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क्या बड़े भाई नवाज शरीफ की बात मानेंगे शहबाज शरीफ? भारत की शक्ति से वाकिफ हैं नवाज
क्या बड़े भाई नवाज शरीफ की बात मानेंगे शहबाज शरीफ? भारत की शक्ति से वाकिफ हैं नवाज
Authored By: सतीश झा
Published On: Saturday, May 10, 2025
Last Updated On: Saturday, May 10, 2025
भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ते तनाव के बीच पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) ने एक महत्वपूर्ण सलाह देते हुए अपने छोटे भाई और वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shahwaz Sharif) से आग्रह किया है कि वे मौजूदा संकट को कूटनीतिक तरीके से हल करने की दिशा में कदम उठाएं. नवाज शरीफ का यह बयान ऐसे समय आया है, जब पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने का बड़ा और निर्णायक फैसला लिया है. पाकिस्तान के बीच तनाव चरम की ओर बढ़ रहा है.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Saturday, May 10, 2025
Nawaz Sharif return from London: लंदन से लौटने के बाद नवाज शरीफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की बैठक में हुई चर्चाओं के आधार पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को सलाह दी कि पाकिस्तान को युद्ध की ओर नहीं, बातचीत की मेज की ओर बढ़ना चाहिए. नवाज शरीफ, जिन्होंने अतीत में भी भारत से रिश्ते सुधारने की वकालत की थी, इस बात से भलीभांति परिचित हैं कि भारत की आर्थिक, सैन्य और वैश्विक स्थिति कितनी मजबूत हो चुकी है.
नवाज शरीफ, जो लंबे समय से लंदन में रह रहे थे, बढ़ते संकट के मद्देनजर पाकिस्तान लौट आए हैं. उनकी वापसी के बाद, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट में बताया गया है कि शहबाज शरीफ ने नवाज शरीफ को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की उस बैठक की जानकारी दी, जिसमें भारत के कदम के जवाब में पाकिस्तान की रणनीति पर चर्चा हुई.
सूत्रों के अनुसार, पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ ने अपने भाई को सुझाव दिया कि भारत के साथ बढ़ते तनाव को राजनयिक प्रयासों से कम करने की कोशिश की जाए. उन्होंने कहा कि युद्ध या सैन्य टकराव की स्थिति दोनों देशों के लिए घातक साबित हो सकती है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को संयम और समझदारी के साथ अपनी बात रखनी चाहिए.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नवाज शरीफ की यह सलाह सिर्फ भाई के तौर पर नहीं, बल्कि एक अनुभवी राजनेता की चेतावनी भी है. उन्होंने स्पष्ट रूप से इशारा किया है कि भारत के साथ टकराव की नीति पाकिस्तान को भारी पड़ सकती है. अब सवाल यह है कि क्या शहबाज शरीफ अपने बड़े भाई की इस चेतावनी को गंभीरता से लेंगे या फिर आंतरिक दबावों और सेना की रणनीतियों के बीच वे कोई और रास्ता चुनेंगे?
नवाज शरीफ की सलाह से यह स्पष्ट हो रहा है कि पाकिस्तान के भीतर भी भारत की शक्ति और निर्णायक नीतियों को लेकर गहरी समझ है. सिंधु जल संधि का निलंबन न सिर्फ पाकिस्तान की कृषि और जल आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भारत के सख्त रुख का भी संकेत है.
अब पूरी दुनिया की नजरें इस पर टिकी हैं कि पाकिस्तान की सरकार युद्ध की राह अपनाती है या शांति की पहल को प्राथमिकता देती है. क्या शहबाज शरीफ इस नाजुक मोड़ पर अपने अनुभवी भाई नवाज की सलाह को मानेंगे, यह आने वाला समय बताएगा.
भारत और पाकिस्तान के बीच जारी मौजूदा गतिरोध ने पूरे दक्षिण एशिया में कूटनीतिक हलचल तेज कर दी है. ऐसे समय में नवाज शरीफ की वापसी और कूटनीतिक सलाह से यह संकेत मिलता है कि पाकिस्तान के भीतर शांति और बातचीत का विकल्प तलाशने की सोच अभी भी जिंदा है.