साहब जी ये अंदर की बात है

साहब जी ये अंदर की बात है

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Published On: Tuesday, April 16, 2024

Updated On: Saturday, April 26, 2025

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आखिर क्यों लड़ें नेताजी लोकसभा चुनाव में जिस दल से लड़ने पर जीतने की गरंटी मिले उस  दल से भी अगर कोई चुनाव नहीं लड़ना चाहता है तो मतलब साफ है कि मन में कुछ खोट है। इस चुनाव ऐसा ही कुछ हो रहा है। नाम की घोषणा होने के बाद प्रत्याशी यह [...]

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Updated On: Saturday, April 26, 2025

आखिर क्यों लड़ें नेताजी

लोकसभा चुनाव में जिस दल से लड़ने पर जीतने की गरंटी मिले उस  दल से भी अगर कोई चुनाव नहीं लड़ना चाहता है तो मतलब साफ है कि मन में कुछ खोट है। इस चुनाव ऐसा ही कुछ हो रहा है। नाम की घोषणा होने के बाद प्रत्याशी यह कहे मैं चुनाव नहीं लडूंगा तो मतलब साफ है कि कुछ तो अंदरखाने चल रहा है। चुनाव जीतने की गारंटी के बाद अगर कोई कहे, साहब हम चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं तो इसे क्या कहेंगे, जाहिर है साहब जी यह अंदर की बात है।

जीतेंगे तो हम ही

हर कोई चुनाव लड़ने के लिए बेताब है और सभी कह रहे हैं कि जीतेंगे तो हम ही। लेकिन सही में जीतने वाला व्यक्ति कभी नहीं कहता है कि जीतेंगे हम ही। क्योंकि होता वही है कि हम कर्म करेंगे फल तो ऊपर वाला देगा। लेकिन साहब राजनीति ऐसी है कि हर कोई कह रहा है कि जीतेंगे तो हम ही। लेकिन पूछो की वोट कहां से मिलेगा तो फिर आ जाते हैं कि साहब हमारे साथ तो पूरा समाज खड़ा है, कौन सा समाज इस सवाल पर नेताजी की चुप्पी भी गहरे अर्थ रखती है।

दावे तो बहुत हैं मगर

चुनाव में तो दावे बहुत हैं मगर कौन सा दावा पूरा होगा, कौन सा नहीं यह कोई कह नहीं सकता। चुनाव लड़ रहे एक नेताजी ने विपक्षी नेता के बारे में यह कहकर सबको चौंका दिया कि वो बेहतर जनप्रतिनिधि रहा है। अब सवाल यह है कि यह कहने वाले नेताजी सत्तापक्ष के साथ हैं, फिर भी विपक्ष के उम्मीदवार की तारीफ कर रहे हैं। कहने वाले कह रहे हैं कि आखिर यह कैसी उलटबांसी है। 

आएगा तो मोदी ही

बहुत चुनाव देखा साहब हमने और आपने भी लेकिन इतने आश्वस्त भाव से यह कहते कभी किसी को नहीं सुना कि इस बार हमारी ही सरकार आ रही है। अब जबकि 2024 के आम चुनावों का शंखनाद हो चुका है और सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सबके अपने अपने अलग अलग चुनावी दावे हैं। सत्ता पक्ष तो चुनाव जीतने का आत्मविश्वास लिए खुश बैठा है तो उनका दावा समझ में आता है लेकिन गजब तो यह है कि विपक्षी नेता भी यह कहते नजर आ रहे हैं कि हम चुनाव में बेहतर प्रदर्शन तो करेंगे लेकिन आएगा फिर भी मोदी ही। आखिर जिनको ऐसा नहीं कहना चाहिए वे सब यह सब क्यों कह रहे हैं। साहब जी ये अंदर की बात है।

अरुण श्रीवास्तव पिछले करीब 34 वर्ष से हिंदी पत्रकारिता की मुख्य धारा में सक्रिय हैं। लगभग 20 वर्ष तक देश के नंबर वन हिंदी समाचार पत्र दैनिक जागरण में फीचर संपादक के पद पर कार्य करने का अनुभव। इस दौरान जागरण के फीचर को जीवंत (Live) बनाने में प्रमुख योगदान दिया। दैनिक जागरण में करीब 15 वर्ष तक अनवरत करियर काउंसलर का कॉलम प्रकाशित। इसके तहत 30,000 से अधिक युवाओं को मार्गदर्शन। दैनिक जागरण से पहले सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल (हिंदी), चाणक्य सिविल सर्विसेज टुडे और कॉम्पिटिशन सक्सेस रिव्यू के संपादक रहे। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, करियर, मोटिवेशनल विषयों पर लेखन में रुचि। 1000 से अधिक आलेख प्रकाशित।
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