जीत लिया हर’मन’

Authored By: अनुराग श्रीवास्तव

Published On: Sunday, August 4, 2024

Last Updated On: Thursday, May 1, 2025

indian hockey team in olympics
indian hockey team in olympics

पेरिस ओलंपिक में भी भारतीय हाकी टीम ने पुराने स्वर्णिम युग की याद दिला दी है। पदक नहीं जीता है, लेकिन पहले ही मैच में धुरंधर आस्ट्रेलिया को पटखनी देकर भारतीय हाकी टीम ने 140 करोड़ भारतीयों का दिल तो जीत ही लिया है।

Authored By: अनुराग श्रीवास्तव

Last Updated On: Thursday, May 1, 2025

ओलंपिक की बात करें तो भारतीय हाकी का स्वर्णिम इतिहास रहा है। सबसे अधिक आठ स्वर्ण पदक हमारी हाकी टीम ने ओलंपिक में जीते हैं। देश के लिए जब व्यक्तिगत स्पर्घाओं में पदक नहीं आते थे तो हमें हमारी हाकी टीम ही पदक दिलाया करती थी। वह भी एक के बाद एक लगातार। पेरिस ओलंपिक में भी भारतीय हाकी टीम ने उसी स्वर्णिम युग की याद दिला दी है। पदक नहीं जीता है, लेकिन धुरंधर आस्ट्रेलिया को पटखनी देकर भारतीय हाकी टीम ने 140 करोड़ भारतीयों का दिल तो जीत ही लिया है।

1972 के म्यूनिख ओलंपिक के बाद भारत ने पहली बार ओलंपिक में आस्ट्रेलियाई हाकी टीम को पराजित किया था। पूरे 52 वर्ष बाद मिली यह सफलता बहुत कुछ कहती है। दरअसल क्रिकेट क्रेजी देश भारत में लोग आस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम की मजबूती से तो वाकिफ हैं, लेकिन हाकी में इस दूर देश की टीम कितनी सशक्त है, इससे उतना साबिका नहीं रहा है खेल प्रशंसकों का। हां, हाकी के दीवानों की बात अलग है जो भली भांति जानते हैं कि हाकी में आस्ट्रेलिया को हराना कितनी बड़ी और अहम सफलता तो है ही, टीम के आत्मविश्वास के लिए टानिक की तरह भी है।

शुक्रवार को जब भारतीय टीम ने पेरिस के इव्स जे मेनोइर स्टेडियम में आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेल आरंभ किया तो अलग ही रंग में दिखी। कुछ वैसा ही रंग जैसा 1928 के एम्सटर्डन ओलंपिक से विश्व में हमने कायम किया था, विजय और वर्चस्व का रंग। कप्तान हरमनप्रीत सिंह के तो कहने ही क्या है। मैच हो या जीवन, लीडर सही मिल जाए तो लोग आगे बढ़ ही जाते हैं। आस्ट्रेलिया के खिलाफ पेरिस में हुए इस मैच में भी कुछ इसी प्रकार रहा। हरमनप्रीत ने जो तेजी दिखाई तो बाकी खिलाड़ी भी जोश से भर उठे। फिर क्या…बन गया आस्ट्रेलिया पर दबदबा। 3-2 से आस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली जीत में हरमन ने दो गोल किए और एक बार अभिषेक ने गेंद नेट में उलझा दी।

हरमनप्रीत का तेज खेल उन्हें बाकी खिलाड़ियो से अलग बनाता है। वह रणनीति बनाने के साथ स्वयं आगे आकर खेलते हैं यानी लीडिंग फ्राम द फ्रंट वाली परफेक्ट स्थिति में कप्तानी करते हैं। इसका बाकी खिलाड़ियों के मनबोल पर भी स्पष्ट प्रभाव दिखता है। इन दो गोल के साथ हरमनप्रीत अब तक इस ओलंपिक में छह गोल कर चुके हैं। अभी उनसे भारतीयों को बहुत उम्मीदें भी हैं। टोक्यो ओलंपिक में भी उन्होंने छह गोल किए थे। अभी तो यहां और मैच बाकी हैं। टोक्यो में भारतीय पुरुष हाकी टीम ने कांस्य पदक जीता था जिसकी चमक किसी सोने से कम नहीं थी।

वैसे इस जीत में अपने स्टार गोलकीपर पी श्रीजेश का भी कम योगदान नहीं है। अगर उन्होंने आस्ट्रेलिया के दो गोल शानदार तरीके से बचाए न होते तो स्कोरलाइन कुछ और भी हो सकती है। खैर, खेल में ‘इफ एंड बट’ नहीं चलते, जो जीता वही सिकंदर का फार्मूला ही फिट होता है। यहां भी रहा, लेकिन यह भी जरूर कहा जाएगा कि भारतीय टीम जीत डिजर्व करती थी। श्रीजेश भारतीय हाकी के लिए एक धरोहर सरीखे हैं, उन्हें संजोकरक रखना चाहिए। पिछले ओलंपिक के बाद वह देश के नए खेल सितारे के रूप में सामने आए थे। अब फिर उसी अंदाज में खेल रहे हैं। आगे के मुकाबलों में भी हरमन और श्रीजेश के साथ भारतीय खिलाड़ियों की यही स्फूर्ति और ताकत कायम रही तो नतीजे पदक वाले होंगे।

अनुराग श्रीवास्तव ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों को कवर करते हुए अपने करियर में उल्लेखनीय योगदान दिया है। क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, और अन्य खेलों पर उनके लेख और रिपोर्ट्स न केवल तथ्यपूर्ण होती हैं, बल्कि पाठकों को खेल की दुनिया में गहराई तक ले जाती हैं। उनकी विश्लेषणात्मक क्षमता और घटनाओं को रोचक अंदाज में प्रस्तुत करने का कौशल उन्हें खेल पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट बनाता है। उनकी लेखनी खेलप्रेमियों को सूचनात्मक और प्रेरक अनुभव प्रदान करती है।
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