ईमानदारी, धैर्य और मेहनत से बूटस्ट्रैप्ड कंपनी को यूनिकॉर्न बनाया

Authored By: अंशु सिंह, वरिष्ठ लेखिका और पत्रकार

Published On: Wednesday, May 29, 2024

Categories: Business World

Updated On: Thursday, June 27, 2024

bootstrapped unicorn company

‘ईज माई ट्रिप’ की  आज सिंगापुर, लंदन, यूएसए, फिलीपींस, दुबई, थाईलैंड और न्यूजीलैंड में कार्यालयों के साथ वैश्विक उपस्थिति है। करीब 13 मिलियन से अधिक ग्राहक इनसे जुड़े हैं और 45000 से अधिक ट्रैवल एजेंटों का नेटवर्क है।

कोविड-19 की वैश्विक महामारी ने सबसे अधिक किसी सेक्टर को प्रभावित किया, तो वह ट्रैवल सेक्टर था। लेकिन देश में नए एयरपोर्ट के निर्माण, विभिन्न एयरलाइंस द्वारा अपने जहाजों के बेड़े को बढ़ाए जाने जैसे अन्य पहल से भारतीय ट्रैवल इंडस्ट्री का आने वाला दौर नई संभावनाओं से भरा दिखाई देता है। ये कहना है वर्ष 2021 में ‘यूनिकार्न’ क्लब में शामिल हुई कंपनी ‘ईज माई ट्रिप’ के सीईओ एवं सह-संस्थापक निशांत पिट्टी का। निशांत एवं उनके भाई ने वर्ष 2008 में इस कंपनी की नींव रखी थी और आज यह ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसी (ओटीए) क्षेत्र की अग्रणी कंपनी है।निशांत की मानें, तो एक उद्यमी के रूप में उन्होंने एक बात समझी है कि दीर्घकालिक विकास के लिए लाभप्रद होना आवश्यक है। वे शुरुआती दौर से ही इस स्थिति में थे।

बाहरी निवेशकों की सहायता के बिना एक बूटस्ट्रैप्ड कंपनी से वे सीधे यूनिकार्न बनने में सफल रहे हैं। निशांत एवं रिकांत पिट्टी ने जब अपनी कंपनी लांच की, तो पहले तीन वर्ष इन्होंने ऑफलाइन खुदरा बाजार में कार्य किया। 2011 में ये अपने व्यवसाय को बीटुसी क्षेत्र में लेकर गए और यात्रा में दिलचस्पी रखने वाले बढ़ते भारतीय मध्यम वर्ग पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया। 2013 में इन्होंने बीटुई डोमेन में कॉरपोरेटस को एंड टू एंड ट्रैवल समाधान प्रदान करना शुरू किया। आज सिंगापुर, लंदन, संयुक्त राज्य अमेरिका, फिलीपींस, दुबई, थाईलैंड और न्यूजीलैंड में कार्यालयों के साथ इनकी वैश्विक उपस्थिति है। करीब 13 मिलियन से अधिक ग्राहक इनसे जुड़े हैं। 45000 से अधिक ट्रैवल एजेंटों का नेटवर्क है।

जनता रही है हमारी सबसे बड़ी निवेशक

निशांत के अनुसार, शुरुआती दौर में उनकी कंपनी बूटस्ट्रैप्ड थी। उनके लिए यह किसी उपलब्धि से कम नहीं था कि वेंचर कैपिटलिस्ट्स या निजी इक्विटी निवेशकों से वित्तीय सहायता लेने की बजाय उन्होंने स्व वित्त पोषित फंड से काम चलाने का फैसला लिया। यहां तक कि प्रारंभिक आईपीओ आने के समय तक वे पूरी तरह से बूटस्ट्रैप्ड थे। निशांत बताते हैं, ‘हमारी एकमात्र निवेशक जनता रही है। उन्होंने ही हमें यहां तक पहुंचने में मदद की है। एक ब्रांड के रूप में उन्होंने हमारा समर्थन किया है। वर्ष 2021 में कंपनी यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गई। ईमानदारी से कहूं, तो हमने कभी नहीं सोचा था कि हम यूनिकॉर्न का दर्जा प्राप्त करेंगे। हां, अपनी क्षमता पर विश्वास था। 8 मार्च  2021 को हमने शेयर बाजार में प्रवेश कर लिया।‘

