अखिलेश यादव ने ऐसा क्या कह दिया कि मच गया सियासी कोहराम, भाजपा नेताओं ने खोल दिया मोर्चा

अखिलेश यादव ने ऐसा क्या कह दिया कि मच गया सियासी कोहराम, भाजपा नेताओं ने खोल दिया मोर्चा

Authored By: सतीश झा

Published On: Thursday, March 27, 2025

Updated On: Thursday, March 27, 2025

अखिलेश यादव का बयान, भाजपा नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया, सियासी घमासान तेज।
अखिलेश यादव का बयान, भाजपा नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया, सियासी घमासान तेज।

समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए गौशालाओं और परफ्यूम पार्कों की तुलना कर राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि भाजपा को दुर्गंध पसंद है, इसलिए वह गौशाला बनाती है, जबकि सपा को सुगंध पसंद है, इसलिए उसने परफ्यूम पार्क विकसित किए हैं.

Authored By: सतीश झा

Updated On: Thursday, March 27, 2025

Akhilesh Yadav statement : अखिलेश यादव के इस बयान पर भाजपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे हिंदू भावनाओं का अपमान बताया. भाजपा प्रवक्ताओं ने कहा कि गौमाता हिंदू संस्कृति और आस्था का अहम हिस्सा हैं और गौशालाएँ बनाना धर्म और परंपरा से जुड़ा हुआ कार्य है. उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) गौशालाओं का अपमान कर रहे हैं और हिंदू आस्था का मजाक उड़ा रहे हैं.

‘गौशाला बनाम परफ्यूम पार्क’ बयान पर सियासी घमासान

अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में इत्र उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कानपुर और कन्नौज में परफ्यूम पार्क स्थापित किए थे. इस कदम को व्यापार और रोजगार के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया गया था. हालांकि, भाजपा ने इस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि समाजवादी इत्र से जुड़े कुछ व्यवसायों में भ्रष्टाचार हुआ था और इस मुद्दे को 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी उठाया गया था.

अखिलेश यादव के बयान के बाद गौशालाओं और परफ्यूम पार्कों को लेकर भाजपा और सपा के बीच बहस तेज हो गई है. सपा प्रमुख का तर्क है कि उनकी सरकार ने परफ्यूम पार्क के जरिए व्यापार और उद्योग को बढ़ावा दिया, जबकि भाजपा केवल धार्मिक भावनाओं को भुनाने में लगी रहती है. वहीं, भाजपा का कहना है कि गौशालाएँ भारतीय संस्कृति और कृषि का अभिन्न हिस्सा हैं और उन्हें बदनाम करना दुर्भाग्यपूर्ण है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान पर भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, “अखिलेश यादव क्या कहना चाहते हैं यह स्पष्ट नहीं होता. क्या गौ से दुर्गंध पैदा होती है या उसके गोबर से दुर्गंध पैदा होती है? उनका बयान स्पष्ट नहीं है. मुझे लगता है कि वे कहना कुछ और चाहते हैं, लेकिन कह कुछ और रहे हैं.”

गिरिराज सिंह का अखिलेश यादव पर हमला – “गाय से दुर्गंध आती है, यह दुर्भाग्यपूर्ण”

सपा प्रमुख के हालिया बयान पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने तीखा हमला बोला है. गिरिराज सिंह ने कहा कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) जैसे लोग वोट के लिए कुछ भी कर सकते हैं और धर्म में नहीं, केवल वोट में आस्था रखते हैं. अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा – “जिस गाय को हिंदू पूजते हैं, उनसे उन्हें दुर्गंध आती है। इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है?” उन्होंने आगे कहा कि गौमाता केवल धार्मिक आस्था का विषय ही नहीं, बल्कि भारत की कृषि, संस्कृति और अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा भी रही हैं.

राजनीतिक बयानबाजी या रणनीति?

विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव ने यह बयान भाजपा की हिंदुत्व राजनीति को चुनौती देने के लिए दिया है. सपा प्रमुख 2024 लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा की नीतियों पर लगातार हमला कर रहे हैं और अपने वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश में हैं. दूसरी ओर, भाजपा इस बयान को हिंदू भावनाओं पर चोट के रूप में प्रस्तुत कर अपने समर्थकों को एकजुट करने का प्रयास कर रही है.

क्या होगा आगे?

जिस प्रकार से सपा नेता अखिलेश यादव के बयान के बाद केंद्रीय मंत्री सहित कई भाजपा नेता हमलावर हो चुके हैं, इससे तय है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई बहस छिड़ गई है. इस साल के अंत में बिहार में चुनाव होना है और दो साल बाद उत्तर प्रदेश में. भाजपा इसे यदि चुनावी मंचों पर ले जाए, तो कोई अचरज की बात नहीं होगी. हालांकि, देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह विवाद और कितना गहराता है और इसके राजनीतिक निहितार्थ क्या होंगे.

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
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