Vijay Anand कौन हैं, जो अपनी सगी भांजी से शादी करके हो गए बदनाम, भाई को ‘गाइड’ करके बना दिया फिल्म स्टार

Vijay Anand कौन हैं, जो अपनी सगी भांजी से शादी करके हो गए बदनाम, भाई को ‘गाइड’ करके बना दिया फिल्म स्टार

Authored By: JP Yadav

Published On: Wednesday, January 22, 2025

Vijay Anand kaun hain, jo apni saghi bhanji se shaadi kar ke ho gaye badnaam, bhai ko 'Guide' karke banaya film star.
Vijay Anand kaun hain, jo apni saghi bhanji se shaadi kar ke ho gaye badnaam, bhai ko 'Guide' karke banaya film star.

Vijay Anand: 'गाइड' और 'ज्वेलथीफ' जैसी कल्ट फिल्में बनाने वाले विजय आनंद ने अभिनय भी किया है. इतना ही नहीं, देव आनंद को सुपरस्टार बनाने के पीछे भाई विजय आनंद का हाथ था

Authored By: JP Yadav

Updated On: Wednesday, January 22, 2025

Vijay Anand : बॉलीवुड इंडस्ट्री में विजय आनंद एक जाना पहचाना नाम थे. विशुद्ध मनोरंजन के दौर में भी एक्सपेरिमेंटल फिल्में करके उन्होंने समकालीन फिल्मकारों को चुनौती दी थी. प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, स्क्रीन राइटर और एक्टर विजय आनंद को गोल्डी आनंद (Goldie Anand) के नाम भी जाना जाता है. अपनी ही सगी भांजी से शादी करने वाले विजय आनंद ने जीवन के हर लम्हे को जीया. सदाबहार एक्टर के तौर पर मशहूर हुए देव आनंद को सुपरस्टार बनाने वाले उनके छोटे भाई विजय आनंद ही थे. वह देव आनंद के सबसे छोटे भाई थे. विजय आनंद के लिए अच्छी बात यह रही कि दोनों बड़े भाई देव आनंद और चेतन आनंद हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में पहले से ही स्थापित हो चुके थे और उम्दा फिल्में बना रहे थे. ऐसे में विजय आनंद की एंट्री फिल्म इंडस्ट्री में थोड़ी आसान रही.

चेतन आनंद वही डायरेक्टर-प्रोड्यूसर हैं, जिन्होंने ‘हंसते जख्म’, ‘हकीकत’ और ‘हीर रांझा’ जैसी कल्ट फिल्में बनाईं हैं. वहीं, विजय आनंद ने ‘गाइड’ जैसी फिल्म बनाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. इसमें उन्होंने अपने भाई देव आनंद को मौका दिया. यह फिल्म इतनी शानदार बनी कि पुरस्कार और अवॉर्ड की झड़ी लग गई. उन्होंने ‘मैं तुलसी तेरे आगन की’ फिल्म में शानदार एक्टिंग भी की है. इसमें उन पर फिल्माया गया गाना ‘छाप तिलक सब छीनी’ भी मशहूर हुआ था. बतौर निर्देशक उन्होंने कई यादगार फिल्में बनाई हैं. इस स्टोरी में हम बता रहे हैं विजय आनंद की निजी और शानदार फिल्मी सफर के बारे में, जिसने उन्हें अन्य फिल्मकारों से अलग बना दिया.

इस लेख में:

