आमजन से मंत्री तक सब डीपफेक के शिकार आखिर यह क्या है?

Authored By: संतोष आनंद, तकनीकी विषयों के जानकार

Published On: Tuesday, April 30, 2024

Categories: Technology

Updated On: Thursday, May 16, 2024

deepfake technology

डीपफेक वीडियो पर सरकार भी काफी सख्त है। अगर कोई व्यक्ति डीपफेक वीडियो बनाकर उसे फैलाने का काम करता है तो उसे तीन साल का जेल और जुर्माना लगाया जा सकता है।

इन दिनों पूरी दुनिया के चर्चित लोग डीपफेक के शिकार हो रहे हैं। कुछ महीने पहले चर्चित अभिनेत्री रश्मिका मंदाना इसकी शिकार हो चुकी है।इससे भारत का आम चुनाव भी अछूता नहीं है। इस चुनाव में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का भी एक डीपफेक वीडियो वायरल हो रहा है। इस फर्जी वीडियो में वे आरक्षण के खिलाफ बोल रहे हैं। हालांकि गुजरात में इस फर्जी वीडियो के खिलाफ मामला भी दर्ज कराया गया है। लेकिन जब तक इस डीपफेक वीडियो की सच्चाई सामने आती है तब इसके शिकार लोगों का काफी नुकसान हो जाता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डीपफेक वीडियो पर हाल ही में एक चुनावी सभा में कहा कि मेरी आवाज में भद्दी-भद्दी वीडियो सोशल मीडिया पर मिल जाएंगी। इन सभी वीडियो को डीपफेक के जरिए बनाकर वायरल किया जा रहा है। प्रधानमंत्री डीपफेक को एक बड़ा खतरा बता चुके हैं। साथ ही इस पर सख्त कानून भी बनाया गया है। इसके बावजूद डीपफेक वीडियो अभी भी बन और वायरल किया जा रहा है।

क्या है डीपफेक

amit shah home minister

इन दिनों वीडियो और ऑडियो दोनों ही रूप में डीपफेक का खूब दुरुपयोग हो रहा है। डीपफेक को तैयार करने के लिए एआई और मशीन लर्निंग की मदद ली जाती है। किसी रियल व्यक्ति पर किसी दूसरे व्यक्ति का चेहरा लगाना या फिर वायस क्लोनिंग करना, ये सभी मशीन लर्निंग और एआई से बड़ी आसानी से हो जाता है। पहली नजर में इसे पहचानना मुश्किल हो जाता है कि वीडियो असली है या नकली।

डीपफेक वीडियो को कैसे पहचाने?

डीपफेक वीडियो को भले ही कितने ही अच्छे से क्यों न बनाया गया हो, इसे पहचानना मुमकिन है। दरअसल, एआई और मशीन लर्निंग तकनीक का उपयोग करके भी डीपफेक वीडियो बनाना आसान काम नहीं होता है। डीपफेक से बनाने वाले चेहरे का कलर और लाइटिंग ठीक उसी तरह से नहीं बना सकते हैं, जैसा कि ओरिजिनल वीडियो में होता है। ओरिजिनल वीडियो में जैसी लाइटिंग होती है, वैसी लाइटिंग आमतौर पर दूसरी जगह नहीं मिलती है। इसलिए जब दूसरे का चेहरा काटकर उसका डीपफेक तैयार किया जाता है, तब कलर पूरी तरह से नहीं मिलते हैं। इसके अलावा, चेहरे का हावभाव, आंखों की मूवमेंट और बॉडी स्टाइल पर ध्यान देकर भी डीपफेक वीडियो को पहचाना जा सकता है। इस फर्जी वीडियो को गौर से देखेंगे, तो लिप सिंकिंग में कई गलतियां दिखाई देंगी।

डीपफेक वीडियो बनाने के लिए एआई का विशेषज्ञ होना जरूरी है। हर कोई इसे नहीं बना सकता है। हालांकि आजकल इंटरनेट पर बहुत सारे ऐसे सॉफ्टवेयर मौजूद हैं, जिनकी मदद से वीडियो में चेहरे या फिर ऑडियो को मार्फ कर दिया जाता है।

डीपफेक पर सरकार सख्त

डीपफेक वीडियो पर सरकार भी काफी सख्त हैं। सरकार ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति डीपफेक वीडियो बनाकर उसे फैलाने का काम करता है तो ऐसे व्यक्ति पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और ऐसे व्यक्ति को तीन साल तक जेल की हवा खानी पड़ सकती है और एक लाख रुपये का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। इतना ही नहीं, कुछ समय पहले सरकार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के बीच एक रिव्यू मीटिंग भी हुई थी, जिसमें सरकार ने साफ कर दिया था कि यूजर्स को अगर डीपफेक से नुकसान होता है, तो इस मामले पर सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएगी।

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