क्या छगन भुजबल की वापसी से OBC वोट बैंक में मचेगा बवाल? जानिए पूरा मामला!
क्या छगन भुजबल की वापसी से OBC वोट बैंक में मचेगा बवाल? जानिए पूरा मामला!
Authored By: सतीश झा
Published On: Tuesday, May 20, 2025
Updated On: Tuesday, May 20, 2025
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से दिग्गज नेता छगन भुजबल (Chhagan Bhujwal) की वापसी हुई है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) के वरिष्ठ नेता भुजबल को फडणवीस (Devendra Fadanvis) सरकार में मंत्री पद की शपथ ली. इस शपथ ग्रहण के साथ ही राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या उन्हें ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय का मजबूत चेहरा होने का लाभ मिला है?
Authored By: सतीश झा
Updated On: Tuesday, May 20, 2025
Chhagan Bhujbal Political Comeback: छगन भुजबल (Chhagan Bhujwal) लंबे समय से महाराष्ट्र की राजनीति में सक्रिय हैं और ओबीसी (OBC) समाज में उनकी एक प्रभावशाली पहचान रही है. ओबीसी आरक्षण और अधिकारों की आवाज को उन्होंने कई मंचों पर मजबूती से उठाया है. ऐसे में भुजबल को मंत्री बनाए जाने को महायुति सरकार की ओबीसी वोट बैंक को साधने की रणनीति भी माना जा रहा है.
जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, स्वीकार करूंगा
महायुति सरकार के मंत्रिमंडल में शपथ लेने के बाद मीडिया से बातचीत में छगन भुजबल ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी, वह ठीक रहेगी. यह मुख्यमंत्री तय करेंगे कि कौन-सा विभाग मुझे सौंपा जाएगा.” उन्होंने आगे कहा कि वे सरकार में अपने अनुभव के आधार पर योगदान देने को तैयार हैं और जो भी भूमिका दी जाएगी, उसे पूरी निष्ठा से निभाएंगे.
शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, अजित पवार और राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन मौजूद थे. इस अवसर पर एकनाथ शिंदे ने कहा, “छगन भुजबल अनुभवी नेता हैं. उन्होंने कई विभागों को संभाला है और उनके अनुभव से सरकार को फायदा होगा.”
क्या सिर्फ सामाजिक समीकरणों का हिस्सा हैं भुजबल?
छगन भुजबल का राजनीतिक अनुभव भी उन्हें इस पद का मजबूत दावेदार बनाता है. वे पहले भी उपमुख्यमंत्री और कई अहम मंत्रालयों में रह चुके हैं. उनका प्रशासनिक अनुभव और जनाधार सरकार के लिए फायदे का सौदा है. उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी उनकी तारीफ करते हुए कहा कि भुजबल अनुभवी नेता हैं और सरकार को उनके अनुभव से लाभ मिलेगा. मुख्यमंत्री उनके लिए विभाग तय करेंगे.
‘विकसित महाराष्ट्र’ के संकल्प में अहम भूमिका निभाएंगे छगन भुजबल
महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता और नासिक जिले के येओला से विधायक छगन भुजबल एक बार फिर सरकार में मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. ‘विकसित महाराष्ट्र’ के संकल्प को साकार करने में उनकी भूमिका को निर्णायक माना जा रहा है. ओबीसी समाज के प्रभावशाली नेता भुजबल न सिर्फ एक जनप्रिय चेहरा हैं, बल्कि प्रशासनिक अनुभव के धनी भी हैं.
भुजबल इससे पहले भी कई बार महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. उन्होंने 1999 से 2003 तक राज्य के पांचवें उपमुख्यमंत्री के रूप में भी कार्य किया. उनके कार्यकाल को उस समय राजनीतिक स्थिरता और प्रशासनिक कुशलता का प्रतीक माना गया था.
छगन भुजबल का राजनीतिक जीवन 1960 के दशक में शुरू हुआ था, जब मराठी भाषियों के अधिकारों के लिए चल रहे क्षेत्रीय आंदोलन में उन्होंने शिवसेना के कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय भागीदारी निभाई. वे बालासाहेब ठाकरे के करीबी रहे और शिवसेना के नगरसेवक से लेकर मुंबई के महापौर तक का सफर तय किया. बाद में उन्होंने शरद पवार के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का दामन थामा और कई अहम पदों पर कार्य किया.
राजनीति में नई भूमिका या रणनीतिक वापसी?
एक समय शिवसेना से राजनीति शुरू करने वाले छगन भुजबल एनसीपी के संस्थापक सदस्यों में से रहे हैं. अब अजित पवार के साथ महायुति का हिस्सा बनकर वे एक बार फिर सत्ता में आए हैं. यह सिर्फ एक मंत्रालय की वापसी नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की ओबीसी राजनीति में उनकी पुनर्स्थापना के संकेत भी हैं.
छगन भुजबल के मंत्री बनने पर बावनकुले ने जताया स्वागत
महाराष्ट्र के मंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने वरिष्ठ नेता छगन भुजबल को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का स्वागत किया है. उन्होंने इस फैसले के लिए उपमुख्यमंत्री अजित पवार का आभार जताया और भरोसा जताया कि भुजबल ‘विकसित महाराष्ट्र’ के संकल्प को मजबूती देंगे. बावनकुले ने कहा, “मैं महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को एनसीपी नेता छगन भुजबल को मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए धन्यवाद देता हूं. भुजबल एक अनुभवी नेता हैं, जिन्होंने राज्य सरकार में पहले भी कई जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया है. मुझे पूरा विश्वास है कि वे मजबूती के साथ विकसित महाराष्ट्र के लक्ष्य को हासिल करने में सरकार का साथ देंगे.”
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने भुजबल को ओबीसी समाज का मजबूत प्रतिनिधि भी बताया और कहा कि उनकी मंत्रिमंडल में वापसी समाज के लिए एक सकारात्मक संकेत है. उन्होंने यह भी कहा कि भुजबल की प्रशासनिक समझ और राजनीतिक अनुभव से सरकार को निश्चित तौर पर लाभ मिलेगा.
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