States News
इंद्रप्रस्थ से दिल्ली तक, जानिए देश की राजधानी के 16 प्राचीन नाम और उनके पीछे की कहानी
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Monday, November 3, 2025
Last Updated On: Monday, November 3, 2025
दिल्ली सिर्फ भारत की राजधानी नहीं, बल्कि हजारों वर्षों का जीवंत इतिहास है. कभी इंद्रप्रस्थ कहलाने वाला यह नगर समय के साथ ढिल्लिका, सिरी, फिरोजाबाद और शाहजहांनाबाद जैसे कई नामों से जाना गया. हर नाम अपने साथ एक नई सभ्यता और शासक की पहचान लेकर आया. आइए जानते हैं, कैसे दिल्ली का नाम समय के साथ बदलता रहा और हर युग ने इस शहर को नई पहचान दी.
Authored By: Ranjan Gupta
Last Updated On: Monday, November 3, 2025
Indraprastha to Delhi: दिल्ली..एक ऐसा शहर जो जितना आधुनिक है, उतना ही प्राचीन भी. यहां हर गली, हर किला, हर दीवार इतिहास की गवाही देती है. यह वही भूमि है जहां पांडवों ने इंद्रप्रस्थ बसाया, मौर्यों और तुगलकों ने राज किया, और मुगलों ने शाहजहांनाबाद खड़ा किया. हाल ही में जब चांदनी चौक से भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने दिल्ली का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ करने का प्रस्ताव रखा, तो एक बार फिर इस शहर की
ऐतिहासिक जड़ों की चर्चा होने लगी.
दरअसल, चांदनी चौक से भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से दिल्ली का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ करने का आग्रह किया. इसी के साथ उन्होंने पुरानी दिल्ली स्टेशन का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ जंक्शन और दिल्ली हवाई अड्डे का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा करने का भी प्रस्ताव रखा है. दिल्ली का इतिहास इसके नामों की तरह ही बहुआयामी और समृद्ध है. इसी बीच आइए जानते हैं कि इतिहास में दिल्ली के कौन-कौन से नाम रह चुके हैं.
कैसे पड़ा दिल्ली का नाम ?
दिल्ली के नाम को लेकर कई दिलचस्प कहानियां और किस्से हैं. कभी इसे इंद्रप्रस्थ कहा जाता था. कहा जाता है, यही जगह पांडवों की राजधानी थी. समय बीतने के साथ नाम बदला और नई-नई धारणाएं सामने आईं.
कुछ इतिहासकार मानते हैं कि दिल्ली का नाम मौर्य राजा ढिल्लू या दिल्लू के नाम पर पड़ा. उनके शासनकाल में इस शहर की नींव रखी गई थी.
वहीं एक और कहानी बहुत मशहूर है. कहा जाता है कि तोमर वंश के एक राजा के समय एक ऋषि ने बताया कि उसके राज्य में एक जादुई कील गड़ी हुई है, जो राज्य की रक्षा करती है. राजा ने उत्सुकता में उस कील को निकलवा दिया. लेकिन जब दोबारा उसे गाड़ने की कोशिश की गई, तो वह ढीली रह गई.
कहा जाता है, इसी “ढीली कील” से इस जगह का नाम ‘ढीली’ और फिर धीरे-धीरे ‘दिल्ली’ हो गया. यानी, दिल्ली का नाम इतिहास, मिथक और लोककथाओं का एक अनोखा संगम है जहां हर कहानी अपने अंदाज़ में इस शहर की पहचान बनाती है.
दिल्ली के प्राचीन नाम (Old Names of Delhi)
| इंद्रप्रस्थ |
|---|
| ढिल्लिका/ढिल्ली |
| लालकोट |
| किला राय पिथौरा |
| किलेखोरी |
| सिरी |
| तुगलकाबाद |
| जहांपनाह |
| फिरोजाबाद |
| दिनपनाह/शेरगढ़ |
| खिज्राबाद |
| कोटला मुबारकपुर |
| शाहजहांनाबाद |
| हस्तिनापुर |
| सूरजकुंड |
| नई दिल्ली |
1911 में ब्रिटिश शासन के दौरान दिल्ली राजधानी बनी
भारत के इतिहास में पहली बार 1911 में ब्रिटिश शासन ने दिल्ली को देश की राजधानी बनाने का ऐलान किया. हालांकि, 13 फरवरी 1931 को इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राजधानी घोषित किया गया.
उससे पहले तक देश की राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) थी. आजादी के बाद भी दिल्ली को ही राष्ट्रीय राजधानी का दर्जा मिला. आज यह शहर “देश का दिल” यानी Heart of the Nation कहलाता है.
यह भी पढ़ें :- Delhi Pollution: दिल्ली बनी गैस चैंबर, लेकिन असली दोषी न पराली है, न गाड़ियां… जानिए कौन? हिमालय-अरावली से जानिए कनेक्शन















