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सावन शिवरात्रि 2025: शुभ मुहूर्त, जलाभिषेक का समय, पूजन विधि और चढ़ावे की पूरी जानकारी
सावन शिवरात्रि 2025: शुभ मुहूर्त, जलाभिषेक का समय, पूजन विधि और चढ़ावे की पूरी जानकारी
Authored By: Nishant Singh
Published On: Tuesday, July 22, 2025
Last Updated On: Tuesday, July 22, 2025
Sawan Shivratri 2025 Puja Vidhi in Hindi: सावन शिवरात्रि 2025 एक ऐसा पावन अवसर है जब भक्त भोलेनाथ को रिझाने के लिए व्रत, रुद्राभिषेक और मंत्र जाप करते हैं. 23 जुलाई को मनाई जाने वाली यह रात शिव और शक्ति के पुनर्मिलन की याद दिलाती है. ब्रह्म मुहूर्त से लेकर निशिता काल तक जलाभिषेक और पूजा का विशेष महत्व है. सही विधि, पूजन सामग्री और शुभ मुहूर्त का पालन कर इस दिन शिव कृपा प्राप्त की जा सकती है. यह लेख आपको शिवरात्रि की पूजा विधि, अभिषेक का समय, चढ़ावे की सूची और पौराणिक महत्व से जुड़ी हर जानकारी सरल भाषा में प्रदान करता है.
Authored By: Nishant Singh
Last Updated On: Tuesday, July 22, 2025
Sawan Shivratri 2025: सावन… यानि बारिश की फुहारों में लिपटा आस्था का महीना, भक्तिभाव से सराबोर वो समय जब हर गली-नुक्कड़ से ‘बम बम भोले’ की गूंज सुनाई देती है. और इस सावन में अगर कोई दिन सबसे खास होता है, तो वो है सावन शिवरात्रि. एक ऐसा दिव्य दिन, जब स्वयं भोलेनाथ अपने भक्तों की पुकार सबसे पहले सुनते हैं.
हर साल की तरह 2025 में भी यह पर्व आस्था, श्रद्धा और भक्ति का महासंगम लेकर आ रहा है. लेकिन सवाल यह उठता है कि इस बार शिवरात्रि कब है? किस समय जलाभिषेक करें? पूजा कैसे करें? कौन-सी चीजें चढ़ाएं और क्या न करें? चिंता न करें, इस लेख में आपको हर जानकारी सरल और भक्तिभाव से भरपूर अंदाज में मिलेगी.
सावन शिवरात्रि 2025: कब है और क्यों है खास?
हिंदू पंचांग के अनुसार सावन शिवरात्रि 2025 में 23 जुलाई, बुधवार को पड़ रही है. यह तिथि श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है. कहते हैं कि इस दिन भोलेनाथ सबसे अधिक प्रसन्न होते हैं और जो भक्त सच्चे मन से व्रत-पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.
चतुर्दशी तिथि का समय:
- प्रारंभ: 23 जुलाई 2025, सुबह 4:39 बजे
- समापन: 24 जुलाई 2025, रात 2:24 बजे
- व्रत पारण: 24 जुलाई, सुबह 5:27 बजे से
यह दिन सिर्फ एक धार्मिक तिथि नहीं, बल्कि शिव और शक्ति के मिलन की स्मृति है. यह वह रात होती है जब शिव और पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था. दो आत्माओं का पावन संगम.
शुभ मुहूर्त: किस समय करें पूजा?

सावन शिवरात्रि पर रातभर चार प्रहरों में पूजा करने का विधान है. हर प्रहर की पूजा का अलग महत्व होता है.
प्रहर | समय |
---|---|
प्रथम प्रहर | 23 जुलाई, शाम 7:17 बजे – 9:53 रात |
द्वितीय प्रहर | 9:53 रात – 24 जुलाई, 12:28 रात |
तृतीय प्रहर | 12:28 – 3:03 रात |
चतुर्थ प्रहर | 3:03 – 5:38 सुबह |
निशिता काल पूजा मुहूर्त:
- 24 जुलाई, रात 12:25 से 1:08 तक
यह समय भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का सबसे पावन और शक्तिशाली समय माना जाता है.
जलाभिषेक का सर्वोत्तम समय

