Dev Deepawali 2025: गंगा घाटों पर जलते हैं असंख्य दीपक

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, September 23, 2025

Last Updated On: Tuesday, September 23, 2025

Dev Deepawali 2025 गंगा घाट दीपक जलता हुआ दृश्य.
Dev Deepawali 2025 गंगा घाट दीपक जलता हुआ दृश्य.

देव दीपावली के अवसर पर धार्मिक और आध्यात्मिक शहर वाराणसी में गंगा नदी के घाटों को लाखों मिट्टी के दीयों से रोशन किया जाता है. देश के अन्य भागों में भी गंगा घाट पर दिये जलाए जाते हैं.इस वर्ष देव दीपावली बुधवार, 5 नवंबर 2025 को मनाई जा रही है.

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Dev Deepawali 2025: देव दीपावली को देवताओं की दिवाली, देव दिवाली या कार्तिक पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है. देव दीपावली उत्सव के अवसर पर धार्मिक मंत्रोच्चार और भव्य गंगा आरती भी की जाती है. भारत के वाराणसी में मनाया जाने वाला यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह कार्तिक माह की पूर्णिमा की रात को मनाया जाता है. यह नवंबर और दिसंबर के बीच मुख्य दिवाली उत्सव के ठीक 15 दिन बाद (Dev Deepawali ) पड़ता है.

देव दीपावली की कथा (Dev Deepawali Katha)

कथा है कि दुर्जेय असुर त्रिपुरासुर पर भगवान शिव की विजय के उपलक्ष्य में दीपक जलाए जाते हैं. त्रिपुरासुर शक्तिशाली तीन सिर वाला राक्षस था, जिसने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली थी. इससे लोगों में भय पैदा हो गया था. भगवान शिव ने बहादुरी के साथ उसकी चुनौती स्वीकार की और अंततः असुर को परास्त कर दुनिया में शांति और सद्भाव का संदेश दिया.

विजय के आनंद का प्रतीक दीपक

मान्यता है कि इस विजय का आनंद लेने के लिए भगवान शिव पृथ्वी पर अवतरित हुए और गंगा नदी के पवित्र जल में लीन हो गए. वाराणसी के श्रद्धालुओं ने देवताओं की दिव्य उपस्थिति का स्वागत करने के लिए घाटों, नदी की ओर जाने वाली सीढ़ियों को अनगिनत मिट्टी के दीयों से रोशन कर दिया. इसके माध्यम से उन्होंने अपनी खुशी और सुंदर भावना-भक्ति व्यक्त की. यहीं से देव दीपावली की पूजनीय परंपरा की शुरुआत हुई.

नदी की धार में प्रवाहित होते हैं जलते दीये

देव दिवाली के दौरान वाराणसी शहर एक मनमोहक दृश्य में बदल जाता है. यहां घर और मंदिर सैकड़ों छोटे मिट्टी के दीयों से सजे होते हैं. दीयों की चमक और रोशनी मन पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ते हैं. गंगा घाटों को रंगोली और दीयों से सजाया जाता है. एक मनमोहक अनुष्ठान के अंतर्गत पत्तों पर असंख्य छोटे तेल के दीये गंगा नदी के बहते पानी में छोड़े जाते हैं. ये दीये धीरे-धीरे लहरों के साथ बहते हैं. इससे मनमोहक दृश्य बनता है.

निकलती है देवी-देवताओं की शोभायात्रा

जैसे-जैसे रात होती है, विभिन्न मंदिरों से देवी-देवताओं की जीवंत शोभायात्रा निकलती हैं. मंदिरों में विशिष्ट और पवित्र अनुष्ठान होते हैं, जो इस अवसर के आध्यात्मिक महत्व को और बढ़ा देते हैं. देव दीपावली एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है. वाराणसी में लोग ईश्वर के प्रति अपनी गहरी भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करते हैं.

बुराई पर अच्छाई की जीत

बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक स्वरुप दीये जलाते हैं. यह त्यौहार न केवल गहरा धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि अपनी मनमोहक रोशनी और सांस्कृतिक समृद्धि से भी पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है. देव दीपावली का आयोजन वाराणसी में स्थानीय अधिकारियों, सांस्कृतिक समितियों और धार्मिक संगठनों द्वारा किया जाता है.

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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