Clean The Mind On Diwali: दिवाली पर मन के ‘जालों’ को करें साफ

Authored By: अंशु सिंह

Published On: Friday, October 17, 2025

Last Updated On: Friday, October 17, 2025

Clean The Mind On Diwali अपने मन के नकारात्मक जालों को साफ करें, सकारात्मकता और शांति से जीवन को उज्ज्वल बनाएं.
Clean The Mind On Diwali अपने मन के नकारात्मक जालों को साफ करें, सकारात्मकता और शांति से जीवन को उज्ज्वल बनाएं.

भारतीयों का विश्वास है कि दिवाली पर श्रीलक्ष्मी के आह्वान के लिए स्वच्छता एवं पवित्रता आवश्यक है. इसलिए त्योहार से महीनों पहले घरों की साफ-सफाई शुरू हो जाती है. अब प्रश्न है कि क्या घर के कोनों को साफ करने से ही श्रीलक्ष्मी की कृपा बरसती है या बाह्य के साथ आंतरिक सफाई अर्थात् मन की सफाई भी महत्वपूर्ण है? अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मोटिवेशनल स्पीकर एवं राजयोग मेडिटेशन शिक्षिका बीके शिवानी कहती हैं कि दिवाली पर पुरानी बातों को भूल, नए संस्कारों को आत्मसात करें. मन के मैल को साफ करें, उसे दिव्य एवं पवित्र बनाएं.

Authored By: अंशु सिंह

Last Updated On: Friday, October 17, 2025

Clean The Mind On Diwali: दिवाली अर्थात् सफाई, नवीनता, दीप जलाने, तोहफे देने का समय. मिठाइयां खाने एवं खिलाने का समय. एक-दूसरे को दुआएं देने का समय. पुरानी बातों, पुराने खातों को समाप्त कर, नए युग की शुरुआत का समय. इस दिन लोग दीप जलाकर अपने घरों, दुकानों व दफ्तरों को रोशन करते हैं. उनका विश्वास है कि श्रीलक्ष्मी अंधकार में नहीं आतीं. असल में हम अंधकार के आध्यात्मिक रहस्य से अनभिज्ञ हैं. अंधकार से अभिप्राय रात्रि का अंधकार नहीं, बल्कि यह शब्द अज्ञानता का वाचक है. कहने का भाव ये है कि जब तक घर-घर में लोगों का आत्मा रूपी दीप नहीं जलता है, उनकी बुद्धि में ज्ञान रूपी प्रकाश नहीं फैलता, मन का विकार व मैल नहीं समाप्त होता, तब तक श्रीलक्ष्मी पधार नहीं सकती हैं. व्यक्ति हो, वस्तु, स्थान या वायुमंडल, सबको शुद्धता ही प्रिय लगती है. ऐसे में जब हम सभी मानसिक शुद्धता पर ध्यान देते हैं, तो स्वयं को और सर्व को प्रिय लगते हैं.

खोलें मन की गांठें

देखा जाए तो हम रोज ही सफाई करते हैं. फिर वह घर की सफाई हो या शरीर की. दिवाली की सफाई का स्तर कुछ और होता है. बाकी दिन जहां ऊपर-ऊपर से सफाई की जाती है. वहीं इस त्योहार पर कोने-कोने को साफ करते हैं. परंतु कहीं ये भूल जाते हैं कि मन की सफाई भी उतनी ही आवश्यक है. क्योंकि वर्षों में हम बहुत-सी बातों-घटनाओं को मन में पकड़ कर रखे होते हैं. वे एक गांठ का रूप ले लेती हैं. भूलती नहीं. रिश्ते निभाने के लिए बेशक हम लोगों के साथ बहुत प्यार से बातें करते हैं, उनसे अच्छा व्यवहार करते हैं. लेकिन असल में हमें लोगों के संस्कार, उनका काम करने का तरीका, जीने का अंदाज पसंद नहीं आता. मुख से कुछ गलत शब्द निकलने पर फौरन क्षमा मांग लेते हैं कि कहना नहीं चाहते थे, पर गलती से निकल गया. जबकि सच ये है कि कोई बात मुख से तभी निकलती है, जब वह मन में हो. हमारे शब्द एवं व्यवहार तो सही होते हैं, लेकिन हम सोचते कुछ और हैं और बोलते कुछ और हैं. इससे मन मैला होता जाता है. उसमें धूल जमती जाती है.

