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क्या होता है चमकी बुखार? बिहार में फिर पसार रहा है पैर, बच्चों में बढ़ रही चिंता
क्या होता है चमकी बुखार? बिहार में फिर पसार रहा है पैर, बच्चों में बढ़ रही चिंता
Authored By: सतीश झा
Published On: Thursday, June 5, 2025
Last Updated On: Thursday, June 5, 2025
बिहार में एक बार फिर चमकी बुखार (Acute Encephalitis Syndrome - AES) ने दस्तक दे दी है. मुजफ्फरपुर, शिवहर, और आसपास के इलाकों में इस रहस्यमय बीमारी के मामले सामने आने लगे हैं, जिससे स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है. खासतौर पर छोटे बच्चों में इसके लक्षण तेजी से उभर रहे हैं, जिससे अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Thursday, June 5, 2025
AES outbreak in Bihar: गर्मियों के साथ ही बिहार में चमकी बुखार (AES – Acute Encephalitis Syndrome) ने फिर से अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. अब तक राज्य में 28 बच्चों में AES की पुष्टि हो चुकी है, जिससे स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है. इनमें से 23 मामले सिर्फ मुजफ्फरपुर जिले से सामने आए हैं, जबकि शेष मामले गोपालगंज, सीतामढ़ी और शिवहर जिलों से आए हैं.
शिवहर की तीन साल की विभा कुमारी और सीतामढ़ी की संजना कुमारी में AES के लक्षण पाए जाने के बाद दोनों को गंभीर स्थिति में श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (SKMCH), मुजफ्फरपुर रेफर किया गया था. अस्पताल के पीकू वार्ड में इलाज के बाद अब दोनों बच्चियों की हालत स्थिर है और वे खतरे से बाहर हैं. दोनों बच्चियों को शुरुआती लक्षणों के बाद पहले स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर उन्हें मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (SKMCH) भेजा गया, जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में उनका इलाज किया गया.
क्या है चमकी बुखार?
चमकी बुखार, चिकित्सा भाषा में एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) कहलाता है. यह मस्तिष्क से जुड़ी गंभीर बीमारी है, जो अचानक बुखार, दौरे (fits), बेहोशी, और शरीर में झटकों के रूप में सामने आती है. आमतौर पर यह बीमारी 1 से 15 साल तक के बच्चों को प्रभावित करती है और यदि समय पर इलाज न हो तो यह जानलेवा भी हो सकती है.
मुख्य लक्षण:
- अचानक तेज बुखार
- बार-बार शरीर में झटके आना (चमकना)
- उल्टी
- भ्रम या चेतना में कमी
- बेहोशी या कोमा की स्थिति
क्यों होता है चमकी बुखार?
- इस बीमारी के पीछे कई कारण माने जाते हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:
- वायरल संक्रमण (जैसे जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस)
- कुपोषण और खाली पेट लीची खाना
- गर्मी के मौसम में शरीर में पानी और ग्लूकोज की कमी
- कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता
विशेषज्ञों के अनुसार, खाली पेट लीची खाने से बच्चों में लो ब्लड शुगर हो जाता है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं प्रभावित होती हैं और AES के लक्षण उभरते हैं.
फिर क्यों बढ़ रहा है खतरा?
बिहार में जैसे-जैसे गर्मी अपने चरम पर पहुंच रही है, वैसे ही चमकी बुखार का खतरा भी बढ़ता जा रहा है. बीते कुछ दिनों में कई जिलों से संदिग्ध मामलों की सूचना मिली है. स्वास्थ्य विभाग की टीमें अलर्ट पर हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी और समय पर इलाज न मिल पाने के कारण स्थिति गंभीर हो सकती है.
सरकार और स्वास्थ्य विभाग की तैयारी
स्वास्थ्य मंत्री और स्थानीय प्रशासन ने AES प्रभावित जिलों में विशेष निगरानी के आदेश दिए हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सतर्क किया गया है और ‘डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग’ का अभियान शुरू किया गया है. साथ ही बच्चों को लीची खाने से पहले भरपेट भोजन कराने की सलाह दी जा रही है.
क्या करें बचाव के लिए?
- बच्चों को खाली पेट लीची न दें
- बच्चों को भरपेट और संतुलित भोजन दें
- गर्मी में अधिक से अधिक पानी पिलाएं
- लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
- बच्चों को साफ-सुथरे और ठंडे वातावरण में रखें
डॉक्टरों की सलाह
- बच्चों को खाली पेट लीची न खिलाएं
- साफ पानी और पौष्टिक आहार दें
- लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें
- धूप में बाहर जाने से बचाएं
- पीने के पानी को उबालकर या फिल्टर करके ही दें