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पेरिस ओलिंपिक का कोटा हासिल कर दिग्गज पहलवान ने आलोचकों को दिया करारा जवाब
पेरिस ओलिंपिक का कोटा हासिल कर दिग्गज पहलवान ने आलोचकों को दिया करारा जवाब
Authored By: सोनी झा
Published On: Tuesday, April 23, 2024
Last Updated On: Wednesday, October 16, 2024
पिछले साल दिल्ली के जंतर मंतर पर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे महिला और पुरुष पहलवानों को लेकर यह आशंका जताई जा रही थी कि शायद उनका खेल करियर खत्म हो गया। इसके पीछे उनके राजनीति का शिकार होने की आशंका भी जताई जा रही थी लेकिन विनेश फोगाट और अन्य पहलवानों के ओलिंपिक का कोटा हासिल कर लेने से अब यह माना जा रहा है कि वे अभी विश्व स्तर पर देश के लिए और मेडल अवश्य जीत कर दिखाएंगे...
Authored By: सोनी झा
Last Updated On: Wednesday, October 16, 2024
पिछले साल जनवरी में देश की दिग्गज पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के नेतृत्व में भारतीय पहलवान जब रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाकर नई दिल्ली के जंतर मंतर पर धरने पर बैठे थे तो कहा गया कि अब इनका करियर खत्म हो चुका है। यहां तक कहा गया कि इन सभी का लक्ष्य अब फेडरेशन और देश की राजनीति है इसलिए ये किसी के बहकावे में आ गए हैं। बृजभूषण ने खुद भी कहा था कि ये सभी बिना ट्रायल के टीम में आना चाहते हैं जो कि मैं नहीं होने दे रहा। साथ ही उन्होंने कहा था कि अब इनकी कुश्ती खत्म हो चुकी है। साक्षी मलिक ने तो आजिज आकर कुश्ती से संन्यास भी ले लिया। लेकिन, बृजभूषण के खिलाफ डटकर खड़ी रहने वाली विनेश आज भी डटी हुई हैं और पेरिस ओलिंपिक के लिए कोटा हासिल करके दिखा दिया कि उनमें अभी बहुत कुश्ती बाकी है।
हालांकि महज कोटा हासिल कर लेने भर से विनेश का काम अभी खत्म नहीं हो गया है। इससे पहले भी वह दो बार ओलिंपिक में खेल चुकी हैं। ऐसे में कोटा हासिल करना तो उनके लिए कभी भी कठिन नहीं था। उन्हें अगर अपने आलोचकों को जवाब देना है तो इस बार ओलिंपिक में मेडल भी जीतना होगा। हालांकि जिस फॉर्म के साथ उन्होंने कोटा हासिल किया उससे तो यही लग रहा है कि वह इस बार मेडल भी जरूर जीतेंगी। ऐसा इसलिए भी कि उन्हें यह मेडल अब सिर्फ ‘अपने’ लिए जीतना है। अपने लिए से मतलब यह कि पहलवानों के आंदोलन में अगर लोगों ने सबसे ज्यादा गुनहगार किसी को माना तो वह विनेश ही थीं। ऐसे में विनेश को अभी और कमाल करने होंगे।
बहरहाल, खुशी की बात यह है कि विनेश के साथ ही बिश्केक में आयोजित टूर्नामेंट में दो और महिला पहलवानों अंशु मलिक और रीतिका हुड्डा भी कोटा हासिल कर चुकी हैं। इन तीनों से पहले अंतिम पंघाल भी देश को कोटा दिला चुकी हैं। नौ मई से एक और क्वॉलिफाइंग टूर्नामेंट होना है। अगर बाकी बचे दो भार वर्ग में भी महिला पहलवान कोटा हासिल कर लेती हैं तो पहली बार होगा जब सभी छह भार वर्ग में भारतीय महिला पहलवान ओलिंपिक के मैट पर उतरेंगी। हालांकि इस खुशी के बीच गम की एक बात यह है कि अभी तक पुरुष वर्ग में एक भी भारतीय पहलवान कोटा हासिल नहीं कर सके हैं। अब देखना है कि 2008 से लगातार पुरुष वर्ग में मेडल जीत रहे भारतीय पहलवान आखिर उस क्रम को इस बार जारी रख पाते हैं कि नहीं।