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Chaiti Chhath 2025 : आज 3 अप्रैल को दिया जाएगा डूबते सूर्य को अर्घ्य
Chaiti Chhath 2025 : आज 3 अप्रैल को दिया जाएगा डूबते सूर्य को अर्घ्य
Authored By: स्मिता
Published On: Thursday, April 3, 2025
Last Updated On: Thursday, April 3, 2025
Chaiti Chhath 2025 : आज 3 अप्रैल को शाम 6 बजकर 40 मिनट पर सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा. चैती छठ के चौथे दिन 4 अप्रैल को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. यह समय सुबह 6 बजकर 08 मिनट होगा. उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण होगा.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Thursday, April 3, 2025
Chaiti Chhath 2025 : सूर्य उपासना का महापर्व चैती छठ के लिए देश भर में नदियों के घाट पर तैयारी पूरी हो गई है. चैत्र मास में होने वाले इस छठ पूजा का अपना विशेष महत्व है. इसलिए मंदिर और नदी घाटों की साफ-सफाई कराई जा रही है. वहीं छठ व्रतियों की सुविधा के लिए अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं (Chaiti Chhath 2025) भी की जा रही हैं.
चैत्र नवरात्र और चैती छठ साथ-साथ
एक अप्रैल को नहाय खाय के साथ चैत्र नवरात्र की शुरूआत हो गई. कल व्रतियों ने खरना रखा था. आज गुरुवार को डूबते हुए सूर्य को व्रती अर्घ्य देंगे. वहीं चार अप्रैल को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पर्व की समाप्ति होगी. देश भर में चैती छठ काफी धूमधाम से मनाया जाता है. नदी तट पर बेहतर व्यवस्था मिलने के कारण दूर दराज के लोग भी छठ पर्व करने आते हैं।
संध्या और सूर्योदय अर्घ्य का समय (Chaiti Chhath 2025 Arghya Timing)
परिवार की सुख शांति और समृद्धि के लिए चैती छठ किया जा रहा है. ज्योतिषशास्त्री पंडित अनिल शास्त्री के अनुसार, चैती छठ का संध्याकाल अर्घ्य 3 अप्रैल यानी आज किया जा रहा है. आज शाम 6 बजकर 40 मिनट पर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाएगा. चैती छठ का चौथा दिन 4 अप्रैल को होगा. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण का होता है. उगते सूर्य को अर्घ्य सुबह 6 बजकर 08 मिनट पर किया जाएगा.
श्रीराम मंदिर में होगी महाआरती
हिंदू नववर्ष (Hindu Nav Varsh) एवं चैत्र नवरात्र के अवसर पर रामनवमी महोत्सव के दौरान श्रीराम मंदिर में प्रभु श्रीराम की महाआरती की जाएगी। रामजन्मोत्सव पर श्रीराम जन्मभूमि परिसर के अंगद टीला पर श्री राम जन्मभूमितीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा आयोजित रामकथा के चतुर्थ दिवस पर कथा व्यास अतुलकृष्ण भारद्वाज महाराज ने कहा कि श्रीराम के दर्शन मात्र से ही इन्द्र व अहिल्या का उद्धार हो गया.
कागभुशुण्डीजी का प्रण
कथा व्यास अतुलकृष्ण भारद्वाज महाराज ने बताया कि दुनिया भर के कौए गंदगी में वास करते हैं. लेकिन कागभुशुण्डीजी ने भगवान के जन्म के उपरान्त संकल्प किया कि जब तक भगवान पांच वर्ष के नहीं हो जाएंगे, तब तक सब कुछ त्याग, मै अवध में ही वास करूंगा. राजा दशरथ के महल की मुंडेरी पर बैठ भगवान की बाल लीलाओं के दर्शन कर जीवन धन्य करूंगा। इसको वर्णित करते हुए सूरदास जी का प्रचलित भजन जन-जन की जिह्वा पर आज भी अंकित है. खेलत खात फिरै अंगना, पगु पैजनिया अरु पीली कछोटी. काग के भाग कहा कहिए, हरि हाथ से ले गयो माखन रोटी.
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