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15 June Kainchi Dham Sthapna Diwas: आस्था, इतिहास, चमत्कार और बाबा नीम करौली की अनसुनी कहानियां
15 June Kainchi Dham Sthapna Diwas: आस्था, इतिहास, चमत्कार और बाबा नीम करौली की अनसुनी कहानियां
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, June 13, 2025
Last Updated On: Friday, June 13, 2025
15 जून को उत्तराखंड के कैंची धाम में बाबा नीम करौली महाराज (Baba Neem Karoli Maharaj) द्वारा 1964 में स्थापित आश्रम का स्थापना दिवस (15th June Kainchi Dham Sthapna Diwas) बड़े उत्साह से मनाया जाता है. यह दिन श्रद्धालुओं के लिए आस्था, भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है. स्थापना दिवस पर विशेष पूजा, हवन, भजन-कीर्तन और विशाल भंडारे का आयोजन होता है. इस पर्व का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी गहरा है, जो सेवा, प्रेम और एकता का संदेश देता है. लेख में बाबा नीम करौली महाराज के जीवन, शिक्षाएं, चमत्कार और धाम तक पहुंचने के आसान मार्गों की जानकारी दी गई है.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Friday, June 13, 2025
उत्तराखंड की शांत और हरी-भरी वादियों में स्थित कैंची धाम (Kainchi Dham) आश्रम हर वर्ष 15 जून को एक भव्य और आध्यात्मिक उत्सव का गवाह बनता है. यह पावन स्थल बाबा नीम करौली महाराज द्वारा 15 जून 1964 को स्थापित किया गया था और आज यह न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए आस्था, भक्ति और चमत्कारों का केंद्र बन चुका है. बाबा के दर्शन के लिए हर साल दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं. इस वर्ष 15 जून को रविवार के दिन धाम में एक भव्य मेले का आयोजन किया जा रहा है, जिसकी तैयारियां जोरों पर हैं. यह दिन हर साल श्रद्धा, भक्ति और दिव्यता का प्रतीक बनकर लोगों के दिलों में एक नई ऊर्जा भर देता है.आइए, जानते हैं कैंची धाम के स्थापना दिवस के इतिहास, आयोजन, महत्व और बाबा नीम करौली महाराज (Baba Neem Karoli Maharaj) की जीवन यात्रा के बारे में विस्तार से.
कैंची धाम का इतिहास और स्थापना (History and Establishment of Kainchi Dham)

कैंची धाम की स्थापना 15 जून, 1964 को बाबा नीम करौली महाराज ने की थी. यह स्थल नैनीताल जिले के भीमताल के पास स्थित है. बाबा नीम करौली महाराज, जिन्हें उनके भक्त ‘महाराज जी’ या ‘नीब करौरी बाबा’ के नाम से भी जानते हैं, ने इस स्थान को अपनी साधना और सेवा का केंद्र बनाया. कहा जाता है कि 1942 में बाबा ने इस स्थान के बारे में एक दिव्य स्वप्न देखा था और 1962 में उन्होंने यहां आकर अपने शिष्य पूरनानंद जी के साथ मिलकर आश्रम की नींव रखी थी.
स्थापना के समय यह क्षेत्र घना जंगल था, जहां साधु प्रेमी बाबा और सोमबरी महाराज यज्ञ किया करते थे. बाबा ने यहां एक चबूतरा (यज्ञशाला) बनवाया, जो आज के भव्य हनुमान मंदिर का आधार बना. 15 जून को प्रतिवर्ष इस चबूतरे पर मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा और विशेष पूजा होती है, जिसे ‘प्रतिष्ठा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.
