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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: ट्रंप और हैरिस के बीच कड़ी टक्कर, कौन मारेगा बाजी
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: ट्रंप और हैरिस के बीच कड़ी टक्कर, कौन मारेगा बाजी
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Tuesday, November 5, 2024
Last Updated On: Thursday, May 1, 2025
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में इस बार पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के मुकाबला हो रहा है। अब तक सर्वे से यही सामने आया है कि दोनों उम्मीदवारों के बीच टक्कर कांटे की है।
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Last Updated On: Thursday, May 1, 2025
आज पूरी दुनिया की नजर अमेरिका पर टिकी है। हो भी क्यों न। पूरी दुनिया की राजनीति को प्रभावित करने वाले अमेरिका में आज राष्ट्रपति का चुनाव है। वहां का अगला राष्ट्रपति कौन होगा, आज मतदान के बाद स्पष्ट हो जाएगा। भारत के समयानुसार शाम में मतदान शुरू होगा। मुख्य मुकाबला डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के बीच है। डेमोक्रेटिक पार्टी ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस (Vice President Kamla Harris) को तो रिपब्लिकन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Former President Donald Trump) को अपना उम्मीदवार बनाया है।
प्रत्येक चार वर्ष में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव मुख्यतः दो दलों के बीच ही होता है। कभी बाजी डेमोक्रेटिक पार्टी के हाथ लगती है तो कभी रिपब्लिकन मैदान मारता है। 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक के जो बाइडन को जीत मिली थी। उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति एवं रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को चुनाव में हराया था।
ट्रंप और हैरिस के बीच कड़ा मुकाबला
इस चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के मुकाबला हो रहा है। अब तक सर्वे से यही सामने आया है कि दोनों उम्मीदवारों के बीच टक्कर कांटे की है। सर्वे के मुताबिक किसी राज्य में यदि हैरिस आगे हैं तो मात्र एक-दो प्रतिशत से ही आगे है। उसी प्रकार जिन राज्यों में ट्रंप आगे हैं तो वो भी मात्र एक-दो प्रतिशत वोट से ही आगे बताये गए हैं। किसी भी सर्वे में किसी एक उम्मीदवार को एकतरफा जीतते हुए नहीं दिखाया गया है। यही कारण है कि इस बार अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है।
क्या हैं मुद्दे
पिछले कुछ चुनावों से अमेरिका में अर्थव्यवस्था सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। इस चुनाव में भी अर्थव्यवस्था ही सबसे अहम मुद्दा है। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सभी चुनावी भाषणों में अमेरिका की ख़राब होती अर्थव्यवस्था के लिए डेमोक्रेटिक दल को जिम्मेदार बताया है। अमेरिका का जीडीपी लगातार गिर रहा है। इस तिमाही इसमें थोड़ा सुधार होकर 2.2 प्रतिशत हुआ है।
इस मामले में कमला हैरिस घिरती रही हैं। क्योंकि पिछले चार सालों से उनकी पार्टी सत्ता में है। डेमोक्रेट जो बाइडन यहां राष्ट्रपति हैं। वहीँ कमला हैरिस उपराष्ट्रपति। कमला हैरिस इस मुद्दे पर पिछड़ती दिख रही हैं।
लेकिन वह भारतीय मूल के लोगों और महिलाओं की सुरक्षा आदि के मुद्दों पर अपना ज्यादा फोकस की हैं। इसका लाभ भी उन्हें मिलता दिख रहा है। हैरिस महिला अधिकार के मुद्दे को भी लगातार उठा रही हैं। खासकर गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को वहां के सुप्रीम कोर्ट ने उलट दिया था। ऐसी महिला हैरिस के साथ आ सकती हैं।
भारत की दृष्टि से ट्रंप लाभकारी
भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर (External Affairs Minister Dr S Jaishankar) ने आज ही कहा है कि अमेरिका में जो भी राष्ट्रपति बनेंगे, भारत का संबंध उनके साथ बेहतर होगा। भारत-अमेरिका संबंध अब बहुत आगे बढ़ चूका है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का मानना है कि पूर्व राष्ट्र्पति डोनाल्ड ट्रंप भारत के लिहाज से बेहतर होंगे। क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के संबंध बहुत प्रगाढ़ हैं। वह एक राष्ट्रवादी नेता हैं। अपने पूर्व के कार्यकाल के दौरान उन्होंने पाकिस्तान, चीन से जुड़े कई मामलों में भारत का खुलकर समर्थन किया था।
जबकि कमला हैरिस भारतीय मूल की होने के बाद भी वह भारत के मसले पर खुलकर कभी नहीं बोली हैं। खासकर अनुच्छेद 370 हटने के समय उन्होंने इसका विरोध किया था। कश्मीर को लेकर भी वह कभी भी खुलकर भारत के साथ कड़ी नहीं रहीं हैं।
राष्ट्रपति का अप्रत्यक्ष चुनाव
अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव भारत की तरह प्रत्यक्ष चुनाव नहीं होता है। यहां राष्ट्रपति का अप्रत्यक्ष चुनाव होता है। अमेरिका में इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए अप्रत्यक्ष निर्वाचन से होता है। अमेरिकी राज्यों के लिए कुल 538 इलेक्टोरल कॉलेज निर्धारित हैं। राष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार को 270 इलेक्टोरल कॉलेज के वोट चाहिए होते हैं। जिस उम्मीदवार को 270 वोट मिलते हैं, वहीं अमेरिका का नया राष्ट्रपति चुना जाता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- कैलिफोर्निया अमेरिका का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। इसलिए यहां सबसे ज्यादा 55 इलेक्टोरल वोट हैं।
- वहीँ सबसे छोटे व्योमिंग राज्य में सिर्फ 3 इलेक्टोरल वोट हैं।
- अगर किसी उम्मीदवार को इलेक्टोरल वोट से बहुमत नहीं मिलता तब हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (अमेरिकी संसद का निचला सदन) राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट करता है।
- अमेरिका अभी तक सिर्फ़ एक बार ऐसा हुआ है। वर्ष 1824 के राष्ट्रपति चुनाव में चार उम्मीदवारों खड़े थे। उस चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज का वोट बंट गए थे। जिस कारण किसी को भी बहुमत नहीं मिला था।
- अब चूँकि दो उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होता है, इसलिए अब ऐसा होने की संभावना बहुत कम है।
- यदि यह चुनाव पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जीत जाते हैं तो अमेरिका के 130 साल के इतिहास में पहली बार होगा, जब पिछला चुनाव हारने वाला तत्कालीन राष्ट्रपति फिर से राष्ट्रपति बनेगा।