Loksabha Speaker: ओम बिरला के सामने इस बार होंगी बड़ी चुनौती
Authored By: Gunjan Shandilya
Published On: Thursday, June 27, 2024
Updated On: Thursday, June 27, 2024
राजस्थान के कोटा से भाजपा सांसद ओम बिरला (OM Birla) लगातार दूसरी बार स्पीकर पद को सुशोभित करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समूचे सदन की ओर से उन्हें बधाई दी। इस बार सदन को सुचारु रूप से चलाने की बड़ी चुनौती उनके सामने होगी।
18वीं लोकसभा के स्पीकर चुन लिए गए हैं। राजस्थान के कोटा से भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद ओम बिरला लगातार दूसरी बार इस पद को सुशोभित करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समूचे सदन की ओर से उन्हें बधाई दी। इस बार सदन को सुचारु रूप से चलाने की बड़ी चुनौती उनके सामने होगी। क्योंकि दस साल बाद सदन में विपक्ष मजबूत और अभी एकजुट दिख रहा है।
करीब पचास साल बाद स्पीकर का चुनाव हुआ। बेशक इसके लिए वोटिंग नहीं हुई। उन्हें ध्वनिमत से स्पीकर चुना गया। लेकिन विपक्ष ने के. सुरेश को उम्मीदवार बनाकर अपना तेवर दिखा दिया था। विपक्ष स्पीकर चुनाव के बहाने अपनी एकजुटता दिखाने की कोशिश करने वाली थी। लेकिन अंत समय में उन्होंने वोटिंग की मांग नहीं की। विपक्ष के इस कदम से कई लोग हैरान भी हुए।
ओम बिरला (Om Birla) की होगी अग्निपरीक्षा
इस बार लोकसभा स्पीकर ओम बिरला का सदन में असली अग्निप्रक्षा होगी। पिछले लोकसभा में भाजपा अकेले 300 से ज्यादा सीटें जीती थीं। साथ एनडीए के दलों को मिलाकर सरकार के पास साढ़े तीन सौ से ज्यादा सांसद थे। विपक्ष कमजोर था। लेकिन इस बाद विपक्ष मजबूत है। विपक्षी गठबंधन के 233 सांसद हैं। जबकि भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं है। इसके अलावा चुनाव नतीजे आने के बाद से विपक्ष अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कर रहा है।
नेता प्रतिपक्ष राहुल (Rahul) के आक्रमक तेवर
लोकसभा में इस बार राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बने हैं। इसके पहले वे सदन में एक सांसद के रूप में अपनी बात रखते थे। फिर भी उन्हें प्रधानमंत्री के बाद ज्यादा मीडिया कवरेज मिलता था। इस बार नेता विपक्ष होने के नाते मीडिया की नजर ज्यादा होगी। राहुल गांधी भी अभी तक मीडिया को लगातार ब्रेकिंग न्यूज दे रहे हैं। शुरू से ही राहुल के तेवर आक्रमक दिख रहे हैं। वे लगातार संविधान को खतरा बताकर सरकार पर चोट कर रहे हैं। इससे स्पीकर को सदन चलाने के लिए विपक्ष को पहले से ज्यादा विश्वास में लेना होगा।
परीक्षा से पहले टूटा इंडी गठबंधन (Indi Alliance)
जिस तरह से विपक्षी गठबंधन ने सर्वसम्मति बनाने के बजाय अपना उम्मीदवार उतारा, उससे स्पष्ट हो रहा था, इंडी गठबंधन शुरू से ही अपनी एकजुटता दिखाकर सरकार पर दबाव में डालने वाला है। लेकिन उनके इरादे में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने पलीता लगा दिया। एनडीए गठबंधन (NDA Alliance) शुरू से ही संख्या बल में आगे था। जबकि विपक्ष दमदारी के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा था। लेकिन इंडी गठबंधन को ममता दीदी ने झटका के. सुरेश के नामांकन के दौरान ही दे दी। उनके ओर से किसी ने सुरेश के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए। शायद इसी लिए विपक्ष ने वोटिंग की मांग ही नहीं की। यदि वोटिंग होती तो इंडी गठबंधन की संख्या कम होती।
मोदी सरकार (Modi Government) भी आक्रमक
स्पीकर के चुनाव से मोदी सरकार ने भी एक संदेश दे दिया कि मीडिया कुछ भी कहे लेकिन भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी अपने अंदाज में ही सरकार चलाएंगे। पहले उन्होंने मंत्रिमंडल गठन फिर स्पीकर के चुनाव में भी इसे साबित कर दिया। विपक्ष के दबाव के आगे प्रधानमंत्री मोदी नहीं झुके। और लोकसभा स्पीकर की कुर्सी भी अपने पास ही रखे रहे।
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