बाबा नीम करौली महाराज: जीवन और शिक्षाएं(Baba Neem Karoli Maharaj: Life and Teachings)
बाबा नीम करौली महाराज का जन्म लगभग 1900 में उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में हुआ था. उनका वास्तविक नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा था. बचपन से ही उनमें आध्यात्मिक झुकाव था. 11 वर्ष की आयु में विवाह के बाद भी उनका मन सांसारिक जीवन में नहीं लगा और वे साधु बनकर देश-विदेश में भ्रमण करने लगे. उनके जीवन में कई चमत्कारी घटनाएं घटीं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध घटना ट्रेन से निकाले जाने के बाद ट्रेन का न चलना और फिर बाबा के वापस चढ़ने पर ट्रेन का चलना है.
वे स्वयं को हनुमान जी का भक्त मानते थे और उनके उपदेशों में प्रेम, करुणा, सेवा और भक्ति का संदेश मिलता है. उनके भक्तों में भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका सहित कई देशों के लोग शामिल हैं, जिनमें रामदास, भगवन दास, कृष्ण दास जैसे प्रसिद्ध नाम भी हैं. 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में उन्होंने देह त्यागी, पर उनका प्रेम और आशीर्वाद आज भी लाखों भक्तों के हृदय में जीवित है – मौन, लेकिन सशक्त उपस्थिति के रूप में.
कैंची धाम स्थापना दिवस का महत्व (Significance of Kainchi Dham Foundation Day)

हर वर्ष 15 जून को कैंची धाम में स्थापना दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. आश्रम में विशेष पूजा-अर्चना, हवन, वेद मंत्रों का जाप, भजन-कीर्तन और विशाल भंडारे का आयोजन होता है. भक्तों को प्रसाद के रूप में भोजन वितरित किया जाता है, जिससे सामूहिकता और सेवा की भावना का संचार होता है.
स्थापना दिवस न केवल बाबा की शिक्षाओं और चमत्कारों की याद दिलाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस प्रकार एक साधारण गांव आज विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक केंद्र बन चुका है. इस दिन कैंची धाम में एक विशेष ऊर्जा और आध्यात्मिक वातावरण महसूस किया जा सकता है, जिसमें हर भक्त खुद को बाबा के सान्निध्य में पाता है.
आयोजन की झलकियां (Highlights of the Event)
- विशेष पूजा और हवन: सुबह से ही मंदिर परिसर में विशेष पूजा, हवन और वेद मंत्रों का उच्चारण होता है.
- भजन-कीर्तन: भक्ति गीतों और कीर्तन से वातावरण भक्तिमय हो जाता है.
- विशाल भंडारा: हजारों श्रद्धालुओं के लिए नि:शुल्क भोजन (प्रसाद) वितरित किया जाता है.
- आध्यात्मिक प्रवचन: बाबा के शिष्यों और संतों द्वारा उनके जीवन और शिक्षाओं पर प्रवचन होते हैं.
तीन दिन मिलेगा मालपुए का प्रसाद
इस वर्ष नीम करोली बाबा के प्रसिद्ध कैंची धाम में हर भक्त को मालपुए का प्रसाद प्राप्त हो सके, इसके लिए विशेष व्यवस्था की गई है. मंदिर प्रशासन ने यह निर्णय लिया है कि केवल 15 जून को ही नहीं, बल्कि अगले दो दिनों तक, यानी 16 और 17 जून को भी प्रसाद वितरित किया जाएगा. इसका उद्देश्य यह है कि कोई भी भक्त प्रसाद से वंचित न रहे और सभी बाबा के दर्शन कर पुण्य लाभ के साथ लौट सकें.
कैंची धाम के लिए विशेष ट्रैफिक व्यवस्था
कैंची धाम एक संकरे क्षेत्र में स्थित है, जहां एक ओर पहाड़ और दूसरी ओर गदेरा है. जब लाखों की संख्या में भक्त यहां एकत्र होते हैं, तो ट्रैफिक जाम की गंभीर समस्या उत्पन्न होती है. इस वजह से नैनीताल पुलिस प्रशासन ने विशेष ट्रैफिक योजना तैयार की है ताकि यातायात सुचारू रूप से संचालित हो सके और श्रद्धालुओं को परेशानी न हो.
