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जम्मू और कश्मीर न्यूज़ (Jammu And Kashmir News)
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कुछ राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से तारीख बदलने की मांग की थी। केंद्रीय चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव की मतदान की तिथि को 1 अक्टूबर से स्थानांतरित कर 5 अक्टूबर, मतगणना 4 अक्टूबर के बजाय अब 8 अक्टूबर को होगी। इसको लेकर नेताओं के बयानों का दौर शुरू हो गया है।
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समय से चुनाव का बहिष्कार करने वाले घाटी के अलगाववादी नेता इस विचानसभा चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। कई अलगाववादी नेता तो चुनाव भी लड़ रहे हैं। इन अलगाववादी नेताओं ने चुनाव में हिस्सा लेने के लिए राजनीतिक पार्टी का गठन भी किया है।
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भाजपा ने कल यानी 26 अगस्त को 44 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। जम्मू में पार्टी नेताओं के विरोध के बाद उस सूची को वापस ले लिया गया था। आज जब तीसरी सूची जारी की गई, उसमें लगभग सभी पहली सूची वाले ही नाम हैं।
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धारा 370 हटने के 5 साल बाद जम्मू-कश्मीर में चुनाव हो रहा है। केंद्र सरकार इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। चुनाव आयोग सुरक्षा की पूरी तैयारी कर चुकी है। नए समीकरण में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेस मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेगी। अन्य पार्टियां भी चुनावी मैदान में अपना ताल ठोंक रही हैं।
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19 अगस्त को जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेकेएनसी) ने विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी का विजन डॉक्युमेंट्स जारी किया है। इसमें पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को 12 गारंटी दी है।
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अनुच्छेद 370 हटने के बाद महबूबा मुफ्ती ने ऐलान किया था कि जब तक अनुच्छेद 370 वापस नहीं लिया जाता, तब तक वह चुनाव नहीं लड़ेंगी। वह आम चुनाव 2024 लड़ चुकी हैं और इस विधानसभा चुनाव में अपनी बेटी को मैदान में उतारा है।
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विधानसभा चुनावों की तारीख का ऐलान हो गया। जम्मू-कश्मीर में अब नेता अपने पुराने दल को छोड़कर नई राजनीतिक पार्टी ज्वाइन कर रहे हैं। चाहत बस एक है कि नई पार्टी उन्हें टिकट दें और जीत पक्की होने की गारंटी मिले।
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हरियाणा के साथ जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की भी घोषणा हो गई है। वहां चुनाव तीन चरणों में होगा। इस बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में अकेले चुनाव लड़ेगी।
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आम चुनावों का नतीजा आने के बाद से जम्मू-कश्मीर खासकर जम्मू क्षेत्र में आतंकी घटनाएं बढ़ गई हैं। अब सवाल यही उठ रहा है कि क्या चुनाव और आतंकी घटनाओं का आपस में कोई संबंध है? क्या पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका कश्मीर चुनाव से घबराए हुए हैं?
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2019 के बाद से कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों ने आतंकवादी नेटवर्क को काफी हद तक निष्क्रिय कर दिया है। कश्मीर में बढ़ते सुरक्षा बलों के दबाव के कारण आतंकवादियों के लिए यहां सक्रिय रहना कठिन हो गया है। पाकिस्तान की रणनीति में बदलाव के चलते आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र कश्मीर से जम्मू की ओर स्थानांतरित हो रहा है। पाकिस्तान जम्मू में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देकर भारतीय सुरक्षा बलों को नई चुनौतियों में उलझाना चाहता है।