भगवान शिव को जल अर्पित करना इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण कर्म माना जाता है.
- ब्रह्म मुहूर्त (सबसे श्रेष्ठ): 23 जुलाई, सुबह 4:15 – 4:56
- दूसरा श्रेष्ठ समय: सुबह 8:32 – 10:02
- निशिता काल (रात्रि अभिषेक): 24 जुलाई, 12:23 – 1:07
- इन समयों पर शिवलिंग पर जल, दूध, पंचामृत या गंगाजल से अभिषेक करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है.
रुद्राभिषेक विधि

रुद्राभिषेक की विधि में पहले शिवलिंग को शुद्ध जल से स्नान कराएं, फिर सभी पूजन सामग्री से क्रमशः अभिषेक करते हुए मंत्रों का जाप करें. शिवलिंग पर क्रमशः इन चीजों से अभिषेक करें:
- गंगाजल
- दूध
- दही
- घी
- शहद
- पंचामृत
- गन्ने का रस
- चंदन
फिर फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, आक के फूल, शमीपत्र, नारियल, फल, मिठाई, धूप, दीप अर्पित करें.
“ॐ नमः शिवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें.
शिव चालीसा, शिव तांडव स्तोत्र, शिवाष्टक का पाठ करें.
अंत में आरती कर प्रसाद वितरण करें.
शिव को क्या चढ़ाएं?
भगवान शिव को प्रसन्न करना अत्यंत सरल है, बस श्रद्धा हो और कुछ प्रिय वस्तुएं चढ़ाई जाएं.
शिवलिंग पर चढ़ने योग्य सामग्री:
- गंगाजल और शुद्ध जल
- कच्चा दूध
- पंचामृत
- बेलपत्र (3 पत्तों वाले)
- धतूरा और भांग
- आक के फूल
- सफेद/नीले फूल
- शमीपत्र
- चंदन, इत्र
- नारियल, श्रीफल
- लौंग, इलायची, अक्षत (चावल)
विशेष: बेलपत्र पर चंदन से “ॐ नमः शिवाय” लिखकर चढ़ाना बेहद शुभ माना गया है.
क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?

कुछ चीजें हैं जो शिवजी को नहीं चढ़ानी चाहिए:
- तुलसी पत्ता
- केवड़ा या लाल आक
- चंपा के फूल
- नारियल का पानी
- गेंदा फूल
- टूटा या सूखा बेलपत्र
सावन शिवरात्रि के खास उपाय
- 21 बेलपत्र पर “ॐ नमः शिवाय” लिखकर चढ़ाएं
- नंदी बाबा को हरा चारा खिलाएं
- गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करें
- एक समय फलाहार या उपवास रखें
- कन्याओं और ब्राह्मणों को भोजन कराएं
- रुद्राक्ष की माला से 108 बार मंत्र जाप करें
पौराणिक कथा और महत्व

कहते हैं कि सावन शिवरात्रि के दिन शिव और पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था. यह दिन वैवाहिक सुख, सौभाग्य, संतान प्राप्ति और बाधा निवारण के लिए अत्यंत फलदायी है.
शिवपुराण के अनुसार, इसी दिन माता पार्वती ने घोर तप कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था. आज भी कन्याएं और विवाहित महिलाएं इसी उद्देश्य से व्रत रखती हैं.
क्यों जरूरी है यह पर्व?
- सावन शिवरात्रि सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, कर्मशुद्धि और ईश्वर से सीधा जुड़ने का माध्यम है. यह दिन हमें सिखाता है कि श्रद्धा, संयम और भक्ति से हम अपने जीवन की हर कठिनाई को पार कर सकते हैं.
- अगर आप जीवन में सुख, शांति, संतान, समृद्धि, सफलता और स्वास्थ्य चाहते हैं, तो इस शिवरात्रि पर पूरी श्रद्धा से पूजा करें, व्रत रखें, जलाभिषेक करें और शिव मंत्रों का जाप करें.
यह मत भूलिए…
“भोलेनाथ सिर्फ उन्हीं की सुनते हैं, जो सच्चे दिल से पुकारते हैं. ना सोने का मुकुट चाहिए, ना चांदी की घंटियां, सिर्फ भक्ति का भाव चाहिए.”
हर हर महादेव.