Gauri Vrat 2025 : गौरी व्रत से मजबूत होती है ईश्वर के प्रति आस्था और भक्ति

Gauri Vrat 2025 : गौरी व्रत से मजबूत होती है ईश्वर के प्रति आस्था और भक्ति

Authored By: स्मिता

Published On: Friday, June 13, 2025

Last Updated On: Friday, June 13, 2025

Gauri Vrat 2025: आस्था और भक्ति को प्रगाढ़ करने वाला पर्व, जो ईश्वर के प्रति समर्पण और आत्मिक शुद्धता का प्रतीक है.
Gauri Vrat 2025: आस्था और भक्ति को प्रगाढ़ करने वाला पर्व, जो ईश्वर के प्रति समर्पण और आत्मिक शुद्धता का प्रतीक है.

Gauri Vrat 2025 : गौरी व्रत से ईश्वर के प्रति आस्था और भक्ति मजबूत होती है और मन एकाग्रचित्त होता है. देवी पार्वती को समर्पित यह व्रत रविवार, 6 जुलाई 2025 से शुरू है.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Friday, June 13, 2025

Gauri Vrat 2025: मां पार्वती को समर्पित है गौरी व्रत. गौरी व्रत की तिथियां क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार, अलग-अलग होती हैं. यह भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तिथियों के अनुसार गौरी व्रत-त्योहार मनाया जाता है. उत्तरी भारत में गौरी व्रत मंगलवार को मनाया जाता है. इसलिए यह मंगला गौरी व्रत भी कहलाता है. गुजरात में यह 5 दिवसीय होता है, जिसे जया पार्वती व्रत के नाम से भी जाना जाता है. यह आषाढ़ महीने में मनाया जाता है.

गौरी व्रत 2025 तिथि और समय (Gauri Vrat Date & Time )

  • गौरी व्रत रविवार, 6 जुलाई 2025 को शुरू होगा.
  • गौरी व्रत गुरुवार, 10 जुलाई 2025 को समाप्त होगा.
  • जया पार्वती व्रत मंगलवार, 8 जुलाई 2025 को होगा
  • एकादशी तिथि प्रारंभ – 05 जुलाई, 2025 को शाम 06:58 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त – 06 जुलाई, 2025 को रात 09:14 बजे
  • यह देवी पार्वती और भगवान शिव को समर्पित 5 दिवसीय व्रत है।

क्या है गौरी व्रत कथा (Gauri Vrat Katha)

गौरी व्रत की कथा पति-पत्नी के एक जोड़े, उनका धर्म और देवी पार्वती और भगवान शिव के प्रति उनकी भक्ति है. पुत्र की चाहत में उन्होंने एक ब्राह्मण के मार्गदर्शन का पालन किया और देवताओं की पूजा की. उनकी भक्ति के कारण एक पुत्र का जन्म हुआ, लेकिन वह अल्पायु था. पत्नी ने गौरी व्रत रखा था, इसलिए बेटे को लंबी उम्र का आशीर्वाद मिला और उसकी अकाल मृत्यु नहीं हुई.

अविवाहित लड़कियां क्यों मनाती हैं गौरी व्रत (Gauri Vrat for unmarried girls)

महिलाएं खास तौर पर अविवाहित लड़कियां अच्छे और समृद्ध विवाह के लिए गौरी व्रत रखती हैं. वे देवी गौरी (देवी पार्वती का दूसरा नाम) का आशीर्वाद लेने के लिए ये व्रत रखती हैं। यह एक भक्तिपूर्ण अनुष्ठान है, जिसमें देवी के लिए समर्पित उपवास, प्रार्थना और विशिष्ट अनुष्ठान किए जाते हैं। माना जाता है कि यह व्रत भक्तों में अनुशासन, धैर्य और भक्ति का संचार करता है.

गौरी व्रत के आध्यात्मिक फायदे (Spiritual Benefits of Gauri Vrat)

गौरी व्रत पर किए जाने वाले उपवास और अनुष्ठान मुख्य रूप से वैवाहिक सुख, उपयुक्त साथी और समृद्ध विवाहित जीवन के लिए किए जाते हैं. इसका आध्यात्मिक महत्व भी है. माना जाता है कि यह व्रत आशीर्वाद लाता है और विवाह और परिवार की खुशहाली से संबंधित इच्छाओं को पूरा करता है।

मोरकट व्रत कहलाता है गौरी व्रत (Morkat fast)

गौरी व्रत देवी पार्वती को समर्पित एक महत्वपूर्ण उपवास अवधि है। गौरी व्रत मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है. गौरी पूजा का व्रत मुख्य रूप से अविवाहित लड़कियों द्वारा अच्छे पति की तलाश के लिए रखा जाता है।

गौरी व्रत आषाढ़ माह में 5 दिनों तक मनाया जाता है। यह शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होता है और पांच दिन बाद पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है. गौरी व्रत को मोरकट व्रत के नाम से भी जाना जाता है.

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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