‘Youtube Revolution’ in Tulsi Village : 2016 में शुरू हुई एक सामान्य गांव के ‘यूट्यूबर्स के गांव’ बनने की कहानी, गांव में चल रहे 40 यूट्यूब चैनल

‘Youtube Revolution’ in Tulsi Village : 2016 में शुरू हुई एक सामान्य गांव के ‘यूट्यूबर्स के गांव’ बनने की कहानी, गांव में चल रहे 40 यूट्यूब चैनल

Authored By: अंशु सिंह

Published On: Wednesday, March 12, 2025

Updated On: Wednesday, March 12, 2025

तुलसी गांव में यूट्यूब क्रांति – 40 यूट्यूब चैनलों की अनोखी कहानी।
तुलसी गांव में यूट्यूब क्रांति – 40 यूट्यूब चैनलों की अनोखी कहानी।

Youtube revolution Tulsi Village : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 45 किलोमीटर दूर तुलसी (Tulsi) गांव देश के बाकी गांवों से कुछ अलग है. यहां डिजिटल क्रांति की एक अद्भुत मिसाल देखने को मिल रही है. करीब 1000 ग्रामीण यूट्यूब के लिए वीडियोज एवं कंटेंट क्रिएट कर रहे हैं. इसलिए इसे ‘यूट्यूबर्स का गांव’ (Youtubers Village) भी कहा जा रहा है. दिलचस्प ये है कि हर आयु वर्ग के लोग यूट्यूब के लिए कंटेंट तैयार कर रहे हैं. इनमें बच्चों से लेकर महिलाएं शामिल हैं.

Authored By: अंशु सिंह

Updated On: Wednesday, March 12, 2025

हाइलाइट्स

  • ‘तुलसी’ गांव की कुल आबादी है करीब चार हजार
  • गांव के 1000 लोग हैं यूट्यूबर
  • विभिन्न विषयों पर कर रहे हैं कंटेंट क्रिएट
  • ग्रामीण यूट्यूबर्स महीने में 20 से 30 हजार रुपये की कर रहे कमाई
  • ‘बीइंग छत्तीसगढ़िया’ है गांव का पहला यूट्यूब चैनल

Youtube Revolution in Tulsi Village: छत्तीसगढ़ का तुलसी गांव देखने में एक सामान्य गांव है, जहां पहुंचने के लिए कच्चे-पक्के रास्तों से गुजरना होता है. ऊपर से देखने पर यह देश के किसी दूसरे गांव की तरह ही प्रतीत होता है. लेकिन ये एक खास बात के लिए आज काफी प्रसिद्ध हो चुका है. जी हां, तुलसी गांव को ‘यूट्यूब विलेज’ भी कहा जाता है. यहां रहने वाले करीब 4 हजार लोगों में से एक हजार लोग कॉमेडी, शिक्षा, संस्कृति एवं सामाजिक मुद्दों पर वीडियोज बनाकर उन्हें चैनल पर अपलोड कर रहे हैं. बताते हैं कि यूट्यूब प्लेटफॉर्म पर गांव के करीब 40 सक्रिय चैनल हैं, जिन पर हजारों वीडियोज हैं.

2018 में हुई ‘बीइंग छत्तीसगढ़िया’ यूट्यूब चैनल की शुरुआत

यूट्यूबर्स के इस गांव में हर दूसरा शख्स कंटेंट क्रिएट कर रहा है. गांव की छोटी-मोटी बातें भी इंटरनेट से देश-दुनिया में पहुंच रही हैं. कंटेंट क्रिएट करने में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं. इससे सभी को अच्छा-खासा आर्थिक फायदा भी पहुंच रहा. गांव के डिजिटल कंटेंट क्रिएशन हब बनने की शुरुआत साल 2016 में हुई थी, जब जय वर्मा एवं ज्ञानेंद्र शुक्ला ने यूट्यूब के लिए वीडियोज बनाने का फैसला लिया. ज्ञानेंद्र के अनुसार, वे नेटवर्क इंजीनियर थे और जय शिक्षक. एक दिन उन्होंने सिर्फ मजे के लिए कंटेंट बनाकर यूट्यूब चैनल पर पोस्ट करने का सोचा. पहले कुछ तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. कॉपीराइट का भी मामला हुआ. आखिरकार, साल 2018 में हमारे चैनल ‘बीइंग छत्तीसगढ़िया’ की शुरुआत हो सकी. यह पहला कॉमेडी यूट्यूब चैनल था. महीने भर में ही इसके हजारों फॉलोअर्स हो गए. संख्या लगातार बढ़ती गई. आज इस चैनल के 1 लाख 25 हजार से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं, जबकि इसकी व्युअरशिप 26 करोड़ के आसपास है.