‘गोल्डी’ के नाम से थे इंडस्ट्री में मशहूर

22 जनवरी, 1934 को गुरदासपुर (पंजाब) में जन्मे विजय आनंद (Vijay Anand) को गोल्डी आनंद (Goldie Anand) के नाम से भी जाना जाता था. उन्हें ज्यादातर लोग सिर्फ गोल्डी के नाम से भी जानते थे. फिल्मों के प्रति विजन, एप्रोच और समझ को देखते हुए बॉलीवुड के कई बड़े डायरेक्टर विजय आनंद को ‘फिल्म मेकिंग ऑफ इनसाइक्लोपीडिया’ कहते थे. फिल्म मेकिंग के प्रति विजय आनंद की समझ जादुई थी. ऐसा कहा जाता है कि विजय आनंद ने सिर्फ 16 साल की उम्र में अपनी पहली स्क्रिप्ट लिखी थी. इसके बाद महज 23 साल की उम्र में उन्होंने पहली फिल्म डायरेक्ट की थी. इस फिल्म का नाम ‘नौ दो ग्यारह’ था. वह करीबियों, जानकारों और फिल्म इंडस्ट्री में गोल्डी के नाम से भी मशहूर थे.

उन्होंने अपने डायरेक्शन में ‘गाइड’, ‘ज्वेल थीफ’, ‘जॉनी मेरा नाम’ और ‘कोरा कागज’ समेत कई सुपरहिट फिल्में दीं. ‘कोरा कागज’ में तो वह हीरो थे. इस फिल्म का निर्देशन अनिल गांगुली ने किया है, जबकि फिल्म में विजय आनंद के साथ जया भादुड़ी ने शानदार अभिनय किया था. अभिनय की बात करें तो विजय आनंद ने फिल्म ‘आगरा रोड’ से बतौर एक्टर डेब्यू किया था. इसके बाद ‘काला बाजार’, ‘हकीकत’, ‘कोरा कागज’ और ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’ जैसी फिल्मों में शानदार एक्टिंग की. इसके अलावा वह ‘छुपा रुस्तम’, ‘तेरे मेरे सपने’ ‘घुंघरू की आवाज’ और ‘डबल क्रॉस’ में भी बतौर एक्टर नजर आए.

बचपन में ही खो दिया था मां को

22 जनवरी, 1934 को पंजाब के गुरदासपुर में जन्मे विजय आनंद के पिता शहर के नामी वकील थे. विजय आनंद इस मामले में बदनसीब रहे कि उन्हें मां का प्यार नहीं मिला. वह 6 वर्ष के थे तो उनकी मां ने दुुनिया को अलविदा कह दिया. कहा जाता है कि मां का प्यार नहीं मिला तो वह बहुत इमोशनल इंसान बन गए. यह अलग बात है कि उनका पालन पोषण बड़े भाई और भाभी की देखरेख में हुआ था, लेकिन मां की कमी खली. विजय आनंद जब स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे तब तक बड़े भाई देव आनंद और चेतन आनंद फिल्म इंडस्ट्री में अपने कदम जमा चुके थे. पढ़ाई पूरी करने के बाद विजय आनंद भी इंडस्ट्री में चले आए. मिली जानकारी के अनुसार, बेहद कम उम्र में यानी स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई के दौरान हल्की-फुल्की कविताएं लिखने लगे.

लिखने का मन रमने लगा और साथियों/करीबियों ने तारीफ की तो उन्होंने सिर्फ 16 साल की उम्र में फिल्म की स्क्रिप्ट लिख डाली. इसके बाद लिखने का सिलसिला जारी रहा. उन्होंने कई फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी हैं. भावुक होने के साथ वह बेहद प्रैक्टिकल इंसान भी थे. यह उनके काम में भी दिखता है. उन्होंने न केवल भावुक फिल्में बनाई हैं बल्कि कॉमेडी, फैमिली ड्रामा और थ्रिलर के अलावा रोमांटिक फिल्में भी इंडस्ट्री को दी हैं. विजय आनंद ने दोनों भाइयों (चेतन और देव आनंद) के साथ मिलकर ‘नवकेतन फिल्म्स’ प्रोडक्शन हाउस में काम करना शुरू किया था और जल्द ही अपनी अलग पहचान बनाई. चेतन आनंद भी महान फिल्मकार थे, लेकिन विजय आनंद ने कुछ अलग हटकर करने की कोशिश की.

