैं और पहले ऐसे भारतीय पायलट होंगे जो किसी प्राइवेट अंतरिक्ष मिशन के तहत ISS की ओर उड़ान भरेंगे.
अब देश की निगाहें 11 जून की उस शाम पर टिकी हैं, जब तिरंगा एक बार फिर तारों के पार लहराने की तैयारी में है.
जानें शुभांशु शुक्ला का पूरा परिचय
शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर, 1985 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था. बचपन से ही उन्हें आकाश, उड़ान और विमानों में विशेष रुचि थी. यहीं से उनके ख्वाबों ने उड़ान भरनी शुरू की.
उन्होंने UPSC की NDA परीक्षा पास की और पुणे स्थित नेशनल डिफेंस एकेडमी से कंप्यूटर साइंस में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद वे भारतीय वायुसेना (IAF) में शामिल हुए और 2006 में एक फाइटर पायलट के रूप में कमीशन प्राप्त किया.
परंतु उनका सपना केवल विमान उड़ाने तक सीमित नहीं था. उन्होंने आगे चलकर प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी की डिग्री भी प्राप्त की, जिससे उनकी तकनीकी और वैज्ञानिक समझ और गहरी हो गई.
भारतीय वायुसेना में गौरवशाली सेवा
शुभांशु शुक्ला को वायुसेना में 2000 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव है. वह Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier, और An-32 जैसे अनेक विमानों पर उड़ान भर चुके हैं. उनका नेतृत्व कौशल और तकनीकी दक्षता उन्हें 2024 में ग्रुप कैप्टन के पद तक लेकर गया. वह एक कुशल कॉम्बैट लीडर और टेस्ट पायलट भी रहे हैं.
अंतरिक्ष की ओर पहला कदम: Gaganyaan और चयन प्रक्रिया
वर्ष 2019 में शुभांशु को भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए ISRO और भारतीय वायु चिकित्सा संस्थान (IAM) द्वारा चुना गया. इसके तहत उन्हें रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर, स्टार सिटी, मास्को में कठोर प्रशिक्षण दिया गया.
इसके बाद उन्होंने भारत के बेंगलुरु स्थित एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी में भी उन्नत प्रशिक्षण प्राप्त किया. इस प्रशिक्षण के दौरान उनके शारीरिक, मानसिक और तकनीकी मानदंड पर परीक्षण किया गया.
27 फरवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गगनयान के चार अंतरिक्ष यात्री-प्रशिक्षुओं में से एक के रूप में उनके नाम की सार्वजनिक रूप से घोषणा की. गगनयान मिशन की लॉन्चिंग की संभावित तारीख 2027 रखी गई है.
Axiom Mission 4: भारत की अंतरराष्ट्रीय उड़ान
हालांकि गगनयान मिशन से पहले भारत के खाते में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि जुड़ने जा रही है – शुभांशु शुक्ला अब Axiom Mission 4 के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की उड़ान भरने जा रहे हैं. इस सफर के लिए स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्षयान फाल्कन 9 रॉकेट के जरिये 11 जून, 2025 को भारतीय समयानुसार शाम 5:30 बजे फ्लोरिडा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरेगा.
यह मिशन Axiom Space द्वारा संचालित एक निजी लेकिन वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण मिशन है. इसमें शुभांशु को पायलट के रूप में चुना गया है, जबकि इस मिशन की कमान पूर्व NASA अंतरिक्ष यात्री पेगी विटसन के हाथों में है.
इस मिशन का उद्देश्य केवल अंतरिक्ष यात्रा नहीं, बल्कि वहां रहकर वैज्ञानिक शोध, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और वाणिज्यिक प्रयोगों को अंजाम देना है. इस मिशन के साथ पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी 40 वर्ष बाद फिर से अंतरिक्ष में जा रहे हैं.
प्रशिक्षण और तैयारियां
Axiom Mission 4 की तैयारी में शुभांशु और उनके साथी अंतरिक्ष यात्रियों ने अमेरिका की NASA, यूरोप की ESA और जापान की JAXA जैसी शीर्ष एजेंसियों के साथ मिलकर प्रशिक्षण प्राप्त किया है.
- ESA के कोलोन (जर्मनी) स्थित यूरोपीय अंतरिक्ष केंद्र में भी उन्होंने सघन ट्रेनिंग प्राप्त की.
- JAXA के जापान स्थित त्सुकुबा स्पेस सेंटर में उन्हें जापानी मॉड्यूल किबो में प्रयोगों की ट्रेनिंग दी गई.
यह प्रशिक्षण बेहद सघन, तकनीकी और चुनौतीपूर्ण था, जिसने उन्हें अंतरिक्ष की सभी स्थितियों के लिए तैयार किया.
भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की सूची में शुभांशु के रूप में जुड़ा नया नाम
शुभांशु शुक्ला से पहले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने 1984 में तत्कालीन सोवियत संघ के इंटरकॉसमॉस मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा की थी. अंतरिक्ष यात्रा के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब उनसे पूछा था कि वहां से भारत कैसा दिखता है, तो उनका जवाब था ‘सारे जहां से अच्छा’. उनका यह संवाद आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है.