जाग्रत करें मन की पवित्रता

जब तक मन की सफाई नहीं होगी, श्रीलक्ष्मी का हम आह्वान नहीं कर पाएंगे. श्रीलक्ष्मी का आह्वान मतलब अपने अंदर, मन की पवित्रता एवं दिव्यता को जाग्रत करना. अगर वहां मैल होगी, तो दिव्यता कैसे आएगी? पुरानी बातों, संस्कारों को पकड़ कर रखने से पवित्रता नहीं आ सकती. इसलिए मन के कोने-कोने की जांच करे. कहीं कोई जाला लगा हुआ हो, किसी कोने में मैल हो, तो उन्हें साफ करें. बचपन की कोई बात, 20 साल पुरानी घटना जब किसी ने कुछ कहा या कुछ किया था, उसे मन से हटाएं. पुराने हर दाग को मिटाएं. क्योंकि आत्मा पर लगा हर दाग हमारे वर्तमान को प्रभावित करता है. इतना ही नहीं, जब आत्मा शरीर छोड़ती है, तो हमारे सभी दाग उसके साथ जाते हैं. ऐसे में सच्ची दिवाली मनाने के लिए हमें आत्मा (मन) के हर दाग को मिटाना होगा. इस दिन लोग वैसे भी अपने हिसाब-किताब के पुराने बहीखाते बंद करते हैं. फिर आप बीती बातों पर पूर्ण विराम लगाकर क्यों नहीं संस्कारों का नया बहीखाता खोल सकते हैं? अब जब दिवाली नजदीक है, तो प्यार से न सिर्फ घर के कोने-कोने की सफाई करें, बल्कि मन के भी कोनों को साफ करें.

मन से करें सकारात्मक बातें

दिवाली पर सिर्फ बाह्य शुद्धता एवं दीप जलाने की बजाय अपनी आत्मा की ज्योत जगाएं अर्थात् मानसिक शुद्धता पर ध्यान दें. अगले कुछ दिन रोज सुबह स्वयं से स्वयं बात करें कि हे मन, क्या विचार कर रहे हो? मन कहेगा अमुक चीज मेरे साथ ही क्यों हुई? उसने मेरा अपमान क्यों किया? मैं इतनी बड़ी गलती कैसे कर सकता हूं? खुद से ऐसी नकारात्मक बातें करना बंद करें. इससे आत्मा कमजोर होती है. मन को सकारात्मक विचार दें. मेडिटेशन में जब हम परमात्मा को याद करते हुए उन्हें अपने मन में जमी धूल के बारे में बताते हैं, तो हल्केपन का अनुभव होता है. मन साफ हो जाता है. संकल्प शुद्ध हो जाते हैं. फिर क्यों न पुराने कर्मों एवं संस्कारों का लेखा-जोखा समाप्त करके दिवाली पर शुभ कर्म करने की दृढ़ प्रतिज्ञा करें. नए संस्कारों का खाता खोलें. मन को शक्तिशाली बनाएं और सच्ची दिवाली मनाएं.

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About the Author: अंशु सिंह
अंशु सिंह पिछले बीस वर्षों से हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनका कार्यकाल देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण और अन्य राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में प्रेरणादायक लेखन और संपादकीय योगदान के लिए उल्लेखनीय है। उन्होंने शिक्षा एवं करियर, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, यात्रा एवं पर्यटन, जीवनशैली और मनोरंजन जैसे विषयों पर कई प्रभावशाली लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी में गहरी सामाजिक समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो पाठकों को न केवल जानकारी बल्कि प्रेरणा भी प्रदान करती है। उनके द्वारा लिखे गए सैकड़ों आलेख पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ चुके हैं।
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