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अग्निवीर (Agniveer) पर राजनीति का अर्धसत्य
अग्निवीर (Agniveer) पर राजनीति का अर्धसत्य
Authored By: रमेश यादव
Published On: Friday, July 5, 2024
Updated On: Friday, July 5, 2024
अग्निवीर योजना (Agniveer Scheme) को लेकर राहुल गांधी ने जो कुछ भी संसद में बोला था उसका प्रतिकार रक्षामंत्री राजनाथ ने भी किया और अब सेना ने भी कहा है कि शहीद अग्निवीर अजय सिंह (Martyr Agniveer Ajay Singh) के परिवार वालों को लगभग एक करोड़ रुपये दिये जा चुके हैं। बाकी का प्रक्रियाधीन है।
Authored By: रमेश यादव
Updated On: Friday, July 5, 2024
अग्निवीर का मुद्दा दिन पर दिन गंभीर रूप लेता जा रहा है। चुनावों की बात और होती है, लेकिन अग्निवीर को लेकर जिस तरह की बातें संसद में हुई हैं वह फिक्र बढ़ाने वाली है। संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि अग्निपथ योजना के तहत भर्ती हुए सैनिकों के वीरगति प्राप्त करने पर उनके परिवार को कोई सहायता राशि नहीं दी जाती है। इसका प्रतिकार रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने तत्काल किया था।
राहुल गांधी के इस दावे को पूरी तरह से खारिज करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष गलत बयानबाजी कर सदन को गुमराह कर रहे हैं। युद्ध के दौरान और सीमा की रक्षा के दौरान जब भी कोई अग्निवीर जवान शहीद होता है तो उसके परिवार को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि दी जाती है। बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोकसभा में राहुल गांधी के बयान को भ्रामक बताते हुए कहा था कि सेना में भर्ती को लेकर सरासर झूठ फैलाया जा रहा है, ताकि देश के नौजवान सेना में न जाएं।
उन्होंने पूछा कि आखिर किसके लिए कांग्रेस (Congress) हमारी सेनाओं को कमजोर करना चाहती है? किसके फायदे के लिए कांग्रेस वाले सेना के संबंध में इतना झूठ फैला रहे हैं? पीएम मोदी (PM Modi) का यह बयान परोक्ष रूप से अतीत में कांग्रेस और चीन के बीच संबंधों को लेकर है। पीएम मोदी ने कहा कि सत्ता में रहते हुए सेना को कमजोर किया ही किया विपक्ष में जाने के बाद भी सेना को कमजोर करने के लगातार प्रयास होते रहे।
अग्निवीर पर हो रही सियासत के बीच में सेना ने भी अपना पक्ष रखा है। राजनीतिक बयानबाजियों से इतर सेना ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि शहीद अग्निवीर अजय सिंह के परिवार को 98 लाख रुपये दिये जा चुके हैं। 67 लाख रुपये और दिया जाना प्रक्रियाधीन है। कुल मिलाकर सहायता राशि एक करोड़ 65 लाख रुपये है। सेना की वेबसाइट पर भी अग्निवीरों के शहीद होने पर उनके परिवार को तमाम तरीके के कंपेन्सेशन दिये जाने का उल्लेख है।
क्या कहती है सेना की वेबसाइट
सेना की वेबसाइट के अनुसार यदि अग्निवीर की ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो जाती है तो उन्हें 48 लाख रुपये का बीमा कवर, 44 लाख रुपये की अनुग्रह राशि, चार साल तक का पूर्ण वेतन और सेवा निधि के साथ सेवा निधि कोष में जमा राशि और सरकार का योगदान मिलेगा। अगर अग्निवीर की मौत ड्यूटी पर नहीं हुई तब उन्हें 48 लाख रुपये का बीमा कवर और सेवा निधि कोष में जमा राशि तथा सरकार का योगदान मिलेगा। यही नहीं, यदि अग्निवीर ड्यूटी के कारण विकलांग हो जाता है तो विकलांगता के स्तर 100%, 75% या 50% के आधार पर 44 लाख रुपये, 25 लाख रुपये, 15 लाख रुपये की अनुग्रह राशि, चार साल तक का पूर्ण वेतन और सेवा निधि तथा सेवा निधि कोष में जमा राशि और सरकार का योगदान मिलेगा।