शुभांशु अब 41 वर्ष बाद भारत की दूसरी ऐतिहासिक उपस्थिति को अंतरिक्ष में दर्ज कराने जा रहे हैं.
शुभांशु को ही क्यों चुना गया?
शुभांशु की चयन प्रक्रिया महज एक संयोग नहीं, बल्कि वर्षों की उनकी मेहनत, समर्पण और तकनीकी उत्कृष्टता का परिणाम है.
- उनका फाइटर पायलट अनुभव
- तकनीकी शिक्षा (M.Tech in Aerospace)
- अंतरराष्ट्रीय ट्रेनिंग और परीक्षणों में उत्कृष्ट प्रदर्शन
- और उनके नेतृत्व के गुण
इन सभी कारणों से उन्हें Axiom जैसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मिशन के लिए पायलट के रूप में चुना गया. वे भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए पूरी दुनिया को भारतीय क्षमता का परिचय देंगे.
भविष्य की राह और प्रेरणा
Axiom Mission 4 के बाद शुभांशु गगनयान मिशन के लिए भी तैयार रहेंगे. उनके अनुभव का इस्तेमाल ISRO और भारत भविष्य की अंतरिक्ष रणनीतियों में करेगा.
उनका जीवन और करियर आने वाली पीढ़ियों के लिए यह संदेश देता है कि:
“सपने देखो, मेहनत करो और उड़ान भरो – क्योंकि अंतरिक्ष भी अब भारतीयों की पहुंच में है.”
अन्य भारतीय वंश के अंतरिक्ष यात्रियों की झलक
जब हम शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा की बात करते हैं, तो यह ज़रूरी है कि उन महान भारतीय और भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्रियों को भी याद किया जाए जिन्होंने पहले ही अंतरिक्ष में भारत की छवि को ऊँचाइयों तक पहुँचाया है.
राकेश शर्मा (भारतीय नागरिक)
- विंग कमांडर राकेश शर्मा भारतीय वायुसेना के पूर्व पायलट हैं, जो 3 अप्रैल 1984 को Soyuz T-11 मिशन के तहत अंतरिक्ष गए थे. वह Salyut 7 स्पेस स्टेशन पर 7 दिन 21 घंटे 40 मिनट तक रहे और बायोमेडिसिन व रिमोट सेंसिंग से जुड़े 43 प्रयोग किए. जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूछा कि “भारत अंतरिक्ष से कैसा दिखता है?”, तो उन्होंने गर्व से उत्तर दिया – “सारे जहाँ से अच्छा”.
कल्पना चावला (भारतीय मूल)
- हरियाणा के करनाल में जन्मी कल्पना चावला पहली भारतीय मूल की महिला थीं जिन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा की. उन्होंने दो बार NASA के मिशनों STS-87 (1997) और STS-107 (2003) में भाग लिया. STS-107 मिशन के दौरान उनकी मृत्यु हुई, लेकिन उनका योगदान अमर हो गया. उन्हें मरणोपरांत Congressional Space Medal of Honour से सम्मानित किया गया.
सुनीता विलियम्स (भारतीय मूल)
- NASA की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने Expeditions 14/15 (2006–2007) और 32/33 (2012) में भाग लिया. उन्होंने 608 दिनों से अधिक समय अंतरिक्ष में बिताया और महिलाओं में सबसे अधिक स्पेसवॉक (29 घंटे 17 मिनट) करने का रिकॉर्ड बनाया. वे भारतवंशी गौरव की एक मजबूत मिसाल हैं.
राजा चारी (भारतीय मूल)
- राजा जॉन वुर्पुटूर चारी एक भारतीय-अमेरिकी और अमेरिकी एयरफोर्स के कर्नल हैं. वे NASA Astronaut Group 22 का हिस्सा रहे और SpaceX Crew-3 मिशन के कमांडर भी रहे. 2022 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर EVA (spacewalk) भी किया. वे Artemis Program में चंद्रमा मिशन की तैयारी कर रहे हैं.
सिरीशा बंडला (भारतीय मूल)
- आंध्र प्रदेश में जन्मी सिरीशा बंडला Virgin Galactic की वाइस प्रेसिडेंट हैं. उन्होंने Unity 22 मिशन (2021) के तहत उड़ान भरी, और अंतरिक्ष में जाने वाली तीसरी भारतीय मूल की महिला बनीं.
निष्कर्ष: अंतरिक्ष में भारतीय पहचान की नई उड़ान
शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उड़ान सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के सपनों की ऊँचाई है. राकेश शर्मा की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, शुभांशु ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारतीय प्रतिभा अब केवल ज़मीन तक सीमित नहीं है — वह अंतरिक्ष की गहराइयों में भी अपना परचम लहरा रही है.
कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स, राजा चारी और सिरीशा बंडला जैसे भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्रियों की प्रेरक कहानियाँ यह बताती हैं कि सीमाएँ केवल सोच की होती हैं. आज का भारत न केवल अंतरिक्ष की ओर देख रहा है, बल्कि उसमें कदम भी रख रहा है — आत्मविश्वास, विज्ञान और समर्पण के साथ.
शुभांशु की यह उड़ान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक संदेश है:
“सपनों को पंख दो, मेहनत से उड़ान भरो — क्योंकि अब अंतरिक्ष भी तुम्हारा है.”