महीने में 20 से 30 हजार रुपये कमा रहे यूट्यूबर्स

वर्मा एवं शुक्ला ने एक चीज तय की कि वे पारिवारिक वीडियोज को प्राथमिकता देंगे, जिससे कि अपनी संस्कृति से जुड़े रहें. उनके वीडियोज में त्योहारों, सांस्कृतिक उत्सवों की जानकारी होती है. ‘बीइंग छत्तीसगढ़िया’ चैनल की सफलता ने गांव के दूसरे लोगों को भी यूट्यूब चैनल शुरू करने के लिए प्रेरित किया. आज ‘बैक बेंचर्स’ (24,800 सब्सक्राइबर्स), ‘निम्गा छत्तीसगढ़िया’ (9200 सब्सक्राइबर्स), ‘संगीत चैनल गोल्ड सीजी04’ एवं ‘फन टपरी’ जैसे चैनल्स के सब्स्क्राइबर्स की अच्छी संख्या है. ज्यादातर कंटेंट क्रिएटर साथ मिलकर या विकेंद्रित तरीके से काम करते हैं. किसी के पास कोई आइडिया आता है, तो वह दूसरों से सलाह-मशविरा करते हैं. यूट्यूब के जरिये एक कंटेंट क्रिएटर महीने में औसतन 20 से 40 हजार रुपये कमा लेते हैं. इसके अलावा, वे एडवर्टाइजिंग एवं प्रोडक्ट का प्रमोशन करके भी कमाई करते हैं.

स्थानीय प्रशासन ने स्थापित किया गांव में स्टूडियो

जैसे-जैसे यूट्यूबर्स की संख्या बढ़ती गई, वे रायपुर जिला प्रशासन की नजर में भी आ गए. साल 2023 में जिला प्रशासन की ओर से गांव में सभी तकनीकी सुविधाओं से लैस स्टेट आर्ट स्टूडियो (हमर फ्लिक्स) स्थापित किया गया. यहां यूट्यूबर्स शूटिंग करने के साथ ही अपना कंटेंट भी तैयार करते हैं. यूट्यूब की वजह से गांव के कलाकारों को अपना हुनर दिखाने का मौका मिला है. जो युवा, महिलाएं पहले गांव की रामलीला मंडलियों में काम करते थे, वे अब क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों में अभिनय कर रहे हैं. कुछ लेखन एवं डायरेक्शन में भी हाथ आजमा रहे हैं. इनमें पिंकी साहू सबसे अधिक लोकप्रिय हैं. वे छत्तीसगढ़ की फिल्म इंडस्ट्री ‘चॉलीवुड’ का अहम हिस्सा हैं. अब तक 10 से 12 फिल्में कर चुकीं पिंकी इंस्टाग्राम एवं यूट्यूब के लिए भी रील्स बनाती हैं. पिंकी का कहना है कि उन्हें बचपन से ही एक्टिंग का शौक था. लेकिन परिवार वालों के विरोध के कारण वे आगे नहीं बढ़ सकीं. आज स्थिति बदल चुकी है. उन्हें परिजनों का पूरा सहयोग मिल रहा है.

About the Author: अंशु सिंह
अंशु सिंह पिछले बीस वर्षों से हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनका कार्यकाल देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण और अन्य राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में प्रेरणादायक लेखन और संपादकीय योगदान के लिए उल्लेखनीय है। उन्होंने शिक्षा एवं करियर, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, यात्रा एवं पर्यटन, जीवनशैली और मनोरंजन जैसे विषयों पर कई प्रभावशाली लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी में गहरी सामाजिक समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो पाठकों को न केवल जानकारी बल्कि प्रेरणा भी प्रदान करती है। उनके द्वारा लिखे गए सैकड़ों आलेख पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ चुके हैं।
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