उम्दा फिल्ममेकर थे विजय

विजय आनंद ने मुंबई (तब बोंबे) के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली थी. विजय आनंद ने कॉलेज में पढ़ाई करने के दौरान अपनी भाभी उमा आनंद के साथ मिलकर फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी थी. इस पर फिल्म बनी, जिसका नाम था ‘टैक्सी ड्राइवर’. 1954 में रिलीज हुई इस फिल्म का निर्माण चेतन आनंद ने किया था. देव आनंद फिल्म के निर्माता व एक्टर थे. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ठीकठाक प्रदर्शन किया था. खासकर गाने खूब लोकप्रिय हुए थे. अपने करियर में करीब-करीब सभी हिट फिल्म बनाने वाले विजय आनंद ने कई फ्लॉप फिल्में भी बनाई हैं. ब्लेकमेल (1973), छुपा रुस्तम (1973) और बुलेट (1976) ऐसी फिल्में थी, जो बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकीं.

इसी तरह गाइड, तीसरी मंजिल और ज्वेल थीफ जैसी तीन एक के बाद एक ब्लॉकबस्टर फिल्म देने के बाद 1968 में विजय आनंद ने पहली फ्लॉप दी. इसका नाम था- ‘कहीं और चल’. कुछ नाकामियों को छोड़ दिया जाए तो विजय आनंद एक उम्दा फिल्म मेकर थे. 1970 में उन्होंने ‘जॉनी मेरा नाम’ से एक बार फिर से बॉक्स ऑफिस पर जोरदार वापसी की. अगले ही वर्ष 1971 में ‘तेरे मेरे सपने’ को उतनी सफलता नहीं मिली. कहा जाता है कि यही फिल्म उनकी जिंदगी के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई.

देव आनंद को बनाया सुपर स्टार

बेशक देव आनंद बहुत उम्दा एक्टर थे, लेकिन कामयाबी की ऊंचाई तक पहुंचाने में विजय आनंद की ही भूमिका थी. एक उपन्यास पर ‘गाइड’ जैसी फिल्म बनाने का जोखिम विजय आनंद ने लिया था. शायद वह जानते थे कि यह फिल्म दर्शकों को पसंद आएगी. 1965 में रिलीज हुई यह फिल्म चर्चित अंग्रेजी भाषा के लेखक आरके नारायण के ‘द गाइड’ नाम के उपन्यास पर आधारित है. फिल्म के गाने, देव आनंद और वहीदा रहमान का अभिनय लाजवाब है. फिल्म का अंत दर्शकों को बांधे रखता है. दर्शक यह उम्मीद करते हैं कि नायक बच जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं होता. नायकों के फिल्म के अंत में मरने का दृश्य दर्शक बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं. बावजूद इसके ‘गाइड’ को लोगों ने सुपरहिट कर दिया.

आरके नारायण के ‘द गाइड’ उपन्यास में नायक राजू दरअसल, रोज़ी का प्यार पाने के लिए हर कोशिश करता है. वहीं, फिल्म ‘गाइड’ में रोज़ी पहले ही अपनी शादी से परेशान और दुखी है. रोजी के पति मार्को को किसी और के साथ देखकर ख़ुद ही राजू के पास आ जाती है. विजय आनंद निर्देशित फिल्म ‘गाइड’ में राजू की मौत प्रसिद्धि में होती है. बारिश होने से गांव का अकाल भी दूर हो जाता है. यह अलग बात है कि उपन्यास में राजू की मौत ग़ुमनामी में होती है और गांव का अकाल समाप्त होने का भी कोई जिक्र नहीं है. फिल्ममेकर ने उपन्यास से आजादी ली है और इसका असर यह रहा कि दर्शकों ने फिल्प पर खूब प्यार लुटाया.

