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Delhi Assembly Election 2025 : मुस्लिम बहुल सीटों पर कितनी मुश्किल में है BJP
Delhi Assembly Election 2025 : मुस्लिम बहुल सीटों पर कितनी मुश्किल में है BJP
Authored By: सतीश झा
Published On: Friday, January 31, 2025
Updated On: Friday, January 31, 2025
दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2025) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सामने मुस्लिम बहुल सीटों पर बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है. इन सीटों पर परंपरागत रूप से आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस (Congress) का मजबूत आधार रहा है, जिससे BJP के लिए समीकरण कठिन हो सकता है.
Authored By: सतीश झा
Updated On: Friday, January 31, 2025
दिल्ली के चुनावों में मुस्लिम वोटरों (Delhi Assembly Election Muslim Vote) की हमेशा से एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है. मुस्लिम वोटर कई निर्वाचन क्षेत्रों में निर्णायक साबित होते हैं. उनकी एकजुटता हमेशा से दिल्ली चुनाव परिणामों पर असर डालती है. इन सीटों पर कितना मुश्किल है भाजपा के प्रत्याशियों के लिए. इस पर स्टोरी प्रस्तावित है.
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, दिल्ली की कई विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जिनमें ओखला, सीलमपुर, मटिया महल, बल्लीमारान और मुस्तफाबाद प्रमुख हैं. इन सीटों पर BJP का प्रदर्शन बीते चुनावों में कमजोर रहा है, जबकि AAP और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला देखा गया था.
BJP ने इस बार इन क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए मुस्लिम समाज को साधने की रणनीति बनाई है. पार्टी ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे के तहत मुस्लिम बहुल इलाकों में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की कोशिश की है. हालांकि, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और अन्य मुद्दों को लेकर मुस्लिम समुदाय की नाराजगी बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है.
किन सीटों पर मुस्लिम मतदाता प्रभावी हैं?
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से करीब 10-12 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इनमें प्रमुख रूप से ओखला, बल्लीमारान, मटिया महल, मुस्तफाबाद, सीलमपुर, चांदनी चौक, बाबरपुर, जाकिर नगर, तुर्कमान गेट और सीमापुरी शामिल हैं. इन सीटों पर मुस्लिम आबादी का प्रतिशत 30% से 60% तक है, जो इन्हें चुनावी दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बनाता है.
कौन सी पार्टियां कर रही हैं दावेदारी?
- आम आदमी पार्टी (AAP): पिछले चुनावों में आम आदमी पार्टी ने मुस्लिम बहुल सीटों पर जबरदस्त प्रदर्शन किया था. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा और मोहल्ला क्लीनिक जैसी योजनाओं के जरिए इस समुदाय के बीच अच्छी पकड़ बनाई है.
- कांग्रेस (Congress) : कांग्रेस का परंपरागत रूप से मुस्लिम मतदाताओं पर मजबूत प्रभाव रहा है, लेकिन पिछले कुछ चुनावों में यह कमजोर हुआ है.
- भारतीय जनता पार्टी (BJP): बीजेपी इन सीटों पर चुनौती में रही है, लेकिन वह ‘सबका साथ, सबका विकास’ के तहत मुस्लिम मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. हालांकि, CAA और अन्य मुद्दों के चलते पार्टी के लिए इन सीटों पर चुनौती अधिक है.
क्या मुस्लिम वोट एकतरफा जाएगा?
मुस्लिम मतदाता आम तौर पर भाजपा के खिलाफ रणनीतिक वोटिंग करते हैं। 2015 और 2020 के चुनावों में यह मतदाता वर्ग AAP के साथ मजबूती से खड़ा रहा, जिससे कांग्रेस कमजोर हुई. इस बार भी अगर कांग्रेस और AAP के बीच बंटवारा नहीं होता, तो मुस्लिम मतदाता फिर से AAP के पक्ष में एकजुट हो सकते हैं. अब देखना होगा कि क्या बीजेपी इन सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत कर पाती है या फिर AAP और कांग्रेस का दबदबा कायम रहता है.
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