विरोध के पीछे की मंशा क्या
राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने अग्निवीर योजना को लेकर सरकार पर झूठे सच्चे हमले किये। सरकार को घेरने के लिए वैसे तो बहुत सारे मुद्दे हैं। लेकिन देश की रक्षा से संबधित इस सेंसिटिव इशू को उठाकर विपक्ष जाने अनजाने कहीं न कहीं दुश्मन देशों की ही मदद कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में इस बात की ओर इशारा किया था। उन्होंने कहा था कि आखिर किसके इशारे पर विपक्ष सेना को कमजोर करने की साजिश कर रहा है।
करना पड़ सकता है पश्चाताप
दरअसल, विपक्ष को पता है कि अग्निवीरों की बात कर जनता को उद्वेलित किया जा सकता है। पर यह विरोध वैसा ही साबित होने वाला है जैसा कभी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Former Prime Minister Rajiv Gandhi) ने जब भारत में कंप्यूटराइजेशन का बीड़ा उठाया था और अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) उसका विरोध कर रहे थे। यानी अग्निपथ योजना का विरोध जो लोग आज कर रहे हैं वो समय आने पर इसके लिए पश्चाताप भी करेंगे। जैसा कि बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने कभी कम्युनिस्ट पार्टियों के कंप्यूटर के विरोध करने के लिए माफी मांगी थी।
समय के साथ बदलाव जरूरी
समय के साथ दुनिया भर में बहुत चीजें बदली हैं। दुनिया के सबसे ताकतवर देश रूस में तो प्राइवेट ऑर्मी भी देश के लिए लड़ती है। चीन ने भी अपनी सैनिकों की संख्या में कटौती की है। चीन में हर साल करीब साढ़े चार लाख सैनिकों की भर्ती होती है। इनमें से अधिकतर को दो साल सेवा का मौका दिया जाता है। जिसमें से 40 दिन की ट्रेनिंग होती है। कुछ लोगों को सेना में बहाल कर बाकी को छूट पर लोन दिया जाता है ताकि वे कोई बिजनेस आदि कर सकें। इसके अलावा टैक्स बेनिफिट आदि का लाभ भी दिया जाता है। रूस में भर्ती का कांट्रेक्ट सेवा प्रचलन में है। इसके तहत एक साल की ट्रेनिंग के बाद एक साल का मौका मिलता है। इन्हीं लोगों में से परमानेंट सैनिकों की भर्ती की जाती है। जो परमानेंट सैनिक नहीं बन पाते उन्हें विश्वविद्यालयों में एडमिशन में छूट दी जाती है।
हमेशा हुआ सुधारों का विरोध
कर्नाटक में एक कार्यक्रम के दौरान एक बार प्रधानमंत्री मोदी ने अग्निपथ योजना के बारे में कहा था कि कोई भी सुधार शुरुआत में गलत लगते हैं, भविष्य में उनका उतना ही लाभ होता है। दरअसल जब भी पुरानी व्यवस्था को बदल कर नई व्यवस्था को लागू करने की कोशिश हुई है तो उसका हमेशा ही विरोध हुआ है। चाहे अमेरिका में पहली बार आर्थिक सुधार की बात हो या भारत में पहली रेल चलने की बात जमकर विरोध हुआ। भारत में जब पहली बार कंप्यूटर आया तब भी उसका जमकर विरोध हुआ था जबकि आज की सच्चाई यह है कि बगैर कंप्यूटर के किसी काम की कल्पना ही नहीं की जा सकती।