हरियाणा चुनाव के बाद कितना बदला है दिल्ली का सियासी मिजाज ?
हरियाणा चुनाव के बाद कितना बदला है दिल्ली का सियासी मिजाज ?
Authored By: सतीश झा
Published On: Friday, November 29, 2024
Updated On: Thursday, May 1, 2025
हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने दिल्ली के सियासी मिजाज को काफी हद तक बदल दिया है। यह चुनाव न केवल हरियाणा, बल्कि दिल्ली की राजनीति पर भी गहरा असर डालने वाला साबित हुआ है। जहां भाजपा की अप्रत्याशित जीत ने विपक्ष के दावे को नकारा, वहीं दिल्ली के राजनीतिक समीकरण में भी बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।
Authored By: सतीश झा
Updated On: Thursday, May 1, 2025
देश में होने वाला हर चुनाव अपनी अहमियत रखता है, लेकिन महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के करीब दो महीने बाद होने वाला दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) खासकर अब और भी महत्वपूर्ण हो गया है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम ने देशभर, खासकर दिल्ली के राजनीतिक समीकरण को नया मोड़ दिया है।
BJP की मजबूती और AAP की चुनौती हरियाणा में भाजपा की ऐतिहासिक जीत ने यह साबित कर दिया कि पार्टी अब राष्ट्रीय राजनीति में किसी भी क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बनाए हुए है, चाहे वह उत्तर भारत हो या अन्य क्षेत्र। इस परिणाम ने दिल्ली में भाजपा (BJP) के लिए उम्मीदें और बढ़ा दी हैं, खासकर आगामी 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर। भाजपा ने हरियाणा में विपक्षी दलों को न केवल मात दी, बल्कि कांग्रेस और आआपा जैसे दलों के राजनीतिक दावों को भी चुनौती दी। भाजपा की इस जीत से दिल्ली में आआपा और कांग्रेस के खेमे में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है।
दिल्ली में AAP की सरकार को पिछले दो चुनावों में मिली शानदार जीत के बावजूद, हरियाणा के परिणाम ने उनके लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। जहां पहले आआपा का दावा था कि वे BJP के विकल्प के तौर पर दिल्ली में प्रचंड जीत हासिल करेंगे, अब पार्टी को अपनी साख बचाने की कठिन चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। आआपा के शराब घोटाले में आरोपों और पार्टी के नेताओं की गिरफ्तारी ने उसके ईमानदारी के दावे पर भी सवाल उठाए हैं।
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कांग्रेस का कमजोर प्रभाव हरियाणा चुनावों ने कांग्रेस की कमजोरी को भी उजागर किया है। राज्य में भाजपा की बढ़त ने कांग्रेस की सत्ता में आने की उम्मीदों को तोड़ा। दिल्ली में कांग्रेस, जो कभी भाजपा के लिए एक मजबूत प्रतिद्वंदी मानी जाती थी, अब भाजपा के मुकाबले कहीं पीछे दिख रही है। कांग्रेस पार्टी को हरियाणा में जहां एक ओर संजीवनी मिल सकती थी, वहीं उसकी हार ने दिल्ली में उसकी स्थिति को और कमजोर कर दिया है।
प्रवासियों का प्रभाव
दिल्ली का राजनीतिक परिदृश्य खास तौर पर प्रवासियों से प्रभावित है। हरियाणा चुनाव में भाजपा की जीत ने दिल्ली के प्रवासी मतदाताओं को एक संकेत दिया है कि उनकी स्थिति अब ज्यादा महत्वपूर्ण बनती जा रही है। दिल्ली में AAP ने अपने वजूद को बनाए रखने के लिए इन प्रवासियों को समर्थन में लिया था। यही वजह है कि आआपा के लिए दिल्ली में अगले चुनावों में हरियाणा जैसी स्थिति से बचना बड़ी चुनौती होगी।
भविष्य की दिशा
हरियाणा चुनाव के परिणाम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली में 2025 के विधानसभा चुनाव में BJP और AAP के बीच कड़ा मुकाबला होगा। भाजपा के लिए जहां हरियाणा में जीत ने आत्मविश्वास बढ़ाया है, वहीं AAP को अपनी साख बचाने के लिए अब अधिक मेहनत करनी होगी। कांग्रेस की स्थिति फिलहाल कमजोर है, लेकिन वह भी अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए प्रयासरत रहेगी।
इस तरह, हरियाणा चुनाव ने दिल्ली की राजनीति को न केवल प्रभावित किया है, बल्कि दिल्ली के सियासी मिजाज में बदलाव की दिशा भी तय की है, जिसमें भाजपा और AAP के बीच मुकाबला और तीव्र होने की संभावना है।
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