14 जून से मार्ग होगा डायवर्ट
एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने जानकारी दी है कि 14 जून की सुबह 8 बजे से 15 जून की शाम 7 बजे तक भवाली से कैंची धाम मार्ग पर ट्रैफिक डायवर्ट रहेगा. काठगोदाम-ज्योलीकोट की ओर से आने वाले वाहन क्वारब की ओर भेजे जाएंगे, वहीं हल्द्वानी से भीमताल जाने वाले वाहन खुटानी-धानाचूली होकर अल्मोड़ा की ओर जाएंगे.
15 पार्किंग स्थल और शटल सेवा की व्यवस्था
15 जून को जिला प्रशासन ने 15 पार्किंग स्थलों की व्यवस्था की है. इन स्थलों से शटल सेवाओं के माध्यम से श्रद्धालुओं को कैंची धाम तक लाया जाएगा. इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में दोगुने शटल वाहन चलाए जाएंगे. हल्द्वानी, नैनीताल, काठगोदाम, कालाढूंगी, गरमपानी, भवाली और भीमताल जैसे स्थानों से विशेष शटल सेवाएं संचालित की जाएंगी.
कैंची धाम की विशेषताएं (Unique Features of Kainchi Dham)

- स्थान: नैनीताल जिले के भीमताल के पास, पहाड़ों और जंगलों के बीच स्थित.
- मुख्य मंदिर: हनुमान जी का भव्य मंदिर, बाबा नीम करौली महाराज की समाधि, अन्य देवी-देवताओं के मंदिर.
- आश्रम परिसर: शांत, स्वच्छ और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण.
- भक्तों का संगम: भारत के अलावा अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों से भी भक्त यहां आते हैं.
कैंची धाम कैसे पहुंचे? (How to Reach Kainchi Dham?)
नैनीताल से कैंची धाम की दूरी लगभग 18 किलोमीटर है. काठगोदाम रेलवे स्टेशन से टैक्सी, बस या निजी वाहन से भी यहां पहुंचा जा सकता है. स्थापना दिवस के दौरान प्रशासन द्वारा भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई जाती है और शटल सेवाएँ चलाई जाती हैं. पार्किंग की विशेष व्यवस्था भी की जाती है ताकि यातायात सुचारु रहे.
बाबा नीम करौली महाराज की शिक्षाएं (Teachings of Baba Neem Karoli Maharaj)

बाबा नीम करौली महाराज का जीवन सादगी, सेवा और प्रेम का प्रतीक है. उनकी मुख्य शिक्षाएं थीं:
- प्रेम और करुणा: सभी से प्रेम करो, किसी से द्वेष मत करो.
- सेवा: जरूरतमंदों की सेवा करो, यही सच्ची भक्ति है.
- भक्ति: भगवान के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास रखो.
- समानता: जाति, धर्म, भाषा से ऊपर उठकर सभी को एक समान मानो.
उनकी शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों के जीवन का मार्गदर्शन करती हैं.
कैंची धाम के चमत्कार और बाबा की लोकप्रियता(Miracles of Kainchi Dham and Baba’s Popularity)
कैंची धाम और बाबा नीम करौली महाराज के चमत्कारों की कथाएँ हर भक्त की जुबान पर हैं. कहा जाता है कि बाबा के आशीर्वाद से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं. उनके भक्तों में स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबर्ग जैसी अंतरराष्ट्रीय हस्तियाँ भी शामिल हैं, जिन्होंने यहां आकर आध्यात्मिक शांति और मार्गदर्शन पाया.
स्थापना दिवस का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव (Social and Cultural Impact of the Foundation Day)
कैंची धाम का स्थापना दिवस केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, सेवा और मानवता का संदेश भी देता है. यहां हर वर्ग, जाति और देश के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं, सेवा करते हैं और बाबा की शिक्षाओं को आत्मसात करते हैं. यह आयोजन समाज में समरसता, भाईचारे और सकारात्मकता का संदेश देता है.