गैरेज के कमरे से हुई शुरुआत

पूर्वी दिल्ली के एक संयुक्त, मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले निशांत के पिता एक कोयला व्यवसायी थे। इनके संयुक्त परिवार में आज भी 14 लोग साथ रहते हैं। निशांत ने दिल्ली विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक किया है। उद्यमिता को लेकर इनमें हमेशा से एक खास जुनून रहा है। वे कहते हैं, ‘उद्यमशीलता हमेशा से हम भाइयों के भीतर रही है। सच कहूं तो इसकी नींव स्कूली दिनों में ही पड़ गई थी। तब भारत में डिजिटलाइजेशन की शुरुआत तक नहीं हुई थी और हम फिल्मों को डाउनलोड कर उनकी सीडी बनाते थे। फिर उसे अपने सहपाठियों को बेच देते थे।‘  ट्रैवल सेक्टर में काम करने के आइडिया पर निशांत बताते हैं, ‘वर्ष 2008 की बात है। हम अपने पिता की नियमित व्यावसायिक यात्रा के लिए हवाई टिकट बुक करने की कोशिश कर रहे थे। उस दौरान जो दिक्कतें आईं, उन्हें देखते हुए हमने कुछ नया करने का निर्णय लिया और 2008 में नींव पड़ी ‘ईज माई ट्रिप’ की। तब हम अपने गैरेज से काम करते थे। तीन लोगों की छोटी-सी टीम थी। आज हमारे साथ लगभग 700 से अधिक कर्मचारी जुड़े हैं।‘

उतार-चढ़ाव के बीच रखा धीरज

2008 में शुरुआत के बाद से दोनों भाइयों ने कई नए प्रयोग किए। उन्होंने बिना सुविधा शुल्क बुकिंग, स्वास्थ्य के आधार पर टिकट की पूर्ण वापसी एवं यात्रियों को सबसे उपयुक्त टिकट की बुकिंग में मदद करने जैसी अनेक सुविधाएं देने शुरू की। इससे ट्रैवल इंडस्ट्री में एक क्रांति सी आ गई। निशांत कहते हैं, ‘बेशक यह यात्रा चुनौतीपूर्ण रही है, जिसमें कई उतार-चढ़ाव आए। लेकिन हम धैर्यता एवं दृढ़ता के साथ बढ़ते गए। आज तक मजबूती के साथ टिके हुए हैं। जब हम बाजार में उतरे थे, तो हमारे सामने छह बड़े प्रतिद्वंद्वी थे। उन स्थापित खिलाड़ियों की बाजार पर मजबूत पकड़ थी। ऐसे प्रतिस्पर्धी मार्केट में एक ब्रांड के रूप में स्थापित होना निश्चित रूप से आसान नहीं था।

टीम में नई प्रतिभाओं को दिया मौका

निशांत बताते हैं, ‘हमने कभी किसी दूसरे ब्रांड के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं की। खुद की स्थिति सुधारने पर ध्यान दिया। हमेशा ध्यान रखा कि टीम के सदस्य वफादार हों और जो हमारे विजन एवं काम से सहमति रखते हों। साथ मिलकर लक्ष्य को हासिल करने में सक्षम हों। हमने नई प्रतिभाओं को मौका दिया। उनकी आंतरिक पदोन्नति पर ध्यान दिया। प्रतिष्ठित संस्थानों से आने वाले ग्रेजुएट्स के साथ-साथ कॉल सेंटर के कर्मचारियों को भी विकास के अवसर प्रदान किए। इसके साथ ही फ्रेशर्स को ऑन जॉब ट्रेनिंग देते हैं, जिससे कि उनकी हमारे साथ यात्रा सहज हो।‘

कोविड महामारी ने दिए कई सबक

कोविड महामारी ने एक एंटरप्रेन्योर के रूप में निशांत को काफी कुछ सिखाया। वे कहते हैं, ‘उन दिनों ट्रैवल इंडस्ट्री की स्थिति से सब वाकिफ हैं। हमने बदले माहौल एवं आर्थिक स्थितियों के अनुरूप लचीला रुख अपनाया। नए सिरे से बिजनेस स्ट्रेटेजी बनाई। रेवेन्यू के नए स्त्रोत तलाश किए। हम एकमात्र ट्रैवल कंपनी थे जिन्होंने एयरलाइन कंपनियों से रिफंड मिलने के पहले ही ग्राहकों को अपनी जेब से पैसे वापस किए। आज भी दुनिया महामारी के कारण उत्पन्न हुए कमजोर आर्थिक हालात से उबरने की कोशिश कर रही है। लेकिन आने वाले वर्षों में ट्रैवल एवं हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री जरूरी से आगे बढ़ेगी, इसका भरोसा है।

पिछले बीस वर्षों से दैनिक जागरण सहित विभिन्न राष्ट्रीय समाचार माध्यमों से नियमित और सक्रिय जुड़ाव व प्रेरक लेखन।

यह भी पढ़ें

Email marketing icon with envelope and graph symbolizing growth

news via inbox

समाचार जगत की हर खबर, सीधे आपके इनबॉक्स में - आज ही हमारे न्यूजलेटर को सब्सक्राइब करें।

One Comment

  1. […] यह भी पढ़े-  ईमानदारी, धैर्य और मेहनत से बूटस्ट्रै… […]

Leave A Comment