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PM Modi France Visit: प्रधानमंत्री मोदी के पेरिस दौरे पर वीर सावरकर क्यों आए चर्चा में
PM Modi France Visit: प्रधानमंत्री मोदी के पेरिस दौरे पर वीर सावरकर क्यों आए चर्चा में
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Thursday, February 13, 2025
Updated On: Thursday, February 13, 2025
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन दिवसीय फ्रांस दौरे के अंतिम दिन 12 फरवरी को राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ मार्सिले में थे. यहां उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने यहां स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने ब्रिटिश कैद से उनके फरार होने की घटना को भी याद किया.
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Updated On: Thursday, February 13, 2025
हाईलाइट
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों 12 फरवरी की रात फ्रांस के मार्सिले पहुंचे.
- यहां उन्होंने वीर सावरकर को श्रद्धांजलि दी और शहर से उनके ‘साहसिक तरीके से भागने की घटना को याद दिलाया.
- तब फ्रांसीसी सरकार और लोगों ने सावरकर को ब्रिटिश हिरासत में नहीं सौंपने की मांग की थी.
- प्रधानमंत्री मोदी इसके लिए फ्रांसीसी लोगों को धन्यवाद दिया.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तीन दिवसीय फ्रांस (PM Modi France Visit) यात्रा का समापन 12 फरवरी को हो गया. यहां से प्रधानमंत्री अमेरिका के लिए रवाना हुए. इसके पहले फ्रांस यात्रा के तीसरे दिन प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति मैक्रों के साथ दक्षिणी फ्रांस के मार्सिले शहर पहुंचे. यहां उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. इसके अलावा यहां पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी ने हिंदुत्व विचारक एवं स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को श्रद्धांजलि दी. दरअसल, वीर सावरकर इसी शहर में ब्रिटिश कैद से फरार हुए थे.
भारत की स्वतंत्रता की खोज
प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिणी फ्रांस के इस शहर (मार्सिले) को भारतीय दृष्टि से ऐतिहासिक बताया. प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत की स्वतंत्रता की खोज में, यह शहर विशेष महत्व रखता है. क्योंकि यहीं पर प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर ने साहसपूर्वक भागने का प्रयास किया था. हालांकि वे भागने में सफल नहीं हो पाए और फिर से पकड़ लिए गए.
सावरकर की गिरफ्तारी
ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान सावरकर को जुलाई 1910 में फ्रांस से गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद उन्हें मुकदमे के लिए ब्रिटिश जहाज ‘मोरिया’ से भारत लाए जा रहे थे. भारत में उन पर हत्या के लिए उकसाने का मुकदमा चलाया जाना था. उसी दौरान मार्सिले बंदरगाह पर खड़े जहाज से कूद कर सावरकर ने भागने का प्रयास किया. सावरकर तैरकर किनारे पहुंच गए. लेकिन फ्रांसीसी समुद्री जेंडरमेरी के एक ब्रिगेडियर ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. ब्रिगेडियर ने उन्हें इस ग़लतफ़हमी में गिरफ्तार किया कि भागने वाला व्यक्ति चालक दल का सदस्य है. ब्रिगेडियर ने उन्हें जहाज लाया और ब्रिटिश एजेंटों को सौंप दिया।
फ्रांसीसी अदालत में भी चला मुकदमा
फ्रांसीसी सरकार ने सावरकर को ब्रिटिश हिरासत में देने के तरीके का विरोध किया. इसी आधार पर फ्रांस ने उनकी वापसी की मांग की. मामला फ्रांस की अदालत में भी गई. अदालत में फ्रांस ने कहा, ‘ब्रिटिश अधिकारियों को उनकी सुपुर्दगी एक दोषपूर्ण प्रत्यर्पण है.’ अदालत में सुनवाई के बाद अपने फ़ैसके में कहा था कि सावरकर की गिरफ्तारी में की गई अनियमितता के बावजूद, ऐसी अनियमितता के परिणामस्वरूप ब्रिटिश सरकार पर सावरकर को फ्रांसीसी सरकार को वापस करने का कोई दायित्व नहीं था. अंततः दोनों सरकारों ने इस विवाद को मध्यस्थता से खत्म किया था. सावरकर को ब्रिटिश हुकूमत को सौंप दिया गया.
सावरकर को आजीवन सजा
वहां से उन्हें भारत लाया गया. उन्हें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की सेलुलर जेल में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
प्रधानमंत्री ने फ्रांस के लोगों को दिया धन्यवाद
सावरकर को लेकर उस समय फ्रांस की सरकार ने अदालती लड़ाई लड़ी. बेशक तब अदालत का निर्णय ब्रिटिश सरकार के पक्ष में आया लेकिन फ्रांस से पूरी कोशिश की थी कि सावरकर को वापस लाया जाए. इसके लिए प्रधानमंत्री ने फ्रांस को धन्यवाद दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, ‘मैं मार्सिले के लोगों और उस समय के फ्रांसीसी सरकार और लोगों को भी धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने मांग की थी कि उन्हें ब्रिटिश हिरासत में न सौंपा जाए। वीर सावरकर की बहादुरी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी.’