रायबरेली के रहेंगे राहुल प्रियंका के हवाले हुआ वायनाड

रायबरेली के रहेंगे राहुल प्रियंका के हवाले हुआ वायनाड

Authored By: रमेश यादव

Published On: Tuesday, June 18, 2024

रायबरेली और केरल के वायनाड सीटों से जीत दर्ज करने वाले राहुल गांधी ने रायबरेली सीट अपने पास रखकर वायनाड को बाय-बाय बोल दिया है। अब उनकी खाली की गई वायनाड सीट से उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा उपचुनाव लड़ेंगी।

Authored By: रमेश यादव

Updated On: Wednesday, June 26, 2024

इस लेख में:

हाईलाइट:

  • राहुल की खाली की गई वायनाड सीट से उपचुनाव लड़ेंगी प्रियंका ।
  • रिजल्ट के 14 दिनों में दो सीटों में से एक सीट छोड़ने का है नियम।
  • ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का नारा अब होता दिख रहा है फलीभूत।
  • इंदिरा, सोनिया और राहुल गांधी के बाद अब प्रियंका की बारी।
  • वायनाड से प्रियंका वाड्रा गांधी के संसद पहुंचने की पूरी संभावना।

भाजपा (BJP) द्वारा बना दी गई पप्पू की छवि को ध्वस्त कर कांग्रेस को पुनर्जीवित कर चर्चा के केंद्र बने राहुल गांधी ने तय कर लिया है कि वे अब यूपी में ही रहेंगे। अखिलेश यादव के साथ मिलकर भाजपा को उसकी सबसे मजबूत जमीन उत्तर प्रदेश में पटखनी देने से उत्साहित राहुल गांधी पूरे फॉर्म में हैं। उत्तर प्रदेश की रायबरेली और केरल के वायनाड सीटों से जीत दर्ज करने वाले राहुल गांधी ने रायबरेली सीट अपने पास रखकर वायनाड को बाय-बाय बोल दिया है। अब उनकी खाली की गई वायनाड सीट से उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा उपचुनाव लड़ेंगी। इसी के साथ ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का उनका नारा अब फलीभूत होता दिखाई दे रहा है। यह नारा उन्होंने 2017 में संपन्न उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान दिया था। हालांकि उस चुनाव में कांग्रेस को महज दो सीटों पर ही जीत मिल पाई थी।

प्रियंका (Pryinka) को उम्मीदवार बनाने पर कांग्रेस ने किया स्वागत

प्रियंका गांधी को वायनाड से चुनावी मैदान में उतारने की घोषणा का कांग्रेस नेताओं ने जमकर स्वागत किया है। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने इस पर अपनी राय रखते हुए कहा कि राहुल गांधी ने सही राजनीतिक फैसला लिया है। इस फैसले के साथ राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के जनादेश का भी सम्मान किया है जिसने 80 में से 43 सीटें सपा-कांग्रेस गठबंधन को दी हैं। उल्लेखनीय है कि नियमों के मुताबिक चुनाव परिणाम घोषित होने के दो सप्ताह के भीतर जीती हुई दो सीटों में से एक सीट छोड़नी होती है। इसी कारण राहुल गांधी को एक सीट छोड़नी पड़ी और उन्होंने इसके लिए वायनाड को चुना। राहुल गांधी यहां से काफी मार्जिन से चुनाव जीते थे। उनकी जीत की मार्जिन को देखते हुए पूरी संभावना है कि यहां से प्रियंका गांधी संसद पहुंचने में कामयाब हो पाएंगी।

रायबरेली नेहरू गांधी परिवार की पारिवारिक सीट

गौरतलब है कि रायबरेली सीट नेहरू गांधी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती है। राहुल से पहले उनकी मां सोनिया गांधी इस सीट से सांसद थीं। राहुल के वायनाड छोड़ने की वजह से यह सीट खाली हो गई है। अब यहां पर उपचुनाव होगा। इसी उपचुनाव में प्रियंका गांधी कांग्रेस की उम्मीदवार होंगी। वायनाड सीट से प्रियंका वाड्रा के नाम का ऐलान होने के बाद उन्होंने कहा कि ‘मैं चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हूं। लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करूंगी और भाई राहुल के लिए हमेशा काम करती रहूंगी। मैं अपने भाई को निराश नहीं करूंगी।‘

