एग्जिट पोलः नतीजों से पहले नतीजों का अनुमान

Authored By: BN Verma, Political Analyst

Published On: Sunday, June 2, 2024

Categories: Shankhnad 2024

Updated On: Thursday, June 27, 2024

exit poll of loksabha election 2024

18वीं लोकसभा के लिए आज अंतिम चरण का मतदान हो रहा है। मतदान संपन्न होते ही एग्जिट पोल का दौर शुरू होगा, जिसमें चुनावी नतीजों का अनुमान लगाया जाएगा।

लोकसभा चुनाव अपनी पूर्णाहुति की ओर बढ़ चला है। सातवें व अंतिम चरण का मतदान जारी है। आखिरी चरण में सात राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश की कुल 57 सीटों पर मतदान हो रहा है। इसमें उत्तर प्रदेश की 13 सीटों, बिहार की आठ, ओडिशा की छह, झारखंड की तीन, हिमाचल प्रदेश की चार, पश्चिम बंगाल की नौ और चंडीगढ़ की एक सीट शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार और पश्चिम बंगाल उन राज्यों में शामिल हैं, जहां हर चरण में मतदान हुआ है।

देश की जनता ने किसे चुना और किसे निराश किया इसका पता चार जून को चलेगा। उससे पहले आज शाम यानी एक जून को पांच बजे जैसे ही मतदान खत्म होगा उसके ठीक अगले आधे घंटे के बाद से एग्जिट पोल का सिलसिला शुरू हो जाएगा। यानी नतीजे आने से पहले नतीजों का अनुमान लगाने का काम। एग्जिट पोल करने वाली तमाम सर्वे एजेंसियों का दावा है कि इसे विभिन्न पैरामीटर के आधार पर साइंटिफिक तरीके से किया जाता है। बावजूद इसके ये एग्जिट पोल कभी सही हो जाते हैं तो कभी पूरी तरह से फेल। उदाहरण के लिए 2004 का लोकसभा चुनाव परिणाम लिया जा सकता है।

उस साल जनता का मूड समझ पाने में सभी एग्जिट पोल बुरी तरह से विफल हुए थे। हरेक एग्जिट पोल का अनुमान था कि शाइनिंग इंडिया की चमक में अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार दोबारा सत्ता में वापसी कर रही है। लेकिन जब नतीजे आये तो एक भी एग्जिट पोल खरा नहीं उतरा था।

अभी हाल ही में संपन्न पांच विधानसभा चुनावों में से कोई भी एग्जिट पोल यह नहीं बता पाया कि मध्यप्रदेश में भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ वापसी कर रही है और यह कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता गंवा रही है। वैसे एग्जिट पोल के हिस्से में केवल विफलता ही नहीं, ढेर सारी सफलताएं भी दर्ज हैं। कई बार एग्जिट पोल बिल्कुल सटीक साबित हुए हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव के ज्यादातर एग्जिट पोल सही साबित हुए थे। इसमें भाजपा और एनडीए को 300 से अधिक सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था। जबकि कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन को 100 के आसपास सीटें मिलने की संभावना जताई गई थी। नतीजों में भाजपा को 303 और एनडीए की सीटें करीब 350 थीं। वहीं कांग्रेस को केवल 52 सीटें मिली थीं।

एग्जिट पोल कराने वाली प्रमुख एजेंसियां

सी-वोटर, एक्सिस माई इंडिया, सीएनएक्स, चाणक्या, ईटीजी, मैट्रिज आदि देश की कुछ प्रमुख एजेंसिया हैं।

prediction of election results before the election results

कैसे होता है एग्जिट पोल

दरअसल, एग्जिट पोल कराने वाली एजेंसियां अपने लोगों को पोलिंग बूथ के बाहर खड़ा कर देती हैं। जब मतदाता चुनाव में वोट देकर बूथ से बाहर निकलता है तो उससे पूछा जाता है कि उसने किस पार्टी या किस उम्मीदवार को वोट दिया है। आम तौर पर एक पोलिंग बूथ पर हर दसवें मतदाता या अगर पोलिंग स्टेशन बड़ा है तो हर 20वें मतदाता से इस तरह के सवाल पूछे जाते हैं। मतदाताओं से मिली जानकारी का विश्लेषण करके यह अनुमान लगाने की कोशिश की जाती है कि चुनावी नतीजे क्या होंगे।

एग्जिट पोल पर चुनाव आयोग के नियम

चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल को लेकर कुछ नियम बनाए हैं। इन नियमों का मूल उद्देश्य यह है कि किसी भी तरह से चुनाव को प्रभावित नहीं होने दिया जाए। चुनाव आयोग समय-समय पर एग्जिट पोल को लेकर दिशानिर्देश जारी करता है। इसमें एक आम नियम यह है कि चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से लेकर आख़िरी चरण के मतदान खत्म होने के आधे घंटे बाद तक एग्जिट पोल को प्रसारित नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा एग्जिट पोल के परिणामों को मतदान के बाद प्रसारित करने के लिए, सर्वेक्षण-एजेंसी को चुनाव आयोग से अनुमति भी लेनी होती है।

देश में एग्जिट पोल का इतिहास

देश में दूसरे आम चुनाव के दौरान 1957 में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन ने पहली बार चुनावी पोल किया था। इसके प्रमुख एरिक डी कॉस्टा ने चुनावी सर्वे किया था लेकिन इसे पूरी तरह से एग्जिट पोल नहीं कहा जा सकता है। उसके बाद 1980 में डॉ. प्रणय रॉय ने पहली बार एग्जिट पोल किया। 1984 के चुनाव में दोबारा उन्होंने ही एग्जिट पोल किया था। उसके बाद 1996 में दूरदर्शन ने एग्जिट पोल किया। यह पोल पत्रकार नलिनी सिंह ने किया था लेकिन इसके आंकड़े जुटाने के लिए सीएसडीएस ने फील्ड वर्क किया था। उसके बाद से यह सिलसिला लगातार जारी है। उस समय एक दो एग्जिट पोल होते थे जबकि आजकल दर्जनों एग्जिट पोल्स होते हैं।

About the Author: BN Verma, Political Analyst
दशकों के अनुभव से सम्पन्न, प्रभावशाली व निष्पक्ष राजनीतिक विश्लेषण और मार्गदर्शन प्रदान करने में सक्षम।

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