अपनी ही बड़ी बहन की बेटी से कर ली शादी

शानदार फिल्में बनाकर दर्शकों का मनोरंजन करने वाले विजय आनंद को ‘नियम’ तोड़ने वाला भी माना जाता है. डायरेक्टर विजय आनंद ने सगी भांजी से शादी करके बॉलीवुड इंडस्ट्री में तहलका मचा दिया था. बात 1978 की है. ‘राम बलराम’ फिल्म की शूटिंग के दौरान विजय आनंद ने भारतीय समाज के तमाम नियमों-रिवाजों तोड़ दिया और अपनी बड़ी बहन की बेटी से शादी कर दी. ऐसा नहीं कि यह प्रेम एकतरफा था. भांजी सुषमा कोहली भी विजय आनंद को पसंद करती थीं. पहली बीवी को तलाक दे चुके विजय आनंद ने भांजी सुषमा कोहली से ही दूसरी शादी कर ली. शादी करते ही परिवार में भी जमकर बवाल हुआ. 23 फरवरी 2004 को दुनिया को अलविदा कहने वाले विजय की पत्नी सुषमा कोहली भी अब इस दुनिया में नहीं हैं. दोनों का एक बेटा वैभव है फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा हुआ है.

फिल्म की जिद की तो पत्नी को दिया तलाक

विजय आनंद की पहली पत्नी लवलीन थडानी थीं. शादी के कुछ समय बाद ही दोनों के बीच मतभेद बढ़ गए थे. आखिरकार दोनों के बीच तलाक हो गया. यह भी रोचक है कि लवलीन ने ही विजय से शादी का प्रस्ताव रखा था. बात में बढ़ते मतभेद के चलते विजय और लवलीन का तलाक हो गया. कहा जाता है कि विजय आनंद एक बोल्ड रोमांटिक फिल्म ‘जान हाजिर है’ बना रहे थे. इस फिल्म में लवलीन लीड रोल में थीं. विजय आनंद लवलीन को दिल दे बैठे थे. ओशो रजनीश के पुणे आश्रम जाने लगे थे. लवलीन ने ही विजय के सामने शादी का प्रस्ताव रखा था. इसके बाद ‘जान हाजिर है’ का लीड रोल छोड़ दिया था. बाद में वह विजय आनंद पर फिल्मों में काम करने के लिए दबाव बनाने लगी तो उन्होंने पत्नी से दूरी बनानी शुरू कर दी और आखिरकार दोनों के बीच तलाक हो गया.

बेटे को नहीं कर पाए फिल्मों में लॉन्च

विजय आनंद और सुषमा आनंद के बेटे वैभव आनंद अच्छी लुक के बावजूद किसी फिल्म में बतौर लीड रोल नहीं आए. 18 साल के लंबे संघर्ष के बाद एकता कपूर के वेब शो से छोटी सी शुरुआत की. 2005 में वैभव एकता कपूर के वेब शो \’द वर्डिक्ट: नानावटी वर्सेस स्टेट\’ में नजर आए. वैभव ने कुछ साल पहले एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके चाचा देव आनंद और पिता विजय आनंद उनके औरा से निकलने की सलाह देते थे. वैभव ने मुंबई में जाकर वकालत की पढ़ाई की. इसके बाद जब मुंबई आए तो विजय आनंद बेटे को फिल्म में लॉन्च करने की तैयारी थे, लेकिन विजय आनंद का 23 फरवरी, 2004 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वैभव का दुर्भाग्य रहा कि उन्होंने 14 साल तक 100 से ज्यादा फिल्मों के लिए ऑडिशन दिया, लेकिन रोल नहीं मिला.

About the Author: JP Yadav
जेपी यादव डेढ़ दशक से भी अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। वह प्रिंट और डिजिटल मीडिया, दोनों में समान रूप से पकड़ रखते हैं। अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान, लाइव टाइम्स, ज़ी न्यूज और भारत 24 जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी सेवाएं दी हैं। कई बाल कहानियां भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं. मनोरंजन, साहित्य और राजनीति से संबंधित मुद्दों पर कलम अधिक चलती है। टीवी और थिएटर के प्रति गहरी रुचि रखते हुए जेपी यादव ने दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक 'गागर में सागर' और 'जज्बा' में सहायक लेखक के तौर पर योगदान दिया है. इसके अलावा, उन्होंने शॉर्ट फिल्म 'चिराग' में अभिनय भी किया है।
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