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सिंधु के बाद अब झेलम से मचा पाकिस्तान में हाहाकार, आतंक परस्ती की भारी कीमत चुकाएगी जनता!
सिंधु के बाद अब झेलम से मचा पाकिस्तान में हाहाकार, आतंक परस्ती की भारी कीमत चुकाएगी जनता!
Authored By: सतीश झा
Published On: Sunday, April 27, 2025
Last Updated On: Sunday, April 27, 2025
आतंकियों को जब आश्रय देंगे, तो उसकी कीमत सरकार नहीं आम जनता को चुकानी पड़ती है. वर्तमान में इसे पाकिस्तान से बेहतर शायद ही कोई देश जान सकता है. भारत में आतंकी हमले की कीमत पहले सिंधु का पानी रोकने और अब झेलम में आए जल सैलाब से पाकिस्तान को चुकाना पड़ रहा है. आम जनता परेशान है, तो सियासतदान अभी भी भारत विरोधी बयानों से जनता को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Sunday, April 27, 2025
Pakistan Water Crisis 2025 : पाकिस्तान में जल संकट गहराता जा रहा है. पहले सिंधु नदी के पानी को भारत के रोकने के निर्णय से पाकिस्तान के कई इलाकों में जल संकट को लेकर आवाम परेशान है. अब झेलम नदी के अचानक बढ़े जलस्तर ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर समेत कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए हैं. हालात इतने भयावह हो गए हैं कि हट्टियन बाला क्षेत्र में ’जल आपातकाल’ (Water Emergency) घोषित करना पड़ा और स्थानीय लोगों को पूरी रात जागकर अपनी जान की हिफाजत करनी पड़ी.
वाटर इमरजेंसी की घोषणा
मुजफ्फराबाद के डिप्टी कमिश्नर फारुक के अनुसार, शनिवार शाम झेलम नदी का जल स्तर अचानक बढ़ गया, जिससे गारी दुपट्टा, मझोई और मुजफ्फराबाद जैसे इलाकों में पानी भर गया. रिपोर्ट्स के अनुसार, हर सेकंड 22 हजार घन फीट पानी झेलम में बह रहा है।. विश्लेषकों का मानना है कि यदि पाकिस्तान ने अपनी आतंकवादी गतिविधियों पर जल्द रोक नहीं लगाई तो भविष्य में उसे और भी गंभीर प्राकृतिक और राजनयिक नुकसानों का सामना करना पड़ सकता है. पानी का संकट अब सीधे-सीधे वहां की आम जनता पर भारी पड़ रहा है, जो पहले ही महंगाई और बेरोजगारी जैसी चुनौतियों से त्रस्त है.
पाकिस्तान के लिए कितना अहम है सिंधु और झेलम
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और जीवन प्रणाली में सिंधु और झेलम नदियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. देश के अधिकांश भाग में कृषि, पेयजल और बिजली उत्पादन का प्रमुख आधार यही नदियां हैं. सिंधु नदी प्रणाली के बिना पाकिस्तान के लिए अपनी कृषि अर्थव्यवस्था को संभालना मुश्किल हो जाता, वहीं झेलम भी उसकी जल आपूर्ति और ऊर्जा सुरक्षा का एक अहम स्तंभ है.
सिंधु नदी का महत्व
सिंधु नदी पाकिस्तान की जीवनरेखा मानी जाती है. इसका पानी पंजाब और सिंध प्रांतों की विशाल कृषि भूमि को सींचता है. पाकिस्तान की लगभग 90 प्रतिशत कृषि सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है. गेहूं, चावल, कपास जैसी फसलों का उत्पादन सिंधु के जल पर आधारित है. सिंधु जल संधि के तहत भले ही भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारा तय हुआ है, फिर भी पाकिस्तान के लिए सिंधु का प्रवाह बेहद संवेदनशील मसला बना हुआ है.
झेलम नदी का महत्व
झेलम नदी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से बहती हुई देश के भीतर प्रवेश करती है. यह नदी मंगला डैम जैसी बड़ी जल परियोजनाओं के जरिये पाकिस्तान को ऊर्जा प्रदान करती है. मंगला डैम पाकिस्तान का सबसे बड़ा जलाशय है, जो न सिर्फ बिजली उत्पादन करता है, बल्कि सिंचाई और पेयजल आपूर्ति में भी योगदान देता है. झेलम का पानी खासतौर से पंजाब क्षेत्र के लिए जीवनदायी है.
पाकिस्तान के इन इलाकों से गुजरती है झेलम
झेलम नदी की यात्रा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के डोमेल इलाके से शुरू होती है. यहां यह नीलम नदी से मिलती है. फिर यह नदी मुजफ्फराबाद, चट्टर क्लास और हट्टियन बाला जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से होकर बहती है. हाल ही में झेलम के जल स्तर में अचानक वृद्धि के चलते इन क्षेत्रों में बाढ़ जैसी भयावह स्थितियां उत्पन्न हो गई हैं.
पीओके से गुजरने के बाद झेलम नदी पंजाब प्रांत में प्रवेश करती है। यहां यह:
मीरपुर, मंगला (जहां पर मंगला डैम स्थित है, जो पाकिस्तान के सबसे बड़े जलाशयों में से एक है), झेलम शहर, सरगोधा क्षेत्र का कुछ हिस्सा, खुशाब और चकवाल के निकटवर्ती क्षेत्र से होकर गुजरती है. इसके बाद झेलम नदी चिनाब नदी में मिल जाती है, जो आगे चलकर सतलुज और फिर सिंधु नदी में समाहित हो जाती है.
चुनौतियां और चिंताएं
हाल के दिनों में झेलम और सिंधु दोनों नदियों को लेकर पाकिस्तान में चिंता बढ़ गई है. झेलम में अचानक बढ़े जल स्तर से बाढ़ जैसी स्थितियों ने यह जता दिया है कि पाकिस्तान की जल प्रबंधन नीतियां कमजोर हैं. दूसरी ओर, आतंकवाद को शह देने की उसकी नीतियों ने भारत के साथ आपसी विश्वास को भी नुकसान पहुंचाया है, जिससे जल संधियों के पालन को लेकर नए तनाव उत्पन्न हो सकते हैं.
आतंकियों के कारण यह दिन देखना पड़ रहा है पाकिस्तान को
विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकट पाकिस्तान की अपनी नीतियों का ही परिणाम है. आतंकियों को पनाह और सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने की वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच विश्वास का पुल टूटता चला गया. पहले जब भारत की ओर से नदी में पानी छोड़ा जाता था तो पाकिस्तान को सूचना दी जाती थी, लेकिन इस बार बिना किसी पूर्व जानकारी के पानी छोड़ा गया.
(हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के इनपुट के साथ)
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