वायनाड व रायबरेली से प्रियंका-राहुल (Priyanka-Rahul)  का वादा

प्रियंका ने कहा कि मैं वायनाड को राहुल गांधी की अनुपस्थिति महसूस नहीं होने दूंगी। मैं कड़ी मेहनत करूंगी और सभी को खुश करने और अच्छा प्रतिनिधि बनने की पूरी कोशिश करूंगी। मेरा रायबरेली और अमेठी से बहुत पुराना रिश्ता है और इसे तोड़ा नहीं जा सकता। मैं भी अपने भाई की मदद रायबरेली और वायनाड में करूंगी। वहीं राहुल गांधी ने कहा कि मेरा रायबरेली और वायनाड दोनों से इमोशनल कनेक्शन है। प्रियंका चुनाव लड़ेंगी, लेकिन मैं भी समय-समय पर वायनाड जाऊंगा। जो वायदे किए हैं, उन्हें पूरा करेंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि वह चुनाव जीतने वाली हैं। वायनाड के लोग सोच सकते हैं कि उनके पास संसद के दो सदस्य हैं, एक मेरी बहन और दूसरा मैं। मेरे दरवाजे वायनाड के लोगों के लिए हमेशा खुले हैं, मैं वायनाड के हर एक व्यक्ति से प्यार करता हूं।’

दक्षिण से मजबूत रहा कांग्रेस का राजनीतिक रिश्ता

उत्तर प्रदेश जहां नेहरू गांधी का पारंपरिक कार्यक्षेत्र रहा है वहीं, दक्षिण से भी उनका राजनीतिक रिश्ता मजबूत रहा है। हर संकट की घड़ी में दक्षिण ने गांधी परिवार का साथ दिया है। इंदिरा गांधी 1978 का उपचुनाव कर्नाटक के चिकमगलूर से जीतीं और फिर 1980 में तत्कालीन आंध प्रदेश के मेडक सीट से भी इंदिरा गांधी ने जीत हासिल की। सोनिया गांधी ने भी चुनावी राजनीति में दस्तक दक्षिण भारत से ही दी थी। वे 1999 में यूपी की अमेठी और कर्नाटक के बेल्लारी दो सीटों से चुनाव लड़ी थीं लेकिन बेल्लारी में पहले चुनाव हुआ था। बेल्लारी में 5 सितंबर जबकि अमेठी में 3 अक्टूबर को चुनाव हुआ था। दोनों सीट जीतने के बाद सोनिया गांधी ने तब बेल्लारी की सीट छोड़ दी थी। 2019 में जब राहुल गांधी को लगा कि चुनौती अमेठी में बड़ी है तो चुनाव के लिए राहुल ने भी वायनाड ही चुना और वायनाड से ही जीते। अब प्रियंका भी दक्षिण से ही चुनावी राजनीति में कदम रखने जा रही हैं।

About the Author: रमेश यादव
रमेश यादव ने राष्ट्रीय और राजनीतिक समाचारों के क्षेत्र में व्यापक लेखन और विश्लेषण किया है। उनके लेख राजनीति के जटिल पहलुओं को सरलता और गहराई से समझाते हैं, जो पाठकों को वर्तमान राजनीतिक घटनाओं और नीतियों की बेहतर समझ प्रदान करते हैं। उनकी विशेषज्ञता सिर्फ सूचनाओं तक सीमित नहीं है; वे अपने अनुभव के आधार पर मार्गदर्शन और प्रासंगिक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करते हैं। रमेश यादव की लेखनी तथ्यों पर आधारित और निष्पक्ष होती है, जिससे उन्होंने पत्रकारिता और विश्लेषण के क्षेत्र में अपनी एक मजबूत पहचान बनाई है।

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