हाई कोर्ट के फैसले से ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को एक और झटका

Authored By: Gunjan Shandilya

Published On: Thursday, May 23, 2024

Categories: Career

Updated On: Saturday, June 29, 2024

high court se mamata banerjee ko ek aur jhatka

पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक माह के अंदर दो बड़ा झटका लगा है। दोनों झटका इन्हें कलकत्ता हाई कोर्ट ने दिया है।

पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक माह के अंदर दो बड़ा झटका लगा है। दोनों झटका कलकत्ता हाई कोर्ट से इन्हें लगा। पहला झटका पिछले महीने के अंत में हजारों शिक्षकों एवं कर्मचारियों की भर्ती को गैरकानूनी बता कर दिया तो अब दूसरा झटका ममता को ओबीसी सर्टिफिकेट पर लगा है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 22 मई को वर्ष 2010 के बाद राज्य जारी किये गए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सर्टिफिकेट को गैरकानूनी बताया है। कोर्ट ने अपने इस निर्णय में उन सभी सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया है। बताया जाता है कि गैरकानूनी सर्टिफिकेट की संख्या लाखों में है।

हाई कोर्ट को दो न्यायमूर्तियों की बेंच ने यह भी कहा कि इस ओबीसी सर्टिफिकेट को जारी करने के लिए वास्तव में धर्म को एकमात्र मापदंड बनाया गया है, ऐसा प्रतीत होता है। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति तपव्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने वोट बैंक के लिए मुस्लिमों को ओबीसी का सर्टिफिकेट दिया गया। इसके पीछे सिर्फ राजनीतिक उद्देश्य दिखता है। यह लोकतंत्र का अपमान है। यही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग ने जिन्हें ओबीसी आरक्षण दिया, वह जल्दबाजी में दिया गया। इसके पीछे चुनावी वादा काम कर रहा था। सरकार बनने के बाद इसके लिए संविधान का सहारा नहीं लिया गया। पिछड़े मुसलमानों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की गई। फिर छह महीने से पहले ही राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने 42 समुदायों को ओबीसी के लिए अनुसंसित की। इनमें से 41 समुदाय मुस्लिम थे।

पश्चिम बंगाल सरकार को हाई कोर्ट ने ओबीसी की नई लिस्ट बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट के निर्देशनुसार पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग अब पिछड़ा वर्ग आयोग की सलाह से एक नई रिपोर्ट तैयार करेगी। इस रिपोर्ट में किसे अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करना है और किस बाहर रखना है, तय मानदंडों के मुताबिक करें फिर इस रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाए।

हाई कोर्ट के इस फैसले से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तमतमा गई हैं। अपने चुनाव प्रचार के दौरान ही उन्होंने कह दिया कि यह कोर्ट का नहीं भाजपा का निर्णय है। और हम भाजपा का फैसला नहीं मानेंगे। ओबीसी आरक्षण राज्य में जारी रहेगा। इसे फैसले को चुनौती दी जाएगी। ऐसे भी कोर्ट के इस फैसले के बाद अब ममता बनर्जी के पास दो विकल्प हैं। एक तो वह पहले झटके (शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती) की तरह इस फैसले के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट जाएं और इसे चुनौती दें। इके पास दूसरा विकल्प यह है कि ममता बनर्जी इस फैसले को हाई कोर्ट के बड़े बेंच में रिव्यू पिटीशन दायर करें।

कलकत्ता हाई कोर्ट के इस निर्णय पर राजनीतिक दलों के नेताओं का बयान आना स्वाभाविक था। आम चुनावों के शेष बचे दो चरणों में इसे भाजपा और एनडीए मुद्दा बनाएगी। खासकर उत्तर प्रदेश में। इस चुनाव में भाजपा ऐसे भी विपक्षी गठबंधन पर आरोप लगाती रही है कि वे ओबीसी का आरक्षण मुस्लिमों को दे देगी। कलकत्ता हाई कोर्ट के इस निर्णय के बाद भाजपा कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों पर हमलावर हो गई है।

इस फैसले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि हाई कोर्ट का आदेश इंडी गठबंधन के गाल पर तमाचा है। पश्चिम बंगाल सरकार ने मुस्लिमों के वोट बैंक के लिए ओबीसी के हिस्से का आरक्षण मुस्लिमों को दे दिया। ये लोग सत्ता में आने के बाद यही करने वाले हैं। अब इनका भंडा फुट गया है। वहीं इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ममता दीदी ही नहीं हाई कोर्ट के इस फैसले ने पूरे विपक्ष को एक्सपोज कर दिया है। दीदी ने ओबीसी के आरक्षण पर डाका डाला है। यही डाका पूरा विपक्ष देश भर में डालना चाहते हैं।

About the Author: Gunjan Shandilya
समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव। विभिन्न मंचों पर विषयों को रोचक और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता। नई पत्रकारिता शैलियों और प्रौद्योगिकियों के साथ कदम से कदम मिलाने में निपुण।

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