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Holi 2025: 14 या फिर 15 मार्च ! कब मनाई जाएगी होली? नोट करें डेट और होलिका दहन का मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि
Holi 2025: 14 या फिर 15 मार्च ! कब मनाई जाएगी होली? नोट करें डेट और होलिका दहन का मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि
Authored By: JP Yadav
Published On: Friday, January 31, 2025
Updated On: Friday, January 31, 2025
Holi 2025: अगर आप भी होलिका दहन, होली त्योहार से संबंधित सारी जानकारी चाहते हैं तो यह स्टोरी आपके लिए है. इसमें पूजा विधि समेत संपूर्ण जानकारी उपलब्ध है.
Authored By: JP Yadav
Updated On: Friday, January 31, 2025
Holi 2025 Date : होली, दीवाली, दशहरा और करवाचौथ हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक हैं. इन त्योहारों का इंतजार देश-दुनिया के करोड़ों हिंदुओं को रहता है. होली की बात करें तो कहने को यह हिंदुओं का पर्व है, लेकिन रंगों के इस त्योहार में हर धर्म के लोग रंग जाते हैं. होली जल्द ही दस्तक देने वाली है. होली के पर्व में लोग गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे से जमकर रंग खेलते हैं. होली का त्योहार दरअसल, दो दिन का होता है. एक दिन होलिका दहन तो दूसरे दिन रंगों के त्योहार के रूप में होली मनाई जाती है. इस दिन लोग जमकर एक-दूसरे पर रंग और गुलाल उड़ाते हैं. पूरा दिन जश्न मनाकर होली का त्योहार मनाया जाता है. इस स्टोरी में हम बता रहे हैं कि कब होली (Holi 2025 Date) मनाई जाएगी? होलिका दहन कब होगा (Holika Dahan Puja) और पूजा विधि (holi puja vidhi ) क्या होगी?
कब है होली (Holi 2025 Date)
रंगों के त्योहार होली का इंतजार हर उम्र वर्ग के लोगों को रहता है. हिंदू धर्म में इसकी खास मान्यता है. यह केवल त्योहार नहीं है, बल्कि भाईचारे की परंपरा है, जिसे सदियों से भारत मनाता आ रहा है. होली खुशियों का बांटने का मौका भी है. रंगों का यह त्योहार लोगों के जीवन में खुशियां घोलता है. ऐसे में हर किसी को यह जानने की इच्छा होती है कि आखिर इस साल होली का पर्व कब मनाया जाएगा? हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, होलिका दहन के अगले दिन रंगों का त्योहार होली को मनाया जाता है. इस साल होली का पर्व 14 मार्च, 2025 को मनाया जाएगा. जाहिर है कि इससे एक दिन पहले होलिका दहन किया जाएगा. इस दिन यानी 14 मार्च 2025 को शुक्रवार है. ऐसे में दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोग अपने-अपने गांव या फिर गृह राज्य में जाकर भी होली मना सकते हैं, क्योंकि शनिवार और रविवार का अवकाश भी कुछ दफ्तरों में रहता है.
कब है होलिका दहन 2025 (Holika Dahan Date 2025)
रंगों के त्योहार होली से एक दिन पूर्व होलिका दहन होता है. हिंदू मान्यता के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन ही होलिका दहन (Holika Dahan) होता है और इसके ठीक अगले दिन होली मनाई जाती है. इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी और संपन्न 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगी. यह वैदिक पंचांग के अनुसार है. वहीं उदयातिथि के अनुसार, इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च, 2025 को किया जाएगा. कुल मिलाकर वैदिक पंचांग और उदयातिथि, दोनों के अनुसार ही होलिका दहन 13 मार्च को होगी और फिर अगले दिन यानी 14 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा.
नोट करें होलिका दहन 2025 शुभ मुहूर्त
होलिका दहन से पहले पूजा-पाठ का खास महत्व है. हिंदू मान्यता के अनुसार, होलिका का पूजन कर उसे इस दिन प्रतीकात्मक रूप में दहन किया जाता है यानी जलाया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है. होलिका दहन के दौरान महिलाएं अपने परिवार और अपने लिए खुशी, सुख और समृद्धि की कामना भी करती हैं. 13 मार्च को होलिका दहन है. ऐसे में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 30 मिनट से शुरू होगा और रात 8 बजकर 30 मिनट तक है. वैदिक पंचांग 13 मार्च की रात 11 बजकर 26 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 30 मिनट तक भी होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रहेगा.
क्यों मनाई जाती है होली
होलिका दहन से जुड़ी पौराणिक कथा भी है. इसके अनुसार, हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जल सकती. इस पर हिरण्यकशिपु ने होलिका से प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठने को कहा, जिससे वह जल जाए. भाई के कहने पर होलिका ने ऐसा ही किया, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद बच गया. न जलने का वरदान होने के बावजूद होलिका आग में जल गई. यही वजह है कि होलिका दहन किया जाता है और फिर अगले दिन खुशियों के त्योहार होली को मनाया जाता है.
कैसे करें होलिका की पूजा
- पूजा स्थल को हमेशा साफ-सुथरा रखा जाता है, इसलिए सबसे पहले पूजा की जगह को गंगाजल से शुद्ध कर लें.
- पूजा से पहले उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ अपना मुंह करके बैठें.
- इसके अगले चरण में आप गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की मूर्तियां बनाएं. गाय को गोबर को हिंदू धर्म में शुद्ध माना जाता है.
- पूजा के क्रम में महिलाएं एक थाली में रोली, फूल, मूंग और नारियल रख लें.
- इसी थाली में फल, अक्षत, साबुत हल्दी, बताशे, कच्चा सूत और कलश में पानी भरकर रख लें.
- इसके बाद होलिका की पूजा करें और इस क्रम में होलिका पर कच्चा सूत लपेटें. पूजा की कड़ी में होलिका की 7 बार परिक्रमा करें. इसके बाद
- होलिका पर फूल और कुमकुम के अलावा गंगाजल या शुद्ध पानी भी छिड़कें.
- इसके बाद होलिका पर उपलों की माला अर्पित करें. यह बहुत जरूरी होता है. होलिका दहन होने के बाद राख को ठंडा होने के बाद घर ले जाएं.
- पूजा के अंतिम चरण में राख को माथे पर प्रसाद के रूप में लगाएं.
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