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अब ‘गया’ नहीं, ‘गयाजी’ कहिए! बिहार सरकार के बड़े फैसले!
अब ‘गया’ नहीं, ‘गयाजी’ कहिए! बिहार सरकार के बड़े फैसले!
Authored By: सतीश झा
Published On: Saturday, May 17, 2025
Last Updated On: Saturday, May 17, 2025
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) की सरगर्मी के बीच अब सियासत केवल जाति तक सीमित नहीं रही, बल्कि धर्म को लेकर भी बहस तेज होती जा रही है. जैसे ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की अगुवाई वाली सरकार ने गया (Gaya) जिले का नाम बदलकर गयाजी (GayaJee) कर दिया, उसके बाद मीडिया से लेकर सोशल मीडिया में बयानों की बाढ़ आ चुकी है.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Saturday, May 17, 2025
Gaya renamed to Gayaji: बिहार के धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण शहर गया अब आधिकारिक रूप से ‘गयाजी’ के नाम से जाना जाएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई, जिसमें गया का नाम बदलकर गयाजी करने की सिफारिश की गई थी. सरकार का तर्क है कि ‘गयाजी’ नाम प्राचीन परंपरा और लोक आस्था से जुड़ा है. यह निर्णय शहर की धार्मिक पहचान को सम्मान देने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है.
लोगों में बढ़ी जिज्ञासा, Google पर सर्च में जबरदस्त उछाल
बिहार सरकार ने गया शहर का नाम बदलकर ‘गयाजी’ कर दिया है. इसके बाद से सोशल मीडिया और इंटरनेट पर ‘गयाजी’ शब्द को लेकर जबरदस्त उत्सुकता देखी जा रही है. Google Search के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में ‘गयाजी’ सबसे ज़्यादा सर्च किए जाने वाले टॉपिक्स में शामिल रहा है. खासकर नई पीढ़ी के युवा यह जानना चाह रहे हैं कि आखिर गया का नाम ‘गयाजी’ क्यों रखा गया?
एक प्रमुख तीर्थस्थल है गयाजी
गया शहर न केवल बिहार का बल्कि पूरे भारत का एक प्रमुख तीर्थस्थल है. पितृपक्ष मेले के दौरान हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और पिंडदान कर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं. यह परंपरा वेदों और पुराणों में वर्णित धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी हुई है, जिससे इस स्थान का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है.
गयासुर की नगरी अब ‘गयाजी’ के नाम से जानी जाएगी
यह निर्णय हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया, जिसमें 69 प्रस्तावों पर चर्चा हुई और उन्हें मंजूरी दी गई. इन्हीं में से एक प्रस्ताव गया का नाम बदलने से जुड़ा था. अपर मुख्य सचिव (कैबिनेट) एस. सिद्धार्थ ने जानकारी दी कि इस फैसले को लेकर कैबिनेट में आम सहमति बनी. इस निर्णय के पीछे धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक मान्यताएं भी जुड़ी हैं. किंवदंतियों के अनुसार, इस शहर का नाम गयासुर नामक राक्षस के नाम पर पड़ा, जो त्रेता युग में इस क्षेत्र में रहा करता था. वायु पुराण के अनुसार, गयासुर ने कठोर तपस्या कर भगवान विष्णु से आशीर्वाद प्राप्त किया और अंततः एक पवित्र आत्मा बन गया. तभी से इस क्षेत्र को पिंडदान और पितृ तर्पण के लिए सबसे पवित्र स्थानों में एक माना जाता है.
गया से विधायक प्रेम कुमार ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया
राज्य सरकार के इस फैसले को जहां कई धार्मिक संगठनों और स्थानीय लोगों ने स्वागतयोग्य कदम बताया है. सहकारिता मंत्री और गया से विधायक प्रेम कुमार ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह पिछले एक दशक से स्थानीय भावनाओं के अनुरूप नाम बदलने की मांग कर रहे थे. उन्होंने बताया कि 2022 में गया नगर निगम ने भी शहर का नाम बदलकर ‘गयाजी’ करने का प्रस्ताव पारित किया था.
लोगों का कहना है कि गयाजी नाम होने से यहां के पौराणिक और धार्मिक अध्याय को पूरे विश्व में और प्रसिद्ध मिलेगी. विष्णुपद क्षेत्र के लोगों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने गया जी नाम देकर जिले को और ऐतिहासिक बनाया है. इस खास मौके को लेकर सभी स्थानीय लोगों में काफी खुशी है.
धार्मिक भावनाओं को भी चुनावी रणनीति का हिस्सा बनाया जा रहा
वहीं विपक्षी दलों ने इसे चुनावी राजनीति से प्रेरित बताया है. उनका कहना है कि असली मुद्दों से ध्यान हटाकर सरकार प्रतीकात्मक फैसलों में उलझ रही है. इस बार चुनाव में न केवल जातिगत समीकरण, बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी चुनावी रणनीति का हिस्सा बनाया जा रहा है. ऐसे में गया जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक शहर का नाम बदलने की बहस भविष्य में और भी गहराई ले सकती है. अब देखना यह होगा कि बिहार की जनता जाति और धर्म से जुड़ी इन बहसों को किस तरह से लेती है. क्या यह मुद्दे वाकई चुनावी नतीजों को प्रभावित कर पाएंगे.