ब्रिटिश काल का आईपीसी (IPC) हुआ खत्म, तीन नए कानून में जाने क्या-क्या है
Authored By: Gunjan Shandilya
Published On: Monday, July 1, 2024
Updated On: Monday, July 1, 2024
ब्रिटिश ज़माने से चले आ रहे भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEC) की स्थान पर आज से भारतीय न्याय संहिता (BNS) , भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSS) ने ले लिया है।
New Criminal Laws: आज है, एक जुलाई। देश में आज से कई चीजें बदल गई हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण बदलाव है, ब्रिटिश कानून का। आज ब्रिटिश ज़माने का कानून खत्म। देश में तीन नए कानून लागू हो गया है। इन नए कानूनों के लागू होते ही आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़े बदलाव होंगे। ब्रिटिश ज़माने से चले आ रहे भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की स्थान पर आज से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ले लिया है।
नए कानून के तहत मुकदमा दर्ज
आज से इन तीनों कानूनों ने काम करना शुरू कर दिया है। इसके तहत दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में सुबह से ही एफआईआर दर्ज होने लगी है। कानून के जानकारों का मानना है कि नए कानून से आम लोगों की पहुंच पुलिस के पास आसान होगी। इनमें पूरी व्यवस्था ऑनलाइन किया गया है। इस पर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने कहा, ‘हमने कंप्यूटराइजेशन की प्रक्रिया 99.9 फीसदी पूरी कर ली है। तीन महीने के अंदर पीड़ित को केस का अपडेट ऑनलाइन भेजा जाएगा।’ इससे पुलिस बेवजह आम लोगों को परेशान नहीं कर पाएगी। साथ ही आम लोग आसानी से ऑनलाइन अपनी केस की डिटेल देख सकेंगे।
संसद में पिछले साल पास हुआ था कानून
तीनों कानून से संबंधित विधेयक पिछले साल संसद के दोनों सदनों में पास हुआ था। ध्वनिमत से पारित इस विधेयक पर दोनों सदनों पांच घंटे बहस हुई थी। हालांकि उस समय कई विपक्षी दल इस पर और चर्चा करना चाहते थे। लेकिन कई विपक्षी नेता संसद में चर्चा के बजाय बार-बार गतिरोध पैदा कर रहे थे। जबकि उन्हें इतने महत्वपूर्ण विधेयक पर व्यापक चर्चा में भागीदार बनना चाहिए था। कल यानी 30 जून को गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकारें भारतीय सुरक्षा संहिता में अपनी ओर से संशोधन करने को स्वतंत्र हैं। केंद्र सरकार ने यह कदम शायद कुछ विपक्षी दलों की राज्य सरकारों के विरोध पर उठाया है।
ममता-स्टालिन (Mamata-Stalin) का शाह को पत्र
कुछ विपक्षी दलों वाली राज्य सरकारों ने इन तीन नए कानून को तत्काल लागू करने से मना किया था। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी और तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने इसको लेकर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र भी लिखा है। इन दोनों मुख्यमंत्रियों ने गृहमंत्री से आग्रह किया है कि इसे अभी लागू नहीं किया जा सके। लेकिन 1 जुलाई से इसे लागू कर दिया गया है।
कई नए अपराध भी शामिल
इस कानून में कई नए अपराधों को शामिल गया है। मसलन, शादी का वादा कर धोखा देने वालों को दोष सिद्ध होने पर 10 साल तक की जेल होगी। इसके अलावा लिंग (Gender), जाति (Caste), नस्ल (Race), समुदाय (Community) आदि के आधार पर मॉब लिंचिंग को भी इसमें जोड़ा गया है। इस मामले में दोष सिद्ध होने पर आजीवन कारावास की सज़ा हो सकती है। यूएपीए (UAPA) जैसे आतंकवाद-रोधी क़ानूनों को भी इसमें शामिल किया गया है।
गृहमंत्री शाह (Home Minister Shah) ने क्या कहा
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अब आजादी के 77 सालों बाद, आपराधिक न्याय प्रणाली पूर्णत: स्वदेशी और अपनी संस्कृति के अनुरूप होगी। अब दंड की जगह न्याय ले लेगा। इसमें पहला अध्याय महिलाओं और बच्चों के लिए है। राजद्रोह को जड़ से समाप्त कर दिया है। पहले सरकार के खिलाफ बयान देना गुनाह था। ये कानून सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली का सृजन करेगी। ये कानून पीड़ित के पक्ष में बनाया गया है। साथ ही तलाशी या रेड दोनों ही मामलों में वीडियोग्राफी भी की जाएगी।
नए कानून के प्रावधान
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