क्रिकेट, हॉकी एवं बैडमिंटन के बिना होंगे 2026 के राष्ट्रमंडल खेल, 12 साल बाद फिर से स्कॉटलैंड करेगा मेजबानी

क्रिकेट, हॉकी एवं बैडमिंटन के बिना होंगे 2026 के राष्ट्रमंडल खेल, 12 साल बाद फिर से स्कॉटलैंड करेगा मेजबानी

Authored By: अंशु सिंह

Published On: Tuesday, October 22, 2024

Last Updated On: Sunday, April 27, 2025

commonwealth games 2026
commonwealth games 2026

स्कॉटलैंड के ग्लासगो में वर्ष 2026 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेल से क्रिकेट, हॉकी, बैडमिंटन के अलावा कुश्ती, निशानेबाजी, टेबल टेनिस एवं स्क्वैश जैसे प्रमुख खेलों को हटा दिया गया है। राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) के अनुसार, इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में सिर्फ 10 स्पोर्ट प्रोग्राम पर फोकस होगा। चार सालों में होने वाले इस मेगा-इवेंट के 23वें संस्करण का आयोजन 23 जुलाई से 2 अगस्त 2026 तक होगा।

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Last Updated On: Sunday, April 27, 2025

कॉमनवेल्थ गेम्स 2026 (Commonwealth Games 2026) की लागत को सीमित करने और लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करने के लिए रग्बी सेवेंस, बीच बॉल, डाइविंग, माउंटेन बाइकिंग एवं रिद्मिक जिमनास्टिक को भी हटा दिया गया है। इस बार 10 इवेंट में एथलेटिक्स (ट्रैक एंड फील्ड), स्वीमिंग, 3*3 बास्केटबॉल, ट्रैक साइक्लिंग, वेटलिफ्टिंग, लॉन बॉउल्स, आर्टिस्टिक जिमनास्टिक, नेटबॉल, बॉक्सिंग एवं जूडो जैसे खेलों का आयोजन होगा। राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) के अनुसार, कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन आठ मील के कॉरिडोर के तहत केवल चार वेन्यू पर होगा। वर्ष 2022 के बर्मिंघम संस्करण की तुलना में इस बार कुल 9 खेल कम होंगे। 2014 संस्करण के 12 साल बाद ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी करेगा। राष्ट्रमंडल खेल महासंघ की सीईओ केटी सैडलेयर ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है, ‘2026 के खेल कल के राष्ट्रमंडल खेलों के लिए एक पुल होंगे। भविष्य के लिए खेलों को वास्तव में सहयोगी, लचीले और टिकाऊ मॉडल के रूप में रीसेट और फिर से परिभाषित करने की हमारी यात्रा में एक रोमांचक पहला कदम जो लागत को कम करता है, पर्यावरणीय पदचिह्न को कम करता है, और सामाजिक प्रभाव को बढ़ाता है।‘

पैरा-एथलीट होंगे ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स का हिस्सा

पैरा-एथलीट 2002 मैनचेस्टर संस्करण से खेलों का हिस्सा रहे हैं और 2026 संस्करण में भी बने रहेंगे। सीजीएफ ने अपने बयान में कहा है कि खेल कार्यक्रम में पैरा एथलेटिक्स (ट्रैक एंड फील्ड), पैरा तैराकी, पैरा ट्रैक साइक्लिंग, पैरा पावरलिफ्टिंग, पैरा बाउल्स और 3×3 व्हीलचेयर बास्केटबॉल शामिल होंगे। बयान में यह भी कहा गया है, ‘खेल चार स्थानों स्कॉट्सटाउन स्टेडियम, टॉलक्रॉस इंटरनेशनल स्विमिंग सेंटर, एमिरेट्स एरिना, सिर क्रिस होए वेलोड्रोम और स्कॉटिश इवेंट कैंपस (एसईसी) में होंगे। सर क्रिस होय वेलोड्रोम का इस बार केवल साइकिल चलाने के लिए उपयोग किया जाएगा। 2014 में हॉकी और कुश्ती की मेजबानी करने वाले ग्लासगो ग्रीन, स्कॉटिश प्रदर्शनी और सम्मेलन केंद्र को आयोजन स्थलों की सूची से हटा दिया गया है। जबकि एथलीटों और सहायक कर्मचारियों को होटल में रखा जाएगा।‘

भारत को लग सकता है पदकों का झटका

राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर जारी किया गया यह रोस्टर भारत की पदक संभावनाओं के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि पिछले संस्करणों में देश के अधिकांश पदक हटाए गए खेलों से आए थे। हालांकि चार साल पहले लॉजिस्टिक्स के कारण बर्मिंघम खेलों से हटा दिए जाने के बाद शूटिंग की वापसी की उम्मीद नहीं थी। लेकिन सच ये भी है कि कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में भारत ने शूटिंग और कुश्ती में सबसे अधिक पदक जीते हैं। भारतीय पुरुष एवं महिला हॉकी टीम समेत देश ने कुल 6 पदक अपने नाम किए हैं। हालांकि, साल 1998 के कॉमनवेल्थ गेम्स के संस्करण में फील्ड हॉकी को पहली बार शामिल किया गया था। लेकिन उसके बाद से यह पहला संस्करण होगा, जब हॉकी प्रतियोगिता से नदारद होगा। इसके अलावा, करीब 24 साल बाद 2022 के बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स का हिस्सा रहा क्रिकेट भी नहीं होगा। बर्मिंघम में भारतीय महिला टीम ने टी-20 प्रारूप में कांस्य पदक जीता था।

(हिंदुस्तान समाचार के इनपुट्स के साथ)

About the Author: अंशु सिंह
अंशु सिंह पिछले बीस वर्षों से हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनका कार्यकाल देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण और अन्य राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में प्रेरणादायक लेखन और संपादकीय योगदान के लिए उल्लेखनीय है। उन्होंने शिक्षा एवं करियर, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, यात्रा एवं पर्यटन, जीवनशैली और मनोरंजन जैसे विषयों पर कई प्रभावशाली लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी में गहरी सामाजिक समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो पाठकों को न केवल जानकारी बल्कि प्रेरणा भी प्रदान करती है। उनके द्वारा लिखे गए सैकड़ों आलेख पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ चुके हैं।
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