“जीवन से जुड़ने का सूत्र है योग” (Yoga is the Key to Connecting with Life) : नीमुबेन बाभंणिया
Authored By: अंशु सिंह, वरिष्ठ लेखिका और पत्रकार
Published On: Saturday, June 22, 2024
Updated On: Wednesday, June 26, 2024
दसवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के लाल किले स्थित प्रांगण में ब्रह्माकुमारी संस्था (Brahma Kumari Organization) एवं आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH) की ओर से एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ‘स्वयं एवं समाज के लिए योग’ थीम को लेकर आयोजित इस कार्यक्रम में करीब 20 हजार लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी।
हाईलाइट:
योग करें, निरोग रहें
इस मौके पर मुख्य अतिथि उपभोक्ता मामले एवं खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की राज्य मंत्री नीमुबेन बाभंणिया (Minister of State Nimuben Babhania) ने कहा कि योग भारत की पुरातन संस्कृति का भाग है। 2015 में प्रथम योग दिवस के अवसर पर विश्व भऱ के 177 देशों ने हमारे साथ योगाभ्यास किया था, जिससे भारत की वसुधैव कुटुम्बकम की धारणा साकार हो सकी। हमारा देश अब बदल रहा है। पूरा विश्व हमारा अनुकरण कर रहा है। प्रधानमंत्री जी की पहल पर शुरू हुए योग दिवस के कारण आज योग दुनिया के घर-घर में पहुंच चुका है। वहां के लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। कह सकते हैं कि योग जीवन से जुड़ने का सूत्र है, जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप एवं जीवनशैली से जुड़ी अन्य बीमारियों को दूर करने में काफी कारगर साबित हुआ है। इसलिए जीवन का एक ही मंत्र होना चाहिए- करें योग, रहें निरोग। यह मानवता के साथ प्रकृति के साथ जुड़ने का भी एक प्रमुख माध्यम है। इससे वेलनेस एवं फिटनेस दोनों की गारंटी होती है।
समय की पुकार है योगी जीवन
कार्यक्रम में माउंट आबू से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े ब्रह्माकुमारी संस्था के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने भारत सरकार एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज पूरे विश्व में योग दिवस मनाया जा रहा है, जो एक बड़ी उपलब्धि है। समय की पुकार भी है योगी जीवन। परंतु आज पूरा समाज भोगी जीवन जीने को अभिशप्त है। उससे पीड़ित है। ऐसे में आयुष मंत्रालय द्वारा रखा गया इस वर्ष का थीम प्रासंगिक है, जो कहता है- ‘स्वयं एवं समाज के लिए योग’। व्यक्ति समाज की इकाई है। जब तक समाज में योगी जीवन को प्रोत्साहित नहीं किया जाएगा, तब तक लक्ष्यों को हासिल करना संभव नहीं है। श्रीमद्भगवद गीता में वर्णित राजयोग वह मानसिक योग है जिसमें आत्मिक स्वरूप में स्थित रहकर परमात्मा से योग लगाया जाता है। क्योंकि त्रुटियां आत्मा में ही होती हैं, इसलिए इस योग का अभ्यास करने से एक व्यक्ति न सिर्फ स्वस्थ, बल्कि योगी जीवन जी सकता है। अहम बात ये भी है कि हर आयु का व्यक्ति अपने सारे कर्म एवं कर्तव्य करते हुए इसका अभ्यास कर सकता है।
विश्व भर में योग की धूम
वर्ष 2015 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत के बाद से आज यह सिर्फ देश ही नहीं, अपितु विदेशों में भी बड़े उल्लास से मनाया जाने लगा है। शुरुआत के समय जहां दुनिया भर के 36 हजार लोग इसमें शामिल हुए, वहीं बीते वर्ष यह संख्या करीब 23 करोड़ 44 लाख के पास पहुंच गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्बोधन में इसे एक ऐतिहासिक घटना बताया। उन्होंने कहा कि विश्व भर में योग के प्रति आकर्षण दिनों दिन बढ